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गगनयान मिशन की जानकारी-Gaganyaan in hindi
गगनयान मिशन इसरो का एक महत्वकांक्षी परियोजना है. इस महत्वपूर्ण परियोजना में भारत पहली बार अपने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजेगा.
हाल ही में इसरो के चीफ के. सीवन ने इस बात की घोषणा की है कि इस अभियान के लिये भारतीय वायुसेना के 4 लोगों का चयन भी कर लिया गया है लेकिन अभी उनके नाम उजागर नहीं किये गये हैं.
क्या है मिशन गगनयान? Misson Gaganyaan Information
इसरो का मिशन गगनयान अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में ले जाने वाला एक बेहतरीन प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट के लिये भारत सरकार 10 हजार करोड़ रूपये का व्यय करेगी 10 Thousand Crore Budget For Gaganyaan Mission. इस अभियान की घोषणा 15 अगस्त 2018 को भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी.
इस मानवमिशन को गगनयान का नाम दिया गया है. गगनयान एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है आकाश में चलने वाला जहाज. अगर यह अभियान सफल हो जाता है तो भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद इस करिश्मे को करने वाला चौथा मुल्क होगा जो अपने यान के माध्यम से अंतरिक्ष में मानव को भेजेगा.
कैसा होगा गगनयान का डिजाइन? Gaganyaan Design Information
गगनयान को डिजाइन करने के दौरान इस बात का ध्यान रखा गया है कि उससे तीन से चार अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजा जा सके. इसके लिये इसरो ने नासा के मर्करी यान से प्रेरणा ली है और उसका डिजाइन नासा के पहले मानवयुक्त विमान Mercury Class spacecraft जैसा रखा गया है.
दरअसल मर्करी एअरक्राफ्ट का डिजाइन इसरो की सभी जरूरते पूरी करता था. एक तो इसका निर्माण करना सस्ता है जो इसरो की प्राथमिकता में से एक है, दूसरे इसकी लैंडिग में पैराशूट का उपयोग होता है जो इसे ज्यादा सुरक्षित और कम खर्चीला बनाता है. साथ ही इसकी तकनीक भी नासा के आधुनिक विमानों की तुलना में कहीं ज्यादा सरल है.
गगनयान में मुख्य रूप से दो भाग होंगे. इसका पहला हिस्सा सर्विस मॉड्यूल कहलाता है और दूसरे हिस्से में यात्री रहेंगे इसलिये इस क्रू मॉड्यूल कहा जाता है. पहले हिस्से में यान के कम्यूनिकेशन सिस्टम और दूसरे जरूरी सिस्टम तथा उपकरण फिट किये जायेंगे.
यान के क्रू मॉड्यूल को यात्रियों के बैठने और अंतरिक्ष में उनके निवास के दौरान रहने के लिये डिजाइन किया जायेगा. जिसमें उनकी जरूरत की सारी चीजें होंगी.
इस हिस्से को लैंडिंग को ध्यान में रखकर भी बनाया जा रहा है. इसे आग और तापरोधी बनाने के साथ ही शॉकप्रूफ भी बनाया जायेगा ताकि लैंडिंग करते समय यात्री सुरक्षित रहें. अंतरिक्ष में रेडियेशन और सूर्य की गर्मी से बचाने के लिये इस पर कार्बन शीट्स की परते भी चढ़ाई जायेंगी.
मर्करी एअरक्राफ्ट के डिजाइन को ध्यान में रखे तों गगनयान का वजन करीब 3800 किलो के आस—पास होगा. ये यान तीन क्रू मेंबर्स को निचली आर्बिट में स्थापित कर पायेगा. इसे अंतरिक्ष में स्थापित किरने के लिये इसरो अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट GSLV MARK 3 ROCKET का उपयोग करेगा.
इसरो अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने से पहले दो बार पुतलों के साथ मिशन लांच का अभ्यास करेगा. पहली टेस्टिंग दिसम्बर 2020 में की जायेगी और इसके बाद दूसरी बार पुतलों के साथ जुलाई 2021 में इस प्रयोग को दोहराया जायेगा.
इन प्रयोगों के आधार पर ही यह तय किया जायेगा कि गगनयान में कितनी संख्या में अंतरिक्ष यात्री भेजे जा सकते हैं.
गगनयान का इतिहास Gaganyaan Timeline in hindi
गगनयान दरअसल इसरो का पहला मैन मिशन है. इसकी शुरूआत 2006 से शुरू होती है जब पहली बार इसरो ने इस बात की परिकल्पना की कि वह स्पेस में अपने बूते अंतरिक्ष यात्री भेजेगा.
इसके लिये तकनीक और यान के डिजाइन पर काम भी शुरू हुआ. 2007 में एक 550 किलो के यान का डिजाइन भी तैयार किया गया लेकिन कुछ कारणों से यह प्रोजेक्ट टलता रहा. इसे Space Capsule Recovery या SRE-1 के नाम से जाना गया और इसका एक परीक्षण भी किया गया. यह परीक्षण सफल रहा था.
फरवरी 2014 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली और केन्द्र सरकार ने इसके लिये 10 हजार करोड़ का बजट आवंटित किया. इस तरह पहली बार केन्द्र सरकार द्वारा Gaganyaan Mission को मंजूरी प्राप्त हुई और इसके काम में तेजी आई.
गगनयान मिशन में जायेंगे व्योमनोट्स Vyomnauts Of India
गगनयान मिशन के लिये भारतीय वायुसेना से चार लोगों का चयन किया गया है लेकिन इनमें से कितनी संख्या में यात्री जिनहें इसरो ने व्योमनोट का नाम दिया है, अंतरिक्ष में जायेंगे अभी निर्धारित नहीं किया जा सका है.
यह निर्धारण दो टेस्टिंग के बाद ही किया जायेगा कि कितने व्योमनोट्स इस यान से जायेंगे. फिलहाल तीन यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजे जाने का अनुमान लगाया हात रहा है.
इन व्योमनोट्स को रूस की स्पेस एजेंसी के माध्यम से प्रशिक्षण दिलवाया जायेगा. रूस की एजेंसी के साथ ही बैंगलोर में भी इनके लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा. इनमें लिये स्पेस सूट से लेकर आवश्यक उपकरण तक इसरो अपने बलबूते बनाने का प्रयास कर रहा है.
कब लाँच होगा गगनयान – Launching Of Gaganyaan
इसरो गगनयान को दिसंबर 2021 में लाँच करने का प्रयास करेगा. यह तभी हो सकेगा जब गगनयान के आने वाले परिक्षण सफल रहते हैं और इन परीक्षणों के दौरान कोई बड़ी परेशानी या बाधा सामने नहीं आती है.
अगर सबकुछ ठीक रहा तो दिसम्बर 2021 में भारत के साथ पूरी दुनिया इन ऐतिहासिक क्षणों का गवाह बनेगी. भारत ये कारनामा करने वाला रूस, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का चौथा देश बन जायेगा.
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