Dope test meaning and Rules in hindi-डोपिंग

डोपिंग टेस्ट की सम्पूर्ण जानकारी- Doping Test in hindi

डोपिंग टेस्ट में फेल हो जाने की वजह से खिलाड़ियों को प्रतिबंध का सामना करना पड़ता है। तब आम आदमी के मन में सवाल उठता है कि आखिर ये डोप टेस्ट क्या होता है? डोप टेस्ट क्यों किया जाता है? और डोप टेस्ट में खिलाड़ी फेल क्या होते हैं?

क्या होती है डोपिंग? doping meaning in hindi

खिलाड़ियों का डोपिंग विवाद में फंसने का मतलब आमतौर पर यह लगाया जाता है कि किसी खिलाड़ी ने अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए दवाओं का सहारा लिया होगा। मोटे तौर पर यह सही है लेकिन बारीकी से देखें तो पता चलता है कि यह काफी पेचीदा मामला है।

वैसे डोपिंग आधुनिक खेलों को नहीं प्राचीन खेलों को भी प्रभावित करता रहा है। इतिहास में जाएं तो पता चलता है कि डोपिंग कोई नई बात नहीं है। मुकाबले में दूसरों को हराने के लिए प्राचीन ग्रीक खिलाड़ी भी ऐसा किया करते थे।

दरअसल खिलाड़ी की बढ़ती हुई उम्र उसके लिए एक समस्या होती है क्योंकि वह अपने आप को हमेशा के लिए दमदार बनाए नहीं रख सकता। समय के साथ स्टेमिना में कमी होना लाजमी है।

इस कमी के दर को कम करने या फिर आर्टिफिशियल तरीके से खुद को मजबूत बनाए रखने के लिए वे ड्रग्स का सहारा लेते हैं। आधुनिक खेलों के साथ जुड़ा ग्लैमर और पैसा इसके लिए उत्प्रेरक का काम करता है।

क्या है कानूनी प्रावधान?

खिलाड़ियों के लिए दवाइयों के इस्तेमाल की हद दो बातें तय करती हैंए दवाई का असर और उसके इस्तेमाल का कानूनी पहलू। एक बीमार आदमी के लिए दवा जरूरी हो सकती है लेकिन एथलीट जो कर रहे हैं वह डोपिंग कहलाएगी।

दर्दनाशक दवाई इबुप्रोफेन काफी हल्की दवा है लेकिन उसी की जगह अगर मॉर्फीन का इस्तेमाल हो तो वह कहीं भारी और नशीली है। उसका इस्तेमाल गैर कानूनी है। अगर खिलाड़ी अपनी किसी बीमारी के इलाज के लिए दवा ले रहा है तो वह संबंधित एजेन्सियों को इसकी सूचना देता है और एजेन्सी मामले की गंभीरता को देखते हुए उसे इसकी इजाजत या संबंधित दिशानिर्देश देती है। ऐसे मामले में नियत सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है।

डोपिंग के प्रकार- Types of doping

डोपिंग से हमेशा खिलाड़ियों को फायदा होता होए ऐसा भी नहीं है। ऐसी ढेरों दवाइयां है जो लंबे समय के बाद खिलाड़ियों के लिए घातक साबित होती है। वाडा ने डोपिंग के दौरान काम में ली जाने वाली दवाओं को पांच श्रेणियों में रखा गया है:

1. स्टेरॉयड

स्टेरॉयड हमारे शरीर में पहले से ही मौजूद होता हैए जैसे टेस्टोस्टेरोन। लेकिन कई बार जब एथलीट स्टेरॉयड के इंजेक्शन लेते हैं तो शरीर में इनका संतुलन बिगड़ जाता है। मर्दों में टेस्टोस्टेरोन पौरुष बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है।

इसके अलावा यह मासपेशियां भी बढ़ाता है और पुरुष खिलाड़ी इसीलिए इसका इस्तेमाल करते हैं। इसके कुछ खतरनाक नुकसान हो सकते हैं, जैसे मर्दों में स्तन उभरना। इसके अलावा इससे उनके हृदय और तंत्रिका तंत्र पर भी असर पड़ सकता है।

2.उत्तेजक पदार्थ

उत्तेजक पदार्थ शरीर को चुस्त कर देते हैंए दिमाग तेजी से चलने लगता है और चौकन्ना हो जाता है। ये प्रतियोगिता के दौरान प्रतिबंधित हैं लेकिन खिलाड़ी इनका इस्तेमाल खेल से पहले करते हैं जिससे शरीर में ज्यादा ऊर्जा का संचार हो।

इसके इस्तेमाल से बाद में शरीर बहुत थका हुआ महसूस करता है। इसे लगातार लंबे समय तक लेते रहने से दिल का दौरा पड़ने की भी संभावना होती है।

3. पेप्टाइड हार्मोन

स्टेरॉयड की ही तरह हार्मोन भी शरीर में मौजूद होते हैं। इसलिए इनका भी सेवन शरीर में असंतुलन पैदा करता है। इंसुलिन डायबिटीज के मरीज के लिए जीवन रक्षक हार्मोन है लेकिन एक स्वस्थ इंसान को अगर इंसुलिन दिया जाए तो शरीर से वसा घटती है और मासपेशियां बनती हैंए जो कि एथलीटों के लिए फायदे की बात है।

लेकिन इसके ज्यादा इस्तेमाल से शरीर में ग्लूकोज का स्तर बहुत घट जाने की भी संभावना होती है जिसे हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं। ऐसे में शरीर थक जाता है और ज्यादा काम नहीं कर पाता।

हार्मोन एक दूसरे से तालमेल बिठा कर चलते हैं और इन्हीं की मदद से मस्तिष्क को पता चलता है कि कब क्या काम होना है इसलिए इनमें असंतुलन की स्थिति में शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है। पेप्टाइड कई प्रोटीनों की जटिल संरचना को कहते हैंण् जैसे एरिथ्रो प्रोटीन।

4.नार्कोटिक्स

नार्कोटिक या मॉर्फीन जैसी दर्दनाशक दवाइयां डोपिंग में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती हैं। प्रतियोगिता के दौरान दर्द का अहसास होने पर अक्सर खिलाड़ियों को इन दवाइयों के इस्तेमाल की चाह होती है।

इनके इस्तेमाल से बेचैनी, थकान और नींद जैसे लक्षण हो सकते हैं। सिर दर्द और उलटी भी इनसे होने वाले नुकसान हैं। इनकी लत पड़ने की भी काफी संभावना होती है। दर्द न होने से शरीर को चोट का अहसास होता है लेकिन कई बार इन दवाइयों के सेवन से यह भी मुमकिन है कि खिलाड़ी खुद को कम दर्द के अहसास में ज्यादा चोटिल कर लें।

5.डाइयूरेटिक्स

डाइयूरेटिक्स के सेवन से शरीर पानी बाहर निकाल देता है जिससे कुश्ती जैसे खेलों में कम भार वाली श्रेणी में मौका मिलता है। डाइयूरेटिक्स का इस्तेमाल हाई ब्लड प्रेशर के इलाज में होता है।

शरीर से पानी बाहर निकाल देने से रक्तचाप भी कम हो जाता है। इसका असर भले कम समय के लिए रहे लेकन ये भारी पड़ सकता है। रक्त संचार तंत्र के सही ढंग से काम न करने की स्थिति में व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है।

डोपिंग रोकने वाली संस्था – Anti Doping Agency

वैश्विक स्तर पर डोपिंग की जांच करने का काम विश्व डोपिंग विरोधी संस्था या वाडा करती है जो अंतरराष्ट्रीय खेलों में ड्रग्स के बढ़ते चलन को रोकने के लिए बनाई गयी एक विश्वस्तरीय स्वतंत्र संस्था है।

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा वाडा की स्थापना 10 नवंबरए 1999 को स्विट्जरलैंड के लुसेन शहर में की गई थी। वर्तमान में वाडा का मुख्यालय कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर में है।

दिल्ली में भी वाडा से मान्यता प्राप्त एक प्रयोगशाला है। यह विश्व की 34वां प्रयोगशाला है। राष्ट्रीय स्तर पर डोपिंग की जांच करने का काम राष्ट्रीय डोपिंग रोधी संस्था या नाडा करती है।

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