BPO का मतलब होता है, Business Processing Outsourcing। आज का युवा वर्ग कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने को ज्यादा तवज्जो देता है। अक्सर सुनने में आता है कि बीपीओ क्षेत्र में बहुत ज्यादा कैरियर अपॉर्चुनिटी होती है। आज की पोस्ट में हम जानेंगे कि बीपीओ क्या है ?
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BPO कैसे काम करता है – How does BPO work ?
BPO दूसरी कंपनियों के लिए थर्ड पार्टी वेंडर की तरह काम करते हैं। कुछ कंपनियां अपने Daily ऑपरेशंस को आसान बनाने के लिए उसके कुछ हिस्से को दूसरे BPO को दे देती हैं। इसे ही आउटसोर्सिंग कहते हैं। काम के बदले बीपीओ ऐसी कंपनियों से रेवेन्यू कमाते हैं।
इसे हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं। इंश्योरेंस कंपनी ABC ऑस्ट्रेलिया में रहकर अपना बिजनेस रन कर रही है। कंपनी ग्राहकों को इंश्योरेंस पॉलिसी बेचती है और जरूरत पड़ने पर बीमा के पैसे का बीमा धारक को भुगतान करती है। ABC अपने Work load और Expenses को कम करने के लिए पॉलिसी के पेपर्स को रिव्यू करके बीमा धारक को मिलने वाले अमाउंट के निर्धारण का काम भारत के एक BPO को Outsource कर देती है।
यह बीपीओ अपने कर्मचारियों की सहायता से इंश्योरेंस कंपनी के लिए काम करता है और हर महीने बीमा कंपनी को अपनी लागत में कुछ लाभ जोड़कर बिल भेज देता है।
बीपीओ किन क्षेत्रों में काम करता है? BPO kya hain in Hindi
- इंश्योरेंस – Insurance
- हेल्थ केयर – Healthcare
- बैंकिंग – Banking
- फाइनेंस एंड अकाउंटिंग – Finance & Accounting
- सॉल्यूशनिंग – Solutioning
- रीइंजीनियरिंग – Re-engineering
- कस्टमर केयर – Customer Care
- कलेक्शंस – Collections
- डाटा माइनिंग – Data Mining
- कंज्यूमर गुड्स – Consumer Goods
भारत में बीपीओ की शुरुआत कैसे हुई ?
भारत में BPO की शुरुआत 1998 में हुई। Genpact भारत का पहला बीपीओ था, जो कि General Electric के लिए काम करता था। यह GE का इन हाउस बीपीओ था, जो बाद में 2005 में स्वतंत्र BPO बन गया और GE के अलावा दूसरे क्लाइंट के लिए भी अपने काम करने लगा।
बीपीओ का Revenue Modal कैसा होता है ?
BPO कॉस्ट सेविंग के सिद्धांत पर चलता है। बहुत सारी विदेशी कंपनियां अपने काम को बीपीओ को आउटसोर्स कर देती है, क्योंकि विदेशों में लेबर रेट भारत के मुकाबले काफी ज्यादा होती है। उसी काम को भारत में बहुत कम सैलरी में करवाया जा सकता है। बीपीओ में मुख्यतः दो तरह के बिलिंग सिस्टम अपनाए जाते हैं।
कमीशन मॉडल – Commission Modal in BPO
यह मॉडल आमतौर पर कलेक्शंस के बिजनेस में पाया जाता है। उदाहरण के लिए एक बीपीओ XYZ किसी विदेशी बैंक के लिए कलेक्शन का काम करता है। जितनी भी कलेक्शंस BPO 1 महीने में करता है, उसका 10% कमीशन BPO को मिल जाता है और बाकी का 90% बैंक अपने पास ले लेता है।
प्रति व्यक्ति लेबर रेट – Per Employee Rate in BPO
यह एक तरह का फिक्स रेट मॉडल होता है, जो अपने क्लाइंट से प्रति कर्मचारी एक फिक्स्ड रेट चार्ज करता है। उदाहरण के लिए बीपीओ XYZ अपने क्लाइंट से प्रति कर्मचारी $2000 प्रति मंथ चार्ज करता है, लेकिन अपने कर्मचारियों को 30,000 Rs यानी $400 प्रति माह ही देता है।
भारत में बीपीओ का भविष्य – Future of BPO in India
भारत में बीपीओ का भविष्य बहुत ही उज्जवल है। हमारे देश में वर्क फोर्स की कमी नहीं है और साथ ही कर्मचारी बहुत ही कम वेतन में उपलब्ध हो जाते हैं। यही बात BPO के वर्तमान और भविष्य को भारत में बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।
बीपीओ में करियर कैसे बनाएं ? How to make career in BPO?
BPO में करियर बनाने के लिए कुछ जरूरी skill sets की आवश्यकता होती है। ग्रेजुएट अपने आप को इन skills में अपग्रेड करके इंटरव्यू की प्रिपरेशन कर सकते हैं और आसानी से 25 से 30 हजार रुपए महीना कमा सकते हैं।
बीपीओ के लिए आवश्यक स्किल्स – Required skills for jobs in BPO
- कम्युनिकेशन स्किल्स – Verbal and Written Communication
- एम एस एक्सेल – MS Excel
- डिसीजन मेकिंग स्किल्स – Decision Making Skills
- डाटा एनालिटिकल स्किल्स – Data Analytical Skills
सभी बड़े बीपीओ Recruitment Agency की हेल्प से hiring करती हैं। इच्छुक उम्मीदवार अपना बायोडाटा इन एजेंसीज में सबमिट करवा के अपना नाम इंटरव्यू के लिए रजिस्टर करवा सकते हैं।
टॉप बीपीओ कौन से हैं ? Top BPO’s in India
- जेनपैक्ट – Genpact
- इंफोसिस – Infosys
- विप्रो – Wipro
- टीसीएस -TCS
- एक्सेंचर – Accenture
- ईएक्सएल – EXL
- डब्ल्यूएनएस – WNS
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