essay on haridwar in hindi- हरिद्वार यात्रा

हरिद्वार तीर्थ की जानकारी – haridwar ki yatra in hindi

हरिद्वार तीर्थ हिंदुओं का सबसे पौराणिक और पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है. हिंदु वैष्णव सम्प्रदाय के लिये तो यह तीर्थस्थल सबसे महत्वपूर्ण है. यहां लोग अपने पापों को त्यागने के लिये आते हैं और पुण्य ग्रहण करने आते हैं.

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हरिद्वार को गंगा की वजह से बहुत पवित्र माना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार भगीरथ ने कठोर तपस्या के बाद गंगा को पृथ्वी पर लाने में सफलता प्राप्त की थी. गंगा को स्वर्ग की नदी माना जाता है और हिंदु धर्म में गंगा नदी के जल के बहुत पवित्र माना जाता है.

हरिद्वार का इतिहास- essay on haridwar in hindi

हरिद्वार का विवरण सभी हिंदु पुराणों और ग्रंथों में कहीं न कहीं मिलता है. हरिद्वारा का पुराना नाम मायापुरी बताया गया है. वर्षों पहले इस क्षेत्र को माया क्षेत्र भी कहा जाता था. हरिद्वार का विवरण ह्वेनसांग के यात्रा विवरणों मंे भी मिलता है, वह भी अपनी भारत यात्रा के दौरान हरिद्वार आया था.

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हरिद्वार के दर्शनीय स्थल – haridwar ka mahatva

हरिद्वार में गंगा का अवतरण मैदानी क्षेत्र में होता है. हरिद्वार का शाब्दिक अर्थ भी यही है कि हरि का द्वार अर्थात विष्णु तक पहुंचने का दरवाजा.

हर की पौढ़ी

यहां गंगा नदी में स्नान करने के लिये कई घाट बने हुये हैं लेकिन सबसे अधिक महिमामयी हर की पौढ़ी को माना गया है. हर की पौढ़ी स्थानीय भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है भगवान का घाट.

ब्रह्म कुंड

हर की पौढ़ी के नजदीक ही एक विशाल कुंड है. इस कुण्ड को ब्रह्म कुण्ड कहा जाता है. इस कुण्ड को बहुत पवित्र माना जाता है. इसे अमृत के घड़े की संज्ञा दी गई है. ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के बाद जब अमृत के कलश को लेकर देवता भाग रहे थे तो उसमें से एक बुंद अमृत इस कुण्ड में गिर गया था. इस कुण्ड में गिरे अमृत के कारण ही हरिद्वार में हर 12 साल बाद कुभं का मेला लगता है.

घंटाघर का चबूतरा

हरिद्वार के दर्शनीय स्थलों में घंटाघर का चबूतरा भी एक माना जाता है. इस विशाल चबूतरे पर हजारों आदमी बैठ सकते हैं. गंगा किनारे बने इस चबूतरे पर बैठकर गंगा नदी के सौंदर्य का आनंद उठाया जा सकता है. यहां ढेरो छतरियां भी बनी हुई है.

गंगाजी का मंदिर

हरिद्वार में गंगा का स्थान सबसे उच्च है. यहां गंगा के मंदिर भी दर्शनीय है. ब्रह्मकुण्ड के बीच दो गंगा मंदिर बने हुये हैं. यहां होने वाली गंगा आरती की प्रसिद्धि पूरी दुनिया में फैली हुई है. यहां संध्या आरती के दौरान हजारों लोगों की भीड़ होती है. इसी समय गंगा में दीपदान किया जाता है और नदी की सतह पर तैरते हजारों दिये नयनाभिराम दृश्य पैदा करते हैं.

गंगा नदी के अन्य घाट

हरिद्वार में हर की पौढ़ी के अलावा भी ढेरों घाट है और उनकी अपनी विशेषतायें हैं. यहां एक घाट सुभाष घाट है, यहां सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति स्थापित की गई है.

