Information about Amar Jawan Jyoti-अमर जवान ज्योति

Essay on Amar Jawan Jyoti – अमर जवान ज्योति के बारे मेंं जानकारी

अमर जवान ज्योति देश के महान रणबांकुरों के प्राणोत्सर्ग का ऐसा स्मारक है जो हमें गर्व से भर देता है. अमर जवान ज्योति स्मारक के निर्माण से लेकर इसके महत्व से जुड़े ऐसे अनेक तथ्य है कि जिसके बारे में आज की युवा पीढ़ी को कम ही जानकारी प्राप्त है.

अमर जवान ज्योति पर निबंध लेख के माध्यम से हम आपको Amar Jawan Jyoti के बारे में बहुत सारी ऐसी ही बातों से अवगत करवाने जा रहे हैं.

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कैसे बना अमर जवान ज्योति?

अमर जवान ज्योति का निर्माण साल 1971 में भारत—पाकिस्तान युद्ध के बाद हुआ. इस युद्ध के बाद ही पाकिस्तान का एक हिस्सा टूटकर बांग्लादेश बना.

इस लड़ाई में भारतीय सेना ने अपने रणकौशल के माध्यम से न सिर्फ पाकिस्तान को हराया बल्कि उसके हजारो सैनिकों को बंदी भी बना लिया, जिन्हें बाद में शिमला समझौते के तहत पाकिस्तान को सौंप दिया गया.

इस स्मारक का निर्माण इस युद्ध को लड़ते हुये अपनी जान कुर्बान कर देने वाले जवानों की याद में किया गया. ऐसे स्मारक का निर्माण करने के लिये जब जगह निश्चित करने की बात की गई तो उस समय भारत के युद्ध स्मारक इंडिया गेट को इसके लिये चुना गया.

इंडिया गेट राजपथ पर स्थित अंग्रेजों द्वारा बनाया गया एक युद्ध स्मारक था. यह युद्ध स्मारक प्र​थम विश्व युद्ध में ब्रिटिश भारतीय सेना के शहीदों की स्मृति में बनाया गया है.

यहां 13 हजार 516 सैनिकों के नाम भी लिखे हुये हैं. इस स्मारक का डिजाइन सर एडविन लुटयंस ने बताया था. इस इमारत के नीचे ही अमर जवान ज्योति इंडिया गेट पर बनाने का फैसला लिया गया.

कैसा है Amar Jawan Jyoti का डिजाइन?

Amar Jawan Jyoti काले संगमरमर के एक पैडेस्ट्रल का स्वरूप दिया हुआ है. इस पर एक बंदूक एल1ए1 सेल्फ लोडिंग राइफल उल्टी करके लगाई गई है. इस राइफल पर एक अज्ञात सैनिक का हेलमेट लगाया गया है. इस पैडेस्ट्रल के चारो तरफ ‘अमर जवान’ लिखा हुआ है.

इस स्मारक पर लगी बंदूक एक विशेष बंदूक है जिसे एल1ए1 सेल्फ लोडिंग राइफल या एसएलआर भी कहा जाता है. इसे युनाइटेड किंगडम यानी ग्रेट ब्रिटेन में बनाया गया है.

1954 में बनाई गई यह बंदूक आज तक इस्तेमाल में लाई जा रही है. इसे सबसे पहले ब्रिटिश शाही आर्म्स फैक्ट्री में बनाया गया और जहां—जहां अंग्रेजों का राज रहा, उन सारी देशों की सेनायें इसका उपयोग करती हैं.

भारतीय सेना इसका थोड़ा परिवर्धित वर्जन जिसे इसापोर 1ए1 कहा जाता है, उपयोग में लेती है. इसका निर्माण भारत में आर्डिनेन्स फैक्ट्री त्रिचुरापल्ली में किया जाता है. Amar Jawan Jyoti में यही वर्जन उपयोग में लिया गया है.

अमर जवान ज्योति में चारों ओर चार मशाल लगी हुई हैं. इसमें से एक में लगातार अग्नि प्रज्वलित रहती है. पहले इसे प्रज्वलित करने के लिये एलपीजी का उपयोग होता था लेकिन 2006 से इसके लिये सीएनजी का उपयोग होता है. इस स्मारक की सुरक्षा के लिये भारतीय थलसेना, वायुसेना और जल सेना तीनो से प्रहरी लगाये जाते हैं.

Amar Jawan Jyoti के सम्बन्ध में रोचक तथ्य

अमर जवान ज्योति भारत का सबसे प्रसिद्ध युद्ध स्मारक है.

अमर जवान ज्योति का उद्घाटन तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी, 1972 में किया था.

Amar Jawan Jyoti का निर्माण दिसम्बर 1971 में पूर्ण कर लिया गया था.

इसका डिजाइन इंडियन आर्मी कॉर्प्स आफ इंजीनियर ने तैयार किया था.

वर्ष पर्यन्त इसकी एक मशाल जलती रहती है लेकिन स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के दौरान चारों मशालों को प्रज्वलित किया जाता है.

Amar Jawan Meaning – अमर जवान ज्योति हमेशा क्यों जलती रहती है?

Amar Jawan Jyoti पर दीपक हमेशा जलता रहता है, इसके पीछे एक दार्शनिक सोच है कि देश सेवा में अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान करने वाले जवान की ख्याति कभी नहीं मरती, उसका शरीर जरूर मर गया है लेकिन देश प्रेम की उसकी भावना ने उसे हमेशा के लिये अमर कर दिया है और लगातार जलती इस ज्योति की तरह उसका बलिदान भी सदैव प्रज्वलित रहेगा.

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