facts about nalanda university in hindi – नालंदा विश्वविद्यालय

नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास और रोचक तथ्य – nalanda history in hindi

नालंदा विश्वविद्यालय को आज भी पूरी दुनिया बहुत सम्मान के साथ याद करती है. अपने समय में यह दुनिया का सबसे महान शिक्षा केन्द्र माना जाता था, जहां पूरी दुनिया से विद्यार्थी विद्या अध्ययन करने आते थे. इस विश्वविद्यालय को भारत का गौरव स्थल माना जाता है.

लगभग ढाई हजार साल पहले भारत में नालंदा विश्वविद्यालय भारत के तीन प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक था. बाकि दो विश्वविद्यालय तक्षशिला विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय थे. तक्षशिला विश्वविद्यालय आज पाकिस्तान में है. विक्रमशिला विश्वविद्यालय और नालंदा विश्वविद्यालय बिहार में स्थित है.

नालंदा विश्वविद्यालय कहां स्थित है? – story of nalanda vishwavidyalaya

नालंदा विश्वविद्यालय बिहार के नालंदा जिले में स्थित है. इस जिले का नामकरण इस प्राचीन विश्वविद्यालय के सम्मान में रखा गया है. नालंदा के खंडहर को इसी जिले में खोजा गया था. विक्रमशिला विश्वविद्यालय बिहार के भागलपुर जिले में स्थित है.

नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास- short note on nalanda university in hindi

नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास करीब ढाई हजार साल पुराना है. यह उस वक्त एशिया में शिक्षा का सबसे बड़ा केन्द्र था. इसकी विशालता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक समय में इसमें 10 हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते थे और 1 हजार 500 शिक्षक उन्हें ज्ञान देने का काम किया करते थे.

इस बारे में कोई पुष्ट प्रमाण तो नहीं मिलता लेकिन उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर इतिहासविद् यह मानते हैं कि नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त वंश के शासक सम्राट कुमारगुप्त ने 5वीं शताब्दी में की थी.

नालंदा विश्वविद्यालय में नागार्जुन, शीलभद्र, आर्यदेव, संतरक्षित, वसुबंधु, दिग्नाग, धर्मकीर्ति, कमनशील, अतिस, दीपकर, कुमार जीव तथा पद्मसंभव आदि आचार्यों ने नालंदा से ही शिक्षा प्राप्त की थी. नालंदा विश्वविद्यालय भारतीय चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन के हरेक विधा की शिक्षा प्रदान किया करता था. सभी भारतीय राजवंशों ने नालंदा को पर्याप्त सहयोग और दान दिया जिससे यह संस्था समय के साथ मजबूत होती चली गई.

नालंदा विश्वविद्यालय का नाम कैसे पड़ा?

नालंदा विश्वविद्यालय का नामकरण भी बहुत रोचक है. नालंदा दरअसल संस्कृत के एक श्लोक से प्रभावित होकर इस विश्वविद्यालय को नामित किया गया. वह श्लोक है- नालम् ददाति इति नालन्दा. इसका अर्थ जो नालम यानि ज्ञान प्रदान करे वही नालन्दा है. संस्कृत में कमल के फूल की डंडी को नाल कहा जाता है. कमल के फूल की कल्पना ब्रह्मा की नाभि से निकलने वाले कमल नाल से की गई है जिस पर विष्णु विराजमान है. यहां ब्रह्मा को परम और नाल को ज्ञान का प्रतीक माना गया है. दा का अर्थ देना है और ज्ञान देने वाले संस्थान को इसी आधार पर नालंदा कहा गया.

नालंदा जिले का इतिहास- Nalanda district history in hindi

नालंदा विश्वविद्यालय बिहार के नालंदा जिले में स्थित है. बिहार का नालंदा जिला अपने इतिहास के पूरी दुनिया में जाना जाता है. नालंदा में पांचवीं और छठी ईसा पूर्व में भगवान महावीर और भगवान बुद्ध ने अपने दर्शन का लाभ दिया. जैन ग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि नालंदा राजगीर नाम के गणराज्य का एक विकसित उपनगर था. कुछ जैन ग्रंथों में यह माना गया कि भगवान महावीर का जन्म नालंदा के निकट कुण्डलपुर ग्राम में हुआ था. यहां उन्हांेने अपने जीवन के बहुमूल्य 15 वर्ष बितायें.

नालंदा में ही भगवान बुद्ध के दो प्रमुख शिष्यों सारिपुत्र और मार्दगलापन का जन्म हुआ था. सारिपुत्र की मृत्यु भी यहीं पर हुई और उनका मृत्यु स्थल आज बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिये पवित्र स्थल बन चुका है. सम्राट अशोक ने भी बौद्ध धर्म के प्रचार के लिये नालंदा में कई स्मारकों और मंदिरों का निर्माण करवाया. यहां स्थित नालंदा विहार सम्राट अशोक द्वारा ही बनवाया गया था. ह्वेनसांग नाम का चीनी यात्री भी नालंदा आया और उसने यहां स्थित विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की थी.

