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खाटू श्याम जी की जीवन कथा – Story of Khatu Shyam ji in Hindi

खाटू श्याम जी की जीवन कथा - Story of Khatu Shyam ji

Khatu Shyam खाटू श्याम कैसे प्रसिद्ध हुआ?

खाटू श्याम जी का भव्य मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में खाटू नामक स्थान पर स्थित है। मंदिर का निर्माण 1027 ईस्वी में रूपसिंह चौहान एवं उनकी पत्नी नर्मदा कंवर ने करवाया था।

1720 में इस मंदिर का जीर्णोदार मारवाड़ के राजा अभय सिंह द्वारा करवाया गया। आज देश विदेश में लाखों लोग खाटू वाले बाबा के भक्त हैं और दूर दूर से बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं।

खाटू श्याम किसका रूप है ? Which God is Khatu Shyam Maharaj?

खाटू वाले श्याम बाबा पांडु पुत्र भीम के प्रपौत्र और घटोत्कच्छ के पुत्र बर्बरीक का ही दूसरा नाम है। जब कौरवों से बचते हुए पांडव एक वन से दूसरे वन में भटक रहे थे, तभी पांडु पुत्र भीम की मुलाकात हिडिम्बा नामक राक्षसी से हुई और इन्होने विवाह कर लिया। हिडिम्बा और भीम के पुत्र घटोत्कच्छ का विवाह मोर्वी नाम की कन्या के साथ हुआ।

Who is Barbarik mother? मोर्वी और घटोत्कच्छ का पुत्र बर्बरीक बहुत ही पराक्रमी और दानवीर था। उसकी वीरता और दानशीलता से प्रभावित होकर स्वयं भगवन श्री कृष्ण ने उसे अपना नाम दिया था और कहा था, कि दुनिया तुझे श्याम के नाम से जानेगी।

क्यों कहलाते हैं हारे का सहारा – Hare Ka Sahara Khatu Shyam Hamara

महाभारत ( Mahabharat ) के युद्ध के समय वीर बालक बर्बरीक ( Barbarik ) ने अपनी माता के सामने युद्ध में जाकर लड़ने की इच्छा जाहिर की। इस पर उनकी माता ने आशीर्वाद देते हुए कहा, “जा बेटा, हारे का सहारा बनना। “ इसका तात्पर्य यह था कि उसकी तरफ से लड़ना जो कमजोर हो।

बर्बरीक की श्री कृष्ण से मुलाकात – बर्बरीक Khatu Shyam कैसे बने?

Barbarik Khatu Shyam kaise bane – अपनी माँ का आशीर्वाद लेकर बर्बरीक युद्ध भूमि की तरफ बढ़ चला। साथ में अपने साथ तीन तीर भी रख लिए। यह तीर बर्बरीक की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी माता ने दिए थे। जब श्री कृष्ण को इसके बारे में पता चला तो, वे ब्राह्मण के वेश में बर्बरीक के सामने आ गए और उससे पूछा कि वह कहा जा रहा है।

बर्बरीक ने बताया कि वह युद्ध में शामिल होने कुरुक्षेत्र जा रहा है। भगवान ने पूछा कि सिर्फ तीन तीरो से वो पूरा युद्ध कैसे लड़ेगा। बर्बरीक ने बताया कि ये साधारण तीन नहीं हैं ।

वह एक तीर से समस्त शत्रुओं के शीश काट सकता है। भगवान ने उससे वृक्ष की समस्त पत्तियों को भेदने के लिए कहा। बर्बरीक ने धनुष उठाया और मात्र एक तीर से वृक्ष की समस्त पत्तियों को भेद दिया।

भगवान् ने एक पत्ता अपने पैर के नीचे छुपा लिया, तो तीर उनके पैर के पास आकर मंडराने लगा। भगवान् समझ गए कि यह वीर बालक अगर युद्ध भूमि तक पहुंच गया, तो युद्ध की दिशा बदल देगा।

क्योंकि बर्बरीक कमजोर की तरफ से लड़ने का विचार करके आया था और भगवान् को पता था की युद्ध में कौरव कमजोर पड़ने वाले हैं। ऐसे में बर्बरीक को युद्ध में शामिल होने से रोकना बहुत ही जरुरी था। इसी विचार के साथ भगवान् ने इस दानवीर बालक का शीश मांग लिया।

बर्बरीक समझ गया कि यह ब्राह्मण कोई और नहीं, बल्कि स्वयं भगवान विष्णु के अवतार हैं। उन्होंने अपना शीश उतार कर भगवान् के चरणों में अर्पित कर दिया और शीश के दानी कहलाये। Barbarik ने इच्छा प्रकट की थी कि वह युद्ध को देखना चाहता है।

इसलिए भगवान् ने उनका शीश एक ऊँचे स्थान पर स्थापित कर दिया, ताकि वह युद्ध को अपनी आँखों से देख सके। इसी के साथ भगवान ने कहा की दुनिया तुझे ” हारे का सहारा ” नाम से बुलाएगी और तुझे मेरे यानि श्याम के नाम से जाना जायेगा।

