Sikh holy places – सिख धर्म के प्रमुख गुरूद्वारे और तख्त

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सिख पंथ के धार्मिक और पवित्र स्थान

सिख धर्म में गुरूद्वारे को पवित्र माना जाता है और उसे गुरू का स्थान माना जाता है. सिख श्रद्धालुओं और अनुयायियों ने पूरी दुनिया बहुत ही वैभवशाली, सुन्दर और भव्य गुरूद्वारों का निर्माण करवाया है लेकिन फिर भी कुछ धार्मिक स्थानों का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व अधिक है. सिख पंथ में महत्वपूर्ण माने जाने वाले प्रमुख धार्मिक स्थल इस प्रकार है-

सिख धर्म के पांच तख्त 

अकाल तख्त साहिब, अमृतसर, पंजाब

श्री दरबार साहिब की दर्शनी ड्योढ़ी के सामने सिख कौम का प्रसिद्ध गुरूद्वारा और शिरोमणि तख्त श्री अकाल तख्त साहिब है। इसका निर्माण श्री गुरू हरगोबिंद साहिब जी ने करवाया था. यहां सिख पंथ से सम्बन्धित मामलों पर निर्णय लिया जाता है. इसी पवित्र स्थान पर गुरू साहिब और सिख शहीदों के अस्त्र रखें गये हैं.

श्री हरिमन्दिर साहिब, पटना साहिब, बिहार

पटना स्थित श्री हरिमंदिर साहिब को तख्त श्री पटना साहिब के नाम से भी जाना जाता है. यहीं पर गुरू गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था. यह सिख कौम का दूसरा तख्त है. यहां पर गुरू गोबिंद सिंह जी से सम्बन्धित और भी गुरूद्वारे स्थित है.

श्री केसरगढ़ साहिब, आन्दपुर साहिब, पंजाब

श्री केसरगढ़ साहिब गुरूद्वारे को श्री आनंदपुर साहिब के नाम से जाना जाता है. इस गुरूद्वारे का सम्बन्ध गुरू गोबिंद सिंह जी से है. इसी स्थान पर गुरूजी ने पांच प्यारों का चुनाव किया था और खालसा पंथ की स्थापना की थी. यह सिख धर्म का तीसरा तख्त है. यहां होले महले के अवसर पर बहुत बड़ा मेला लगता है.

श्री हजूर साहिब, नांदेड़, महाराष्ट्र

श्री हजूर साहिब, श्री अबचल नगर गुरूद्वारा दक्षिण में गोदावरी नदी के किनारे पर नादेड़ शहर के पास श्री दशमेश जी का पवित्र स्थान है. यह खालसा पंथ का चैथा तख्त है. गुरू जी यहीं पर दिव्य ज्योति में लीन हुये थे.

यहीं पर गुरू गोबिन्द सिंह जी ने गुरू ग्रंथ हिब को गुरू गद्दी प्रदान की थी और आदेश दिया था कि उनके पश्चात कोई देहधारी गुरू नहीं होगा. पांच प्यारे गुरू का शरीर होंगे और गुरू ग्रंथ साहिब ज्योति स्वरूप गुरू होंगे.

श्री दमदमा साहिब, तलवंडी, बठिंडा, पंजाब

जिला बठिंडा के गांव साबो की तलवंडी में दशमेश जी का गुरूद्वारा है. इसे सिखो की काशी भी कहा जाता है. यहां पर गुय जी कई मास तक ठहरे थे. यहीं पर भाई डल्ला की परीक्षा ली गई थी.

यहां पर ही उनके अमृत पान करवा कर भाई डल्ला सिंह बनाया गया था. गुरू ग्रंथ साहिब की वर्तमान बीड़ गुरू साहिब जी ने यहीं पर लिखवाई थी. यह गुरूद्वारा सिख धर्म का पांचवा तख्त है.

इसके अलावा भी ढेरों गुरूद्वारें और पवित्र स्थान सिख धर्म से जुड़े हुये हैं, जिनमें से कुछ की सूची और संक्षिप्त जानकारी हम यहां दे रहे हैं.

सिख धर्म के प्रमुख गुरूद्वारे

श्री ननकाना साहिब जी

गुरूनानक देव जी का जन्म स्थान ननकाना साहिब सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है. यहां सिखों द्वारा एक भव्य गुरूद्वारे का निर्माण करवाया गया है. भारत विभाजन के बाद यह स्थान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में चला गया है.

 श्री पंजा साहिब जी

श्री पंजा साहिब जी भी सिखों के पहले गुरू नानकदेव जी के एक चमत्कार से जुड़ा हुआ है. यहीं पर गुरू नानक देव जी ने वली कंधारी के घमंड को तोड़ा था. यहां पर भी एक सुन्दर और भव्य गुरूद्वारे का निर्माण किया गया है. यह स्थान वर्तमान में पाकिस्तान के हसन-अब्दाल नामक स्थान पर स्थित है.