कैसे नष्ट हुआ नालंदा विश्वविद्यालय? – Why Bakhtiyar Khilji destroyed Nalanda University?

नालंदा विश्वविद्यालय के नष्ट होने की प्रक्रिया बहुत ही दुखद है. भारत उस समय मुस्लिम आक्रमणों का सामना कर रहा था. भारत के सोमनाथ को महमूद गजनवी ने नष्ट कर दिया था. समय-समय पर आये आक्रमणकारियों में बख्तियार खिलजी भी एक था. उस समय बंगाल और बिहार मुस्लिम आक्रांताओं की भेंट चढ़ रहे थे.

बख्तियार खिलजी ने 1193 में नालंदा पर आक्रमण कर दिया. उसने इस विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में आग लगवा कर उसे नष्ट कर दिया. मान्यताओं के अनुसार वह आग कई माह तक जलती रही. मान्यताओं के अनुसार यहां पुस्तकालय में 90 हजार से ज्यादा पांडूलिपियां रखी हुई थी और लाखों की संख्या में पुस्तकों का संग्रह था.

इसके बाद मुद्रित मुद्रा नाम के एक व्यापारी ने इसका पुनर्निर्माण करवाया और मगध के मंत्री कुकूटा सिद्ध ने एक मंदिर का निर्माण करवाया जो कुछ समय बाद देख-रेख के अभाव में नष्ट हो गये. नालंदा के उस विराट भवन के खंडहर आज भी मौजूद है. यहां से हिंदू और बौद्ध मूर्तियां मिलती है.

नालंदा विश्वविद्यालय का भवन – Nalanda University Real Story & History in Hindi

नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर जिले में स्थित बड़ा गांव नाम के स्थान पर मिले. सबसे पहले इन खंडहरों को बकानन हैमिल्टन नाम के अंग्रेज इतिहासकार ने खोजा. समय के साथ इस स्थान पर खुदाई होती रही. एक अनुमान के अनुसार यह विश्वविद्यालय सात मील में फैला हुआ था लेकिन खुदाई का काम सिर्फ एक मील के भीतर ही किया गया है.

खुदाई में मिले अवशेषों के आधार पर यह अंदाजा लगाया गया है कि यह शिक्षा केन्द्र मूल रूप से दो भागों में बंटा हुआ था. एक हिस्से में शिक्षा केन्द्र था और दूसरे हिस्से में बौद्ध मंदिर तथा विहार था. यहां बौद्ध मंदिरों की एक श्रृंखला मिलती है. मंदिरों के तीन तल मिले है, इससे अंदाजा लगाया गया है कि यहां कम से कम तीन तल तो थे ही, हो सकता है कि ऊपर के तल समय के साथ नष्ट हो गये हों.

यहां खुदाई से चार मंदिर और भगवान बुद्ध के शिष्य सारिपुत्र की समाधि मिली है. समाधि को बौद्ध धर्म में स्तूप कहा गया है. इस स्थान को सारिपुत्र स्तूप भी कहा जाता है. इस स्तूप का निर्माण अशोक ने करवाया था और यह करीब ढाई हजार साल पुराना है. यह स्तूप सात बार नष्ट किया गया. यह मिट्टी से ढका हुआ है.

नालंदा के प्रमुख बौद्ध मंदिर – about nalanda khandar

नालंदा अपने बौद्ध मंदिरों के लिये भी विख्यात है. यहां वैसे तो कई मंदिर है लेकिन उनके खंडहर ही शेष हैं. मंदिरों का नामकरण नहीं है इसलिये इनको संख्या के आधार पर वर्गीकृत किया गया है. मंदिर संख्या 1 और मंदिर संख्या 2 सामान्य है लेकिन मंदिर संख्या 3 विशेष है. यहां स्तूपों की एक श्रृंखला मिलती है और चैकोर आकार के इस मंदिर के सात बार बनने और गिरने के साक्ष्य मिलते हैं.

यहां के खंडहरों में बौद्ध मूर्तियां और छोटे-बड़े कई स्तूप दिखाई देते हैं जो यहां के महान गुरूओं से संबंधित हैं. नालंदा में सिर्फ बौद्ध मंदिर ही नहीं बल्कि हिंदू मंदिर भी बहुतायत से मिलते हैं. यहां स्थित सूर्य मंदिर दर्शनीय है. यहां शिव-पार्वती, सूय और विष्णु की मूर्तियां देखने योग्य है. यहां साल में दो बार मेले का आयोजन होता है. दिपावली के बाद लगने वाला छठ मेला ज्यादा बड़ा मेला है.

नालंदा के अन्य दर्शनीय स्थल

नालंदा में विश्वविद्यालय के साथ जुड़े कई और दर्शनीय स्थान है. यहां पर सरकार द्वारा पाली भाषा के अध्ययन के लिये पाली संस्थान की स्थापना की गई है. नालंदा के खण्डहरों के अवशेषों को सुरक्षित रूप से पर्यटकों को दिखाने के लिये एक संग्रहालय भी स्थापित किया गया है.

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