Biography of Rajiv Gandhi in Hindi – राजीव गांधी

राजीव गांधी की जीवनी और अनछुए पहलू

राजीव गांधी भारत के युवा प्रधानमंत्री रहे, जिन्हें भारत में कंम्प्यूटर क्रांति के सूत्रपात के लिए जाना जाता है. राजीव गांधी ने बतौर राजनेता बहुत ही कम समय में बहुत अधिक लोकप्रियता हासिल की.

वे भारत के छठे प्रधानमंत्री थे और आज भी उन्हें देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में शुमार किया जाता है. 40 वर्ष की उम्र में राजीव गांधी देश के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने. उनका एक दशक का राजनीतिक जीवन कई उपलब्धियों से भरा रहा.

राजीव गांधी की संक्षिप्त जीवनी – Brief Biography of Rajiv Gandhi

राजीव रत्न गांधी भारत के छठे प्रधानमंत्री थे. वे नेहरू गांधी परिवार से प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचने वाले तीसरे शख्स थे. भारत के सबसे लोकप्रिय नेताओं में शुमार राजीव गांधी शुरूआत में राजनीतिक में कदम रखने के इच्छुक नहीं थे.

उन्होंने कॉमर्शियल पायलट की ट्रेनिंग ली थी और चकाचौंध से दूर अपने निजी जीवन में ही खुश थे कि अचानक हुए एक दुखद हादसे ने उनके और उनके परिवार की दिशा बदल दी. उनके भाई संजय गांधी की एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई.

इससे पैदा हुए शून्य को भरने के लिए राजीव गांधी ने राजनीति में कदम रखा. कुछ ही समय में भारतीय राजनीति में उन्होंने अपना एक अलग स्थान बना लिया. इंदिरा गांधी की हत्या हो जाने पर विषम परिस्थितियों में राजीव गांधी को भारत का प्रधानमंत्री बनाया गया.

उनका प्रधानमंत्री कार्यकाल उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए याद किया जाता है. राजीव गांधी ने भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति की नींव रखी जो आगे चलकर भारत की उन्नति का महत्वपूर्ण आधार बनी. उन्होंने पीसीओ के जरिए टेलिफोन को ग्रामीण और दूर दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाया.

राजीव गांधी की आरम्भिक जीवन – Early life of Rajiv Gandhi

राजीव गांधी का जन्म भारत के राजनीतिक रूप से प्रभावशाली नेहरू गांधी परिवार में 20 अगस्त 1944 (rajiv gandhi birth date) को मुम्बई में हुआ था. उनकी माता का नाम इंदिरा गांधी और उनके पिता का नाम फिरोज गांधी था. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य और नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के संपादक थे.

माता-पिता के संबंधों में खटास आने के बाद राजीव गांधी और उनके छोटे भाई संजय अपनी मां इंदिरा गांधी के साथ दिल्ली आ गए. इंदिरा गांधी उन दिनों भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हुए अपने पिता और देश के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मदद कर रही थीं.

राजीव गांधी की शिक्षा – Education of Rajiv Gandhi

राजीव रत्न गांधी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा देहरादून के वैलहेम बॉयज स्कूल और दून स्कूल से प्राप्त की. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे लंदन चले गए. 1962 में राजीव गांधी ने कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की.

चार साल बाद उन्होंने बिना डिग्री पूरी किए ही कॉलेज छोड़ दिया. 1966 में Rajiv Gandhi ने इम्पीरियल कॉलेज लंदन में दाखिला लिया, लेकिन एक साल बाद वहां की पढ़ाई भी छोड़ दी.

राजीव गांधी का पारिवारिक जीवन – Family Life of Rajiv Gandhi

लंदन में कॉलेज के दिनों में राजीव गांधी को इटली की एक लड़की अलबीना माइनो से प्रेम हो गया. उन्हें आगे चलकर सोनिया गांधी के नाम से जाना गया. दोनों का विवाह 1968 में हुआ. उनके पुत्र राहुल गांधी का जन्म 1970 में और पुत्री प्रियंका गांधी का जन्म 1972 में हुआ.