 श्री बेर साहिब सुल्तानपुर लोधी साहिब

श्री बेर साहिब में गुरू नानकदेव जी अपनी बहन नानकी जी के साथ कुछ समय रहे थे. यहां पर बेईं नाम की एक नदी बहती है, माना जाता है कि नानक देव जी वहां स्नान किया करते थे. यहां भी एक सुन्दर गुरूद्वारा बनाया गया है.

 गुरूद्वारा नानक मता

गुरूद्वारा नानक मत्ता उत्तरप्रदेश के पीलीभीत में स्थित है. इस स्थान पर नानक जी ने योगियों को भगवान तक पहुंचने का सच्चा मार्ग बताया था. इसी स्थान पर गुरू हरगोबिन्द साहिब जी ने प्रचार करते वक्त अपने चरण रखे थे.

श्री दरबार साहिब

श्री दरबार साहिब को खडूर साहिब के नाम से भी जाना जाता है. इस स्थान पर गुरू अंगद देव जी रहा करते थे. इसके साथ ही गुरूद्वारा मल्ल अखाड़ा है, जहां पर गुरू अंगद देव जी नौजवानों को शारीरिक व्यायाम व कुश्तियां आदि का परीक्षण दिया करते थे.

श्री बाउली साहिब

बाउली साहिब को श्री गोइन्दवाल साहिब के नाम से भी संबोधित किया जाता है. यह पवित्र गुरूद्वारा गोइदवाल नाम के स्थान पर स्थित है. गुरू अमरदास जी ने यहां पर लोगो के लिये तालाब का निर्माण करवाया था.

श्री दरबार साहिब

श्री दरबार साहिब अमृतसर शहर में स्थित है और इस गुरूद्वारे को हरिमन्दिर साहिब भी कहा जाता है. यह इस शहर केन्द्र बिन्दु है. दरबार साहिब की वजह से इस शहर को अपना नाम मिला है. अमृतशहर में अमृत सरोवर का निर्माण श्री गुरू रामदास जी ने करवाया था और श्री अर्जुन देव जी ने इसे पूरा करवाया.

इसी सरोवर के नाम पर इस शहर को अमृतसर कहा गया. इस सरोवर के बीच में एक बहुत ही सुंदर सुनहरे रंग का गुरूद्वारा निर्मित किया गया है जिसके मध्य भाग में पवित्र ग्रंथ गुरू ग्रंथ साहिब को रखा गया है.

इस गुरूद्वारे को ही गोल्डन टैम्पल या स्वर्ण मंदिर कहा जाता है. इस गुरूद्वारे की नीवं गुरू जी ने साई मियां मीर जी के हाथों रखवाई थी. इस गुरूद्वारे में सोने और संगरमरमर का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था. यह गुरूद्वारा सिख पंथ का केन्द्र स्थान है.

श्री दरबार साहिब, तरनतारन

श्री दरबार साहिब तरनतारन अमृतसर शहर के निकट ही स्थित तरनतारन में स्थित है. इस गुरूद्वारे का निर्माण गुरू अर्जुन देव जी ने करवाया था. इसके पास ही बहुत बड़ा सरोवर भी बनाया गया है. यहीं पर गुरू जी ने रोगियों के इलाज के लिये एक अस्पताल का निर्माण करवाया था.

गुरूद्वारा डेरा साहिब

गुरूद्वारा डेरा साहिब पाकिस्तान के लाहौर शहर में स्थित है. यह लाहौर में रावी नदी के तट पर निर्मित किया गया है. इस गुरूद्वारे का सम्बन्ध गुरू अर्जुन देव जी से है. गुरू अर्जुनदेव जी ने यही पर अपनी शहादत दी थी.

गुरूद्वारा गुरू की बडाली

गुरूद्वारा गुरू की बडाली अमृतसर शहर में ही स्थित है. इस स्थान पर छठी पातशाही गुरू हरगोबिन्द साहिब जी का प्रकाश हुआ था. यह गुरूद्वारा गांव बडाली में स्थित है.

गुरूद्वारा माता भागमरी

गुरूद्वारा माता भागमरी कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में स्थित है. यह पवित्र स्थान छठी पातशाही श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी से सम्बन्धित है. यहां पर गुरू जी ने धर्म प्रचार भ्रमण के दौरान ठहरा करते थे और माता भागमरी का श्रद्धा से तैयार किया गया कुर्ता जा कर पहना था.

कीरतपुर साहिब

श्री कीरतपुर साहिब गुरूद्वारे को शीशमहल के नाम से संबोधित किया जाता है. यह गुरूद्वारा रोपड़ के कीरतपुर शहर में स्थित है. इसका निर्माण श्री गुरू हरगोबिंद साहिब जी ने करवाया था.

गुरूद्वारा शीशमहल में स्वयं गुरूजी रहा करते थे. इसी स्थान को श्री गुरू हरिराय साहिब तथा श्री गुरू हरिकृष्ण साहिब जी का जन्मस्थली होने का गौरव प्राप्त है.

गुरूद्वार पंजोखेड़ा साहिब

गुरूद्वारा पंजोखेड़ा साहिब अम्बाला शहर में स्थित है. श्री गुरू हरिकृष्ण जी साहिब दिल्ली जाते वक्त यहां ठहरे थे. इसी स्थान पर गुरू जी ने अनपढ़ छज्जू राम झीवर से गीता के अर्थ करवा कर लाल चंद पंडित का अहंकार तोड़ा था.