इसके आगे का घाट गौ घाट कहलाता है. यह घाट महारानी अहिल्याबाई ने बनवाया था और सार्वजनिक संपति के तौर पर दान कर दिया था. इसी घाट पर तीर्थ यात्री अपने पापों का प्रायश्चित करते थे.

इसके अलावा यहां श्रवणनाथ घाट, विष्णु घाट और गणेश घाट पर भी खासी भीड़ देखने को मिलती है. श्रवणनाथ घाट महात्मा श्रवणनाथ जी की स्मृति में बना हुआ है. हरिद्वार में महात्मा श्रवणनाथ जी एक गद्दी भी स्थापित है. दशहरे के दिन यहां विशेष भीड़ होती है. यहां भी आपको एक शिव मंदिर और गंगा मंदिर देखने को मिलता है.

गणेश घाट पर कई छोटे-छोटे मंदिर देखने को मिलते हैं लेकिन यहां का विशेष आकर्षण हनुमान जी की वह विशाल मूर्ति है जो अब हरिद्वार का प्रतीक बनती जा रही है.

नीलेश्वर महादेव

वैसे तो हरिद्वार में चारो ओर गंगा और भगवान विष्णु का ही वर्चस्व है लेकिन नजदीक की एक पहाड़ी जिसे यहां नील पहाड़ी के नाम से जाना जाता है, वहां पर नीलेश्वर महादेव बिराजे हुये हैं.

यहां के बारे में एक कथा विख्यात है कि भगवान शंकर का एक गण जिसका नाम नील था, उसने भगवान शिव का कठोर तप किया. भगवान शिव ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर यहीं पर वास किया और इसी गण के नाम पर यहां शिव नीलेश्वर महादेव कहलाने लगे.

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इसी पहाड़ी पर चंडीदेवी का भी एक प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण जम्मू महाराजा सरजीत सिंह नेकरवाया था. यहां पर आपको गौरीशंकर, और नागेश्वर महादेव के भी दर्शन होते हैं.

अंजनी देवी का मंदिर

हरिद्वार एक तरह से मंदिरों का ही शहर है, यहां पर अनगिनत मंदिर है. यहां पर आपको हनुमान जी की माता अंजनीदेवी का मंदिर भी देखने को मिलता है जो नील पहाड़ी की दूसरी ओर बना हुआ है.

गीता मंदिर

हरिद्वार में बहुत से मंदिर प्राचीन है लेकिन हाल ही में बने मंदिरों में गीता मंदिर का नाम सबसे प्रमुखता से लिया जाता है. यहां भगवान मृत्युंजय की सुंदर प्रतिमा स्थापित की गई है जो संगमरमर की बनी हुई है.

मनसा देवी का मंदिर – about mansa devi temple haridwar in hindi

मनसा देवी का मंदिर भी हरिद्वार के प्रख्यात मंदिरों में से एक है. यह मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. इस तक पहुंचने का रास्ता शहर के बीच में से होकर जाता है. पहले चढ़ाई थोड़ी कठिन हुआ करती थी लेकिन अब सुगम रास्ता बन गया है. हरिद्वार आने वाले श्रद्धालु मनसा माता के दर्शन करने जरूर जाते हैं.

कनखल

हरिद्वार से थोड़ी ही दूरी पर कनखल बसा हुआ है, यहां गंगा जी की धार को नीलधारा कहा जाता है. यहां पर दक्षेश्वर महादेव का मंदिर है. इस मंदिर को सती के पिता दक्ष को भगवान शिव द्वारा पुनर्जीवित करने से जोड़ा जाता है, यहां का बड़ा महात्मय माना गया है. यहां सावन में बड़ा मेला लगता है. यहीं पास में एक तालाब है जिसे सती ताल कहा जाता है.

कनखल अपने मंदिरों से ज्यादा मठों के लिये मशहूर है. यहां साधुओं की कई गद्दियां हैं. यहां का निर्मल अखाड़ा बहुत मशहूर है. इसके अलावा उदासी, निर्वाणी और निरंजनी अखाड़ों की भी विशेष पहचान है.