1966 में राजीव रत्न गांधी की मां इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. राजीव गांधी की राजनीति में शुरू से ही कोई रुचि नहीं थी. इसलिए भारत वापस लौटने पर उन्होंने इंडियन एयर लाइन्स में पायलट (rajiv gandhi a pilot) के रूप में नौकरी शुरू की.

उनके भाई संजय गांधी (rajiv gandhi brother) की 1980 में एक दुखद हादसे में मौत हो गई. इस घटना ने उनके जीवन की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इस तरह Rajiv Gandhi का राजनीति में प्रवेश हुआ.

राजीव गांधी का राजनीतिक जीवन – Political Career of Rajiv Gandhi

कांग्रेस पार्टी के नेताओं और अपनी मां के बार-बार आग्रह के बाद राजीव गांधी ने राजनीति में कदम तो रखा, लेकिन प्रेस, विरोधी दलों और आम जनता के बीच इस कदम की कड़ी आलोचना हुई. कहा जाने लगा कि कांग्रेस पार्टी वंशवाद पर आधारित हो गई है.

राजनीतिक झंझावातों को झेलते हुए Rajiv Gandhi राजनीति के माहिर खिलाड़ी बन गए. 1981 में उन्होंने दिग्गज नेता शरद यादव को हराकर अमेठी लोकसभा सीट जीती. यह सीट कभी उनके भाई संजय गांधी के पास थी. 1982 में उन्हें एशियाई खेल आयोजन समिति का सदस्य बनाया गया और उन्होंने नई दिल्ली में इन खेलों के आयोजन में महती भूमिका निभाई.

आने वाले वर्षों में उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और युवा कांग्रेस का अध्यक्ष पद भी संभाला. प्रेस और विरोधी दलों ने यह कहकर इस कदम की आलोचना की कि उनकी मां इंदिरा गांधी उन्हें प्रधानमंत्री पद संभालने के लिए तैयार करने में लगी हैं.

राजीव गांधी का प्रधानमंत्री कार्यकाल – Rajiv Gandhi as Prime Minister of India

31 अक्टूबर 1984 का दिन भारतीय राजनीति में भूचाल लेकर आया. जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उन्हीं के अंगरक्षकों ने नई दिल्ली में हत्या कर दी. ऐसी विषम परिस्थिति में राजीव गांधी को भारत का प्रधानमंत्री चुना गया. उन्हें कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष भी सर्वसम्मति से चुना गया.

उसके बाद हुए आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने प्रचण्ड बहुमत से जीत हासिल की और Rajiv Gandhi भारत के प्रधानमंत्री बने. प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए राजीव गांधी ने जाति, धर्म और वर्ग के आधार पर बंटे देश को अपनी दूरदृष्टि और ऊर्जा से आगे बढ़ाने का काम किया.

उन्होंने पंजाब में पनप रहे आतंकवाद की समस्या को खत्म करने के लिए भरसक प्रयास किये. उनका कार्यकाल नौकरशाही में सुधार के लिए भी याद किया जाता है. उन्होंने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर फोकस करते हुए इसे देश की तरक्की का प्रमुख आधार बनाया. उन्होंने शिक्षा नीति में भी आमूल बदलाव लाते हुए इसे सर्वस्पशी बनाने का प्रयास किया. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना उन्हीं के कार्यकाल में हुई.

विदेश नीति के मोर्चे पर Rajiv Gandhi ने अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों की तुलना में लचीला रुख अपनाया और अमेरिका के साथ आर्थिक एवं वैज्ञानिक सहयोग बढ़ाने के प्रयास किए. भारतीय उपमहाद्वीप के देशों में क्षेत्रीय सहायोग बढ़ाने के उद्देश्य से राजीव गांधी ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

भारत में सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार क्रांति का श्रेय राजीव गांधी को जाता है. उन्होंने 1986 में महानगर टेलिफोन निगम लि. (एमटीएनएल) की स्थापना कर इसका श्रीगणेश किया.

राजीव गांधी से जुड़े विवाद – Controversies revolving around Rajiv Gandhi

राजीव गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में देश ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां अर्जित कीं, वहीं कुछ ऐसी घटनाएं भी हुईं जो उनके राजनीतिक करियर के लिए कठिन परीक्षा साबित हुईं.

उनके प्रधानमंत्री पद संभालने के कुछ ही समय बाद 2 और 3 दिसम्बर 1984 की दरम्यानी रात को भोपाल के यूनियन कार्बाइड प्लांट में जहरीली गैस रिसाव के कारण 16 हजार से अधिक लोगों की जान चली गई और 5 लाख से अधिक लोगों को स्थाई रूप से शारीरिक-मानसिक नुकसान झेलना पड़ा.

बोफोर्स तोप सौदा भी उनके राजनीतिक जीवन पर दाग लगा गया. इसमें बोफोर्स तोपों की खरीद के लिए इटली के व्यापारी ओट्टवियो क्वात्रोच्ची के मार्फत धन के अवैध लेन-देन के आरोप लगे. हालांकि ये आरोप कभी साबित नहीं हो सके. फिर भी बोफोर्स कांड से Rajiv Gandhi की ईमानदार राजनेता की छवि को गहरा धक्का लगा.

राजीव गांधी की हत्या की वजह Rajiv Gandhi death reason hindi

वर्ष 1987 में श्रीलंका लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के साथ गृह युद्ध की स्थिति से जुझ रहा था. राजीव ने श्रीलंका में भारतीय शांति सेना भिजवाई जिसने लिट्टे के लड़ाकों को खत्म करने में श्रीलंकाई सैन्य बलों का साथ दिया. राजीव  को इस फैसले के लिए भारत में और विश्वभर में तमिल समुदाय के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा.

विवादों और अलोकप्रिय फैसलों का राजीव की लोकप्रियता पर बुरा प्रभाव पड़ा. 1989 के आम चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में तो उभरी लेकिन बहुमत से दूर रह गई. Rajiv Gandhi को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा. विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत के प्रधानमंत्री बने और राजीव गांधी संसद में नेता प्रतिपक्ष बने.

राजीव गांधी की हत्या – Rajiv gandhi assassination

21 मई 1991 (rajiv gandhi death date) को राजीव लोकसभा चुनाव अभियान के तहत श्रीपेरम्बूदूर में एक आम सभा को संबोधित कर रहे थे जहां आत्मघाती हमलावरों ने बम धमाके में उनकी हत्या कर दी.

महिला आत्मघाती हमलावर उनके पैर छूने के लिए झुकी. इसके बाद उसके शरीर में बंधे 700 ग्राम आरडीएक्स विस्पोटक में धमाका हो गया. 24 मई 1991 को Rajiv Gandhi की पार्थिव देह की पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि कर दी गई. नई दिल्ली में यमुना नदी के किनारे राजीव गांधी की समाधि स्थित है जिसे वीर भूमि कहा जाता है.

राजीव गांधी के कथन – Quotes of Rajiv Gandhi

भारत औद्योगिक क्रांति का मौका तो चूक गया लेकिन अब हम कम्प्यूटर क्रांति का अवसर हाथ से नहीं जाने दे सकते.

जिस बिन्दु पर प्रशासन और जनता के बीच संपर्क होता है वहीं एक संवेदनशील जवाबदेह प्रशासन की परीक्षा होती है.

जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती ही है.

हमारा कार्य 21वीं सदी के दहलीज पर खड़े एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जो गरीबी के बोझ और अपने औपनिवेशिक अतीत से मुक्त हो तथा अपने लोगों की बढ़ती उम्मीदों को पूरा करने में सक्षम हो.

शिक्षा को हमारे समाज में समानता लाने की भूमिका निभानी चाहिए. हजारों वर्षों में हमारे सामाजिक ढ़ाचे ने जो भेद उत्पन्न किए हैं, शिक्षा उनको मिटाने का माध्यम बननी चाहिए.

ड्रेन में ब्रेन से तो ब्रेन ड्रेन ही बेहतर है.

पुरस्कार एवं सम्मान- ​Awards and achievement

राजीव गांधी को 1991 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से मरणोपरान्त विभूषित किया गया

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