विक्रम बत्रा नाम है, उस बहादुर सिपाही का, जिसने मात्र 24 वर्ष की उम्र में देश के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। आज की पोस्ट भारत माँ के वीर सपूत कैप्टन विक्रम बत्रा के बारे में है, जिसने कारगिल की लड़ाई में पाकिस्तानी सैनिको को धूल चटा दी थी।
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कैप्टन विक्रम बत्रा कौन थे ?
1974 में हिमाचल प्रदेश में जन्मे विक्रम बत्रा ने 1996 में इंडियन मिलिटरी अकेडमी ज्वाइन की। 1997 में उन्होंने लेफ्टिनेंट के पद पर 13 जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स से अपने मिलिटरी कॅरिअर की शुरुआत की। शुरुआती ट्रेनिंग के बाद उन्हें पहली पोस्टिंग बारामूला के सोपोर में दी गई। 1999 में उन्हें कमांडो ट्रेनिंग के लिए कर्नाटक भेजा गया।
विक्रम बत्रा ने क्यों कहा, “ये दिल मांगे मोर ” ?
कारगिल की लड़ाई के दौरान, कैप्टन बत्रा और उनकी टीम को पॉइंट 5140 को जीतने का टास्क दिया गया। कैप्टन बत्रा अपने साथियों के साथ चोटी पर चढ़ाई कर रहे थे, वहीं नीचे से भारतीय सेना तोपखाने की मदद से दुश्मन पर बम बरसाकर, उन्हें आर्टिलरी सपोर्ट दे रही थी। बत्रा ने पहाड़ी की चोटी पर पीछे से पहुँचने का निर्णय लिया और एक नजदीकी लड़ाई में 3 पाकिस्तानी सैनिको को मारते हुए चोटी पर कब्ज़ा कर लिया। चोटी पर तिरंगा फहराते ही उन्होंने अपने कमांडर्स को जीत का सिगनल भेजा और वो सिग्नल था ” ये दिल मांगे मोर “
पॉइंट 5140 पर जीत के बाद बत्रा को कैप्टन के पद पर प्रमोट कर दिया गया था और उनका नाम महावीर चक्र के लिए रिकमंड किया गया था।
पाकिस्तानी क्यों विक्रम बत्रा को शेरशाह बुलाते थे ?
शेरशाह विक्रम बत्रा का कोड नाम था, जो पाकिस्तानी सैनिको ने उनके रेडियो मैसेज को इंटरसेप्ट करने के बाद जान लिया था। पाकिस्तानी सैनिको ने विक्रम बत्रा को रेडियो मैसेज में धमकी दी की, शेरशाह अगर तुम यहाँ आये तो तुम्हारे साथ अच्छा नहीं होगा। जिसके बाद बत्रा और उनकी टीम को बहुत गुस्सा आ गया था और उन्होंने कहा की इसका जवाब थोड़ी देर में उन्हें दे दिया जायेगा।
कैप्टन बत्रा की गर्लफ्रैंड उन्हें फ़िल्मी क्यों कहती थी ?
बत्रा की गर्लफ्रैंड का नाम डिंपल चीमा था, जिनसे उनकी मुलाकात 1995 में पंजाब यूनिवर्सिटी में हुई थी और दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे। एक बार डिंपल ने दोनों की शादी को लेकर अपनी चिंता बत्रा के सामने जाहिर की, तो बत्रा ने अपने पर्स में से ब्लेड निकली और अगूंठा काटकर खून से डिंपल की मांग भर दी। इसी बात पर डिंपल ने उन्हें फ़िल्मी कहना शुरू कर दिया।
क्या कहा था बत्रा ने अपने दोस्तों से आखिरी बार ?
कारगिल वॉर शुरू होने से पहले बत्रा छुट्टिओं में अपने घर आये हुए थे और अपने दोस्तों के साथ बैठे थे। एक दोस्त ने कहा की अब कारगिल वॉर शुरू हो चुकी है और तुम वहाँ अपना ध्यान रखना। इस पर बत्रा ने उन्हें जवाब दिया ” या तो मैं तिरंगा फहरा कर आऊँगा या फिर उसमें लिपट कर आऊंगा, लेकिन आऊँगा जरूर “।
उन्होंने अपना वादा निभाया भी। पॉइंट 5140 पर उन्होंने तिरंगा फहराया और उसमें लिपट कर भी आये।
पॉइंट 4875 पर कैप्टन बत्रा ने कैसी हासिल की जीत ?
5140 पर जीत के बाद बत्रा घायल हो गए थे। इसके बावजूद वे 4875 पर लड़ने गए। उन्होंने बेहद नजदीकी लड़ाई लड़ते हुए, 5 पाकिस्तानी सैनिको को अपनी गन और चाकू से मौत की घाट उतार दिया। तभी उनकी नजर अपने घायल साथी पर पड़ी और अपने घायल साथी को बचाने की कोशिश करते समय बत्रा दुश्मन के हमले का शिकार हो गए और वीरगति को प्राप्त हुए।
इस वीरता के लिए भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च सेना पुरस्कार “परमवीर चक्र” से सम्मानित किया।
कैप्टन बत्रा के जीवन पर आधारित फिल्में कौन सी हैं ?
कारगिल वॉर पर आधारित फिल्म “LOC – Kargil” में अभिनेता अभिषेक बच्चन ने कैप्टेन विक्रम बत्रा का किरदार निभाया था। हाल ही में एक और फिल्म “शेरशाह” में सिद्धार्थ मल्होत्रा ने कैप्टन बत्रा की किरदार को जीवंत करने का प्रयास किया है।
बत्रा ने अपने भाई को चिट्ठी में क्या लिखा ?
बत्रा ने अपने जुड़वाँ भाई कुश को कारगिल की पहाड़ियों से लिखी चिट्ठी में बताया कि उनकी जीत से सभी लोग बहुत खुश हैं और आर्मी चीफ एवं बड़े ऑफिसर्स कॉल करके उन्हें बधाई दे रहे हैं। उनका प्रमोशन भी कर दिया गया है। उन्होंने अपने भाई को ये भी बताया की उनकी वीरता से खुश होकर, उनका नाम महावीर चक्र के लिए रिकमंड किया गया है।
“शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा “
- मितेश नागर
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं तकनीकी विशेषज्ञ हैं। इनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता है।)