कनखल में रामतीर्थ मिशन का एक अस्पताल भी है जिसमें रोगियों की सेवा की जाती है. गद्दियों और अखाड़ो में भी सुदंर मंदिर बने हुये हैं.

सप्तधारा और भीमगोड़ा

हरिद्वार एक पहाड़ी क्षेत्र है और यहां कई स्थानों पर निर्मल जलधारायें धरती से फूटती है. भीमगोड़ा और सप्तधारायें ऐसी ही प्रमुख धारायें हैं. भीमगोड़ा के बारे में कथा विख्यात है कि महाबली भीम ने अपने पैर से मारकर जलधारा निकाल दी थी इसीलिये इसे भीमगोड़ा कहा जाता है.

सप्तधाराओं के बारे में माना जाता है कि यहां गंगाजी की धारा सात भागों में विभक्त हो जाती है क्योंकि इस पवित्र स्थान पर सात ऋषियों ने तपस्या की थी. उन्हीं की स्मृति में यहां सात आश्रम भी बनाये गये हैं. इन्हें सप्त ऋषि आश्रम कहा जाता है.

कांगड़ी गुरूकुल

कांगड़ी गुरूकुल हरिद्वार के सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है. इस गुरूकुल की स्थापना स्वामी श्रद्धानंद ने की थी. यहां वेदों का गहन अध्ययन किया जाता है. यहां के वेदपाठी विद्यार्थी दुनिया भर में वेदों का रहस्य लोगों तक पहुंचा रहे हैं. इस गुरूकुल को अब विश्वविद्यालय का दर्जा दे दिया गया है.

हिंदु धर्म के विद्याध्यन के और भी केन्द्र हरिद्वार में स्थत है. ज्वालापुर गुरूकुल जिसे महाविद्यालयक का दर्जा प्राप्त है, स्वामी दर्शनानंद ने बनवाया था. यहां पर संस्कृत शिक्षा की व्यवस्था की गई है.

ऋषिकेश और लक्ष्मणझूला – rishikesh in hindi

हरिद्वार के पास ही ऋषिकेश और लक्ष्मणझूला स्थित है और हरिद्वार आने वाले तीर्थ यात्री इन दोनों स्थानों का भी तीर्थाटन करते हैं. ऋषिकेश का मतलब है ऋषियों का निवास. यहां ढेरों आश्रम और मंदिर है. यहां भी गंगा घाट में बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री स्नान कर स्वयं को पवित्र करते हैं. यहां स्थित कालीकमली वाला क्षेत्र और पंजाबसिंध क्षेत्र यात्रियों के लिये सुविधायें उपलब्ध करवाता है.

लक्ष्मण झूला का सम्बन्ध भगवान राम के भाई लक्ष्मण के साथ है. कथाओं के अनुसार राम और लक्ष्मण अपनी हिमालय यात्रा के दौरान यहां आये थे और लक्ष्मण जी ने यहां तप किया था. लक्ष्मण जी ने गंगा पार करने के लिये जो पुल बनवाया था, उसे लक्ष्मणझूला कहते हैं.

हरिद्वार का कुंभ मेला – Kumbh mela Haridwar

हरिद्वार में हरेक 12 साल में कुंभ का मेला लगता है. हरिद्वार में कुंभ का मेला वैशाख के महीने में लगता है. यहां साधुओं की गद्दियां और अखाड़े बहुतायत में है. कुम्भ में होने वाले शाही स्नान में पहले यह अखाड़े और गद्दियों के महन्त ही हिस्सा लेते है.

शाही स्नान का पुराणों में कोई उल्लेख नहीं मिलता है. मुगलों के प्रभाव के कारण यह प्रथा कुंभ से जुड़ी है. हरिद्वार में गोघाट के सामने एक बड़ा मैदान है जिसे रोड़ीवाला टापू कहा जाता है, मुख्य मेला वहीं लगता है.

वैसे तो कुंभ मेले के दौरान पूरा हरिद्वार ही मेला स्थल में तब्दील हो जाता है. हाथियों पर निकलने वाला जुलूस हरिद्वार के कुंभ मेले की विशेष पहचान है.

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