श्री बंगला साहिब

श्री बंगला साहिब गुरूद्वारा नई दिल्ली मंे स्थित है. इस गुरूद्वारे में श्री गुरू हरिकृष्ण जी साहिब ने निवास किया था. यहां पर उनके श्रद्धालु राजा मिर्जा जय सिंह ने बंगला बनवाया था. इसी वजह से इस गुरूद्वारे को अपना नाम मिला है.

श्री बाला साहिब

श्री बाला साहिब गुरूद्वारा भी दिल्ली में ही स्थित है. यह गुरूद्वारा यमुना के तट पर उस स्थान पर निर्मित किया गया है जहां श्री हरिकृष्ण साहिब का अंतिम संस्कार किया गया था. बाद में इसी स्थान पर माता साहिब और माता श्री सुंदर कौर जी का संस्कार इसी स्थान पर हुआ था.

श्री शीश गंज साहिब – आनंदपुर साहिब

श्री शीश गंज साहिब गुरूद्वारे को आनंदपुर साहिब के नाम से भी जाना जाता है. यहां पर श्री गुरू तेगबहादुर जी के शीश का संस्कार किया गया था.

श्री शीश गंज साहिब

श्री गुरू तेग बहादुर जी को दिल्ली में जिस स्थान पर शहादत मिली थी वहां श्री शीश गंज साहिब गुरूद्वारा निर्मित किया गया है. यह गुरूद्वारा लाल किले से आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

गुरू के महल

गुरू के महल गुरूद्वारा अमृतसर में स्थित एक और प्रमुख गुरूद्वारा है. गुरू बाजार अमृतसर में स्थित इसी गुरूद्वारे में गुरू तेग बहादुर साहिब का जन्म हुआ था.

गुरूद्वारा बाबा बकाला

गुरूद्वारा बाबा बकाला पंजाब के अमृतसर जिले में स्थित है. अमृतसर जिले के बाबा बकाला गांव का यह गुरूद्वारा गुरू तेग बहादुर जी से सम्बन्धित है. गुरू तेग बहादुर जी ने गुरू बनने से पहले यहीं पर प्रभु सिमरण किया करते थे.

श्री रकाब गंज साहिब

श्री रकाब गंज साहिब जी नई दिल्ली के चांदनी चैक से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह स्थान भी गुरू तेग बहादुर जी के शहादत से जुड़ा हुआ है, यहां गुरू साहिब के धड़ का संस्कार किया गया था.

श्री पाउंटा साहिब

श्री पाउंटा साहिब गुरूद्वारा हिमाचल प्रदेश के नाहन में स्थित है. इस गुरूद्वारे का सम्बन्ध गुरू गोविन्द सिंह जी से है. यहां पर गुरू जी ने एक किले का निर्माण करवाया था. भंगाणी का युद्ध इसी किले के नजदीक हुआ था. यहां पर ही साहिबजादे अजीत सिंह जी का जन्म हुआ था. यहीं पर ही जप जी साहिब, स्वव्ये और अकाल उस्तति वाणिओं की रचना हुई थी.

श्री चमकौर साहिब

श्री चमकौर साहिब पंजाब के गढ़ी में स्थित हैं. इनको श्री गढ़ी साहिब के नाम से भी जाना जाता है. यहीं पर स्थित गढ़ी में 40 सिखों ने लाखों की अफगान फौज का सामना किया था. साहिबजादा अजीत सिंह जी और साहिबजादा जुझार सिंह जी यहीं पर शहीद हुये थे.

गुरूद्वारा फतेह गढ़ साहिब जी

यह गुरूद्वारा आधुनिक फतेहगढ़ जिले में स्थित है. यहीं पर गुरू गोबिन्द सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह जी और फतेह सिंह जी को जिंदी ही दिवार में चिनवा कर सरहंद के नवाब वजीर खान ने शहीद करवाया था. यहां पर ही माता गुजरी जी ने शहीदी प्राप्त की थी.

गुरूद्वारा जफरनामा

बठिंडा जिले के गांव कांगड़ में स्थित यह गुरूद्वारा वह स्थान है जहां पर गुरू गोबिन्द सिंह जी ने फारसी में जीत की पत्रिका यानी जफरनामा भाई दया सिंह जी के हाथ औरंगजेब को भेजी थी.

श्री दरबार साहिब मुक्तसर साहिब

यह गुरूद्वारा पाकिस्तान के फरीदकोट में स्थित है. यहां पर माई भाग कौर, भाई महां सिंह और अनेक साथियों ने मुगल फौज के साथ घमासान युद्ध किया था.

यहां पर गुरू गोबिन्द सिंह जी ने शहीद शुरवीरों को सम्मानित किया था. यहां पर एक बहुत बड़ा सरोवर है। साथ ही गुरूद्वारा शहीद गंज है. यहां पर मुक्तसर के युद्ध में शहीद हुये शहीदों का संस्कार किया गया था.

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