चमकी बुखार- Chamki fever information hindi

चमकी बुखार या चमकी ​​फीवर के बारे में जानकारी, बचाव और इलाज

चमकी बुखार अपनी लीचीयों की वजह से जाने जाने वाले शहर मुजफ्फरपुर में तेजी से फैल रहा है. सिर्फ वर्ष 2019 में इसने सैकड़ों बच्चों की जान ले ली. एक आंकलन के मुताबिक अकेले बिहार में पिछले दस सालों में 5000 से ज्यादा बच्चों की जान इस चमकी फीवर ने ली है. बच्चों के हत्यारे इस बुखार को मेडिकल साइंस अभी तक पूरी तरह समझ नहीं पाया है. यह एक तरह का वायरल फीवर ही है, जिसका अभी तक कोई पुख्ता इलाज नहीं खोजा जा सका है.

क्या है चमकी फीवर या चमकी बुखार?

चमकी बुखार को मेडिकल टर्म में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) कहा जाता है. आम भाषा में इस चमकी बुखार कहते हैं. देश के कुछ हिस्सों में इसे दिमागी बुखार भी कहा जाता है. यह बुखार कैसे होता है, इसका अभी तक पता नहीं चल पाया है. इसके संक्रमण की वजह और इसके पैदा होने के कारणों पर अभी तक खोज चल रही है. इसलिये यह नहीं बताया जा सकता है कि वास्तव में इससे बचने के लिए क्या किया जाये.

क्यों खतरनाक है चमकी बुखार?

चमकी ​​फीवर की वजह से बच्चों के खून में शुगर और सोडियम की भारी कमी हो जाती है. इन दोनों वजहों से दिमाग को भारी नुकसान पहुंचता है और बच्चे की मौत हो जाती है. गर्मियों में पानी की कमी बहुत तेजी से होती है, इसलिए इस बुखार का प्रकोप और इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ जाता है. दरअसल इस बुखार में डिहाइड्रेशन, लो ब्लड प्रेशर, सिरदर्द, थकान, लकवा, मिर्गी, भूख में कमी जैसे लक्षण महसूस होते हैं.

क्यों इस बुखार का नाम है चमकी बुखार?

इस बुखार के आने पर बच्चों को तेज रोशनी या चमक से घबराहट होने लगती है और बच्चों की आंखे तेज रोशनी में काम करना बंद कर देती है. चमक के कारण होने वाली इस घबराहट के लक्षण के कारण ही इस बुखार को चमकी बुखार कहा जाने लगा है.

कैसे काम करता है चमकी ​​फीवर का वायरस?

यह बुखार शरीर के मुख्य नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. इंसेफ्लाइटिस श्रेणी के सभी बुखार मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं और दिमाग को भारी नुकसान पहुंचता है. इस बुखार से संक्रमित होने वाले बच्चे अगर ठीक भी हो जