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भारत के प्रमुख चौंसठ योगिनी मंदिर
चौंसठ योगिनी मंदिर की तंत्र साधकों में बहुत ज्यादा मान्यता है. भारत में चौंसठ योगिनी को समर्पित 11 प्रमुख मंदिर है. इसनमें से 2 मंदिर उड़ीसा, 5 मंदिर मध्य प्रदेश, तीन मंदिर उत्तर प्रदेश और एक मंदिर तमिलनाडु में स्थित है.
इन मंदिरों में चौंसठ मंदिर मुरैना chausath yogini temple, morena, चौंसठ योगिनी मंदिर खजुराहो, चौंसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट और चौंसठ योगिनी मंदिर हीरापुर प्रमुख हैं। इसमें से मुरैना और खजुराहो के मंदिर मध्यप्रदेश और हीरापुर मंदिर उड़ीसा में स्थित है.
इन मंदिरों को शक्ति के अराधना स्थल के साथ ही तंत्र विद्या के विद्यालय की तरह भी स्थापित किया गया था। समय के साथ इनके तांत्रिक विद्यालय के पहलू को भुला दिया गया और अब यह मंदिर प्रकृति के स्त्री स्वरूप को पूजने के काम आते हैं.
चौंसठ योगिनी मंदिर खजुराहो
चौंसठ योगिनी मंदिर मध्यप्रदेश के खजुराहो में भी स्थित है. खजुराहों के मंदिरों में यह मंदिर सबसे प्राचीन है और अनुमान के अनुसार 885 ईसापूर्व बनाया गया था. यहां के दूसरे मंदिरों के वृताकार स्थापत्य के उलट यह मंदिर चौकोर आकार में बना हुआ है.
आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया ने इस मंदिर को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया हुआ है. कपालिका और कौल पंथ के लिए यह मंदिर चंदेल शासकों द्वारा बनाया गया है. नागर शैली में बना यह मंदिर बड़े—बड़े ग्रेनाइट के पत्थरों के आधार पर बना है. यहां पाई गई देवी की मूर्तियों को ब्रहृमाणी, माहेश्वरी और हिंगलाज या महिषमर्दिनी के तौर पर चिन्हित किया गया है.
चौंसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट
चौंसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट chausath yogini temple jabalpur मध्यप्रदेश के जबलपुर में स्थित है. जबलपुर का यह क्षेत्र अपने जलप्रपातों धुंआधार और भेड़ाघाट जल प्रपात के लिए भी जाना जाता है. भेड़ाघाट के प्रसिद्ध संगमरमर चट्टान के पास मां दुर्गा मंदिर के पास ही 64 योगिनी मंदिर स्थित है.
इस मंदिर के मध्य में महादेव की प्रतिमा स्थापित है. यह मंदिर 1000 ईसापूर्व कलचुरी वंश के शासको द्वारा बनवाया गया था. इस जगह को महर्षि भृगु की जन्मस्थली माना जाता है. नागर शैली में बने इस मंदिर में अब भगवान शिव और पार्वती की पूजा की जाती है.
मुरैना चौसठ योगिनी मंदिर chausath yogini temple morena या चौंसठ योगिनी मंदिर मितावली
मुरैना चौसठ योगिनी मंदिर या चौंसठ योगिनी मंदिर मितावली भारत में चौंसठ योगिनियों का सबसे प्राचीन मंदिर है. इस मदिर का निर्माण 1323 ईसापूर्व कच्छप राजा देवपाल ने करवाया था. इस तथ्य की पुष्टि वहां मिले शिलालेख के माध्यम से भी होती है.
इस मंदिर को प्राचीन काल में तंत्र साधना का सबसे बड़ा केन्द्र माना जाता था और पूरे भारत से तंत्र साधक यहां आकर इसकी शिक्षा प्राप्त किया करते थे. यहां भारतीय ज्योतिष और गणित की शिक्षा भी प्रदान की जाती थी. इस मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया है. नागर शैली में बने इस गोलाकार मंदिर का स्थापत्य अपने आप में अनूठा है.
चौंसठ योगिनी मंदिर chausath yogini mandir का भारतीय संसद से सम्बन्ध
मुरैना चौसठ योगिनी मंदिर 64 yogini mandir या चौंसठ योगिनी मंदिर मितावली के स्थापत्य का सम्बन्ध भारत के संसद भवन से है. इस मंदिर के स्थापत्य से प्रेरित होकर ही संसद भवन का निर्माण किया गया था. संसद भवन के गोलाकार संरचना और स्तम्भों को इसी मंदिर के अनुसार ही बनाया गया है.
कौन हैं ये चौंसठ योगिनी?
योगिनी का अर्थ है, योग की शिक्षिका लेकिन जब बात चौंसठ योगिनी की हो रही हो तब उसका प्रयोजन भिन्न होता है. तंत्र साधना में प्रकृति के स्त्री स्वरूप को योगिनी के तौर पर रूपायित किया जाता है.
प्रकृति की विभिन्न शक्तियों को स्त्री रूप में अराधना करने के लिए उन्हें 64 विभिन्न नाम उनके गुणों के अनुरूप दिए गए हैं. इसके बाद उनके नाम और गुण के आधार पर मंत्रों को विकसित किया गया है.
कई बार मातृकाओं को योगिनियां समझ लिया जाता है जबकि ये दोनों अलग—अलग हैं. 64 योगिनियों को तंत्र साधना के माध्यम से सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है और इसके अनुष्ठान के तरीके एकदम अलग होते हैं.
चौंसठ योगिनी के नाम- 64 yogini Names
- काली नित्य सिद्धमाता
- कपलिनी नागलक्ष्मी
- कुला देवी स्वर्णदेहा
- कुरुकुल्ला रसनाथा
- विरोधिनी विलासिनी
- प्रिचिता रक्तप्रिया
- उग्र रक्त भोग रूपा
- उग्रप्रभा शुक्रनाथा
- दीपा मुक्ति:रक्त देहा
- नीलाभुक्ति रक्तदेहा
- घनमहा जगदम्बा
- बलाका काम सेविता
- मातृदेवी आत्मविद्या
- मुद्रापूर्णा रजतकृपा
- मितातंत्र कौल दीक्षा
- महाकाली सिद्धेश्वरी
- कामेश्वरी सर्वशक्ति
- भगमालिनी तरिणी
- नित्यकलींना तंत्रार्पिता
- भैरुण्ड तत्व उत्तमा
- वहिनिवासिनी शासिनी
- महावज्रेश्वरी रक्त देवी
- शिवदूती आदि शक्ति
- त्वरिता उर्ध्वरेतादा
- कुलसुंदरी कामिनी
- नीलपताका सिद्धिदा
- नित्य ज्ञान स्वरूपिणी
- विजया देवी वसुदा
- सर्वमंगला तन्त्रदा
- ज्वालामालिनी नागिनी
- चित्रदेवी रक्तपूजा
- ललिताकन्या शुक्रदा
- डाकिनी मदशालिनी
- राकिनी पापराशिनी
- लाकिनी सर्वतन्त्रेसी
- काकिनी नागनर्तिकी
- शाकिनी मित्ररूपिणी
- हाकिनी मनोहारिणी
- तारा योग रक्तपूर्णा
- षोड़शी लतिका देवी
- भुवनेश्वरी मंत्रिणी
- छिन्न्मस्ता योनिवेगा
- भैरवी सत्य शुक्रिणी
- धूमावती कुण्डलिनी
- बगलामुखी गुरू मूर्ति
- मातंगी कान्तयुवती
- कमला शुक्ल संस्थिता
- प्रकृति ब्रह्मेन्द्री देवी
- गायत्री नित्यचित्रिणी
- मोहिनी माता योगिनी
- सरस्वती स्वर्ग देवी
- अन्नपूर्णी शिवसंगी
- नारसिंही वामदेवी
- गंगा योनि स्वरूपिणी
- अपराजिता समाप्तिदा
- चामुंडा परि अंगनाथा
- वाराही सत्येकाकिनी
- कौमारी क्रिया शक्तिनि
- इन्द्राणी मुक्ति नियन्त्रिणी
- ब्रह्माणी आन्नदा मूर्ती
- वैष्णवी सत्य रूपिणी
- माहेश्वरी पराशक्ति
- लक्ष्मी मनोरमायोनि
- दुर्गा सच्चिदानंद
चौंसठ योगिनी मंत्र
1. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री काली नित्य सिद्धमाता स्वाहा ।
2. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कपलिनी नागलक्ष्मी स्वाहा ।
3. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुला देवी स्वर्णदेहा स्वाहा ।
4. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुरुकुल्ला रसनाथा स्वाहा ।
5. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विरोधिनी विलासिनी स्वाहा ।
6. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विप्रचित्ता रक्तप्रिया स्वाहा ।
7. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री उग्र रक्त भोग रूपा स्वाहा ।
8. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री उग्रप्रभा शुक्रनाथा स्वाहा ।
9. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री दीपा मुक्तिः रक्ता देहा स्वाहा ।
10. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नीला भुक्ति रक्त स्पर्शा स्वाहा ।
11. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री घना महा जगदम्बा स्वाहा ।
12. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री बलाका काम सेविता स्वाहा ।
13. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मातृ देवी आत्मविद्या स्वाहा ।
14. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मुद्रा पूर्णा रजतकृपा स्वाहा ।
15. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मिता तंत्र कौला दीक्षा स्वाहा ।
16. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री महाकाली सिद्धेश्वरी स्वाहा ।
17. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कामेश्वरी सर्वशक्ति स्वाहा ।
18. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भगमालिनी तारिणी स्वाहा ।
19. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नित्यकलींना तंत्रार्पिता स्वाहा ।
20. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भैरुण्ड तत्त्व उत्तमा स्वाहा ।
21. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वह्निवासिनी शासिनि स्वाहा ।
22. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री महवज्रेश्वरी रक्त देवी स्वाहा ।
23. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री शिवदूती आदि शक्ति स्वाहा ।
24. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री त्वरिता ऊर्ध्वरेतादा स्वाहा ।
25. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुलसुंदरी कामिनी स्वाहा ।
26. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नीलपताका सिद्धिदा स्वाहा ।
27. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नित्य जनन स्वरूपिणी स्वाहा ।
28. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विजया देवी वसुदा स्वाहा ।
29. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री सर्वमङ्गला तन्त्रदा स्वाहा ।
30. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ज्वालामालिनी नागिनी स्वाहा ।
31. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री चित्रा देवी रक्तपुजा स्वाहा ।
32. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ललिता कन्या शुक्रदा स्वाहा ।
33. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री डाकिनी मदसालिनी स्वाहा ।
34. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री राकिनी पापराशिनी स्वाहा ।
35. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री लाकिनी सर्वतन्त्रेसी स्वाहा ।
36. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री काकिनी नागनार्तिकी स्वाहा ।
37. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री शाकिनी मित्ररूपिणी स्वाहा ।
38. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री हाकिनी मनोहारिणी स्वाहा ।
39. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री तारा योग रक्ता पूर्णा स्वाहा ।
40. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री षोडशी लतिका देवी स्वाहा ।
41. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भुवनेश्वरी मंत्रिणी स्वाहा ।
42. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री छिन्नमस्ता योनिवेगा स्वाहा ।
43. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भैरवी सत्य सुकरिणी स्वाहा ।
44. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री धूमावती कुण्डलिनी स्वाहा ।
45. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री बगलामुखी गुरु मूर्ति स्वाहा ।
46. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मातंगी कांटा युवती स्वाहा ।
47. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कमला शुक्ल संस्थिता स्वाहा ।
48. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री प्रकृति ब्रह्मेन्द्री देवी स्वाहा ।
49. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री गायत्री नित्यचित्रिणी स्वाहा ।
50. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मोहिनी माता योगिनी स्वाहा ।
51. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री सरस्वती स्वर्गदेवी स्वाहा ।
52. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री अन्नपूर्णी शिवसंगी स्वाहा ।
53. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नारसिंही वामदेवी स्वाहा ।
54. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री गंगा योनि स्वरूपिणी स्वाहा ।
55. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री अपराजिता समाप्तिदा स्वाहा ।
56. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री चामुंडा परि अंगनाथा स्वाहा ।
57. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वाराही सत्येकाकिनी स्वाहा ।
58. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कौमारी क्रिया शक्तिनि स्वाहा ।
59. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री इन्द्राणी मुक्ति नियन्त्रिणी स्वाहा ।
60. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ब्रह्माणी आनन्दा मूर्ती स्वाहा ।
61. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वैष्णवी सत्य रूपिणी स्वाहा ।
62. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री माहेश्वरी पराशक्ति स्वाहा ।
63. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री लक्ष्मी मनोरमायोनि स्वाहा ।
64. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री दुर्गा सच्चिदानंद स्वाहा!
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