क्या कहा बर्बरीक ने पांडवों से युद्ध के बाद – Khatu Shyam ji ki Katha

युद्ध समाप्ति के बाद पांडव इस बात पर विवाद करने लगे कि उन पांचों में से कौन सबसे ज्यादा वीरता से लड़ा। जब चर्चा किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची, तो भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) के सुझाव पर वे पांचों बर्बरीक के कटे शीश के पास पहुचें और उनसे इस बात का फैसला करने के लिए कहा।

इस पर Barbarik ने कहा कि उन्हें तो हर तरफ कृष्ण का सुदर्शन ही नजर आ रहा था, जो रणभूमि में शत्रुओं का विनाश कर रहा था। यह सुनते ही पांडवों को सत्य का भान हो गया।

खाटू के समीप अन्य दर्शनीय स्थल – Places to visit near Khatu

जीण माता का मंदिर

Khatu Shyam ji से 29 किमी दूर घांघू नामक गांव में स्थित है, जीण माता का मंदिर। Jeen Mata Temple लगभग 1000 साल पुराना है। माँ की महिमा ऐसी है, कि जब मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने इस मंदिर को तोड़ने के लिए सैनिक भेजे तो उन पर मधुमक्खियों ने हमला कर दिया और तब तक पीछा नहीं छोड़ा, जब तक कि बादशाह ने माता के सामने हाथ नहीं जोड़े।

गौरी मंदिर

Gauri Mandir के लिए भी कहा जाता है कि औरंगजेब की फ़ौज ने जब इसे तोड़ने की कोशिश की, तो शिवलिंग से रक्त की धार बह निकली, जिससे डर के मुग़ल फ़ौज भाग खड़ी हुई।

श्याम कुंड

Shyam Kund खाटू श्याम मंदिर के समीप स्थित यह वही स्थल है, जहां बाबा का शीश प्रकट हुआ था। इस कुंड के दो भाग हैं, जनाना कुंड और मर्दाना कुंड। कहते हैं कि जब तक कुंड में स्नान न किया जाये, Khatu Shyam यात्रा का फल नहीं मिलता।

दर्शन का समय – Khatu Shyam ji ke Darshan ka time

सर्दियों में सुबह 5:30 से दोपहर 1 बजे एवं शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक
गर्मियों में सुबह 4:30 से दोपहर 12:30 बजे एवं शाम 4 बजे से रात 10 बजे तक

प्रमुख शहरों से खाटू श्याम की दूरी – Khatu Shyam ji distance from major cities

JAIPUR – जयपुर – 75 किमी
SIKAR – सीकर – 65 किमी
DELHI – दिल्ली – 300 किमी
KOLKATA – कोलकाता – 1505 किमी
CHENNAI – चेन्नई – 2000 किमी
MUMBAI – मुंबई – 1210 किमी

कैसे पहुचें खाटू – How to reach Khatu Shyam Temple?

सड़क मार्ग द्वारा

जयपुर से खाटू के लिए रोडवेज और प्राइवेट बसें चलती हैं। इसके अलावा प्राइवेट टैक्सी कर के जयपुर से खाटू जाया जा सकता है।

रेलमार्ग द्वारा

खाटू के सबसे नजदीक रींगस और बावड़ी ठिकरिया रेलवे स्टेशन हैं। रींगस खाटू से मात्र 17 किमी और ठिकरिया 16 किमी दूर है। जयपुर जंक्शन से दोनों ही जगह के लिए कनेक्टिंग ट्रैन उपलब्ध है।

हवाई मार्ग

खाटू से निकटतम हवाई अड्डा जयपुर में 94 किमी दूर स्थित है। देश के किसी भी कोने से जयपुर हवाई मार्ग द्वारा पहुंचने के बाद बस, ट्रैन या टैक्सी के द्वारा के द्वारा खाटू तक पहुंचा जा सकता है।

खाटू श्याम जी का मेला – Khatu Shyam ji ka Mela

प्रत्येक वर्ष फाल्गुन के महीने में खाटू में मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में लाखों की संख्या में देश विदेश से आये श्रद्धालु भाग लेते हैं। हजारों लोग दूर प्रांतो से पैदल चलकर बाबा के दर्शन के लिए आते हैं।

खाटू श्याम जी की आरती – Khatu Shyam ji ki Aarti in Hindi

ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे |
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे |
ॐ जय श्री श्याम हरे |

रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे |
तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े |
ॐ जय श्री श्याम हरे |

गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे |
खेवत धूप अग्नि पर दीपक ज्योति जले |
ॐ जय श्री श्याम हरे |

मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे |
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे |
ॐ जय श्री श्याम हरे |

झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे |
भक्त आरती गावे, जय – जयकार करे |
ॐ जय श्री श्याम हरे |

जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उभरे |
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम – श्याम उचरे |
ॐ जय श्री श्याम हरे |

श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे |
कहत भक्तजन, मनवांछित फल पावे |
ॐ जय श्री श्याम हरे |

जय श्री श्याम हरे, बाबा जी श्री श्याम हरे |
निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे |
ॐ जय श्री श्याम हरे |

खाटू श्याम जी के अन्य नाम – Khatu Shyam ji ke naam

तीन बाण धारी
हारे का सहारा
लखदातार
शीश के दानी
मोर छड़ी धारक

मितेश नागर
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। इनसे nagarmitesh7@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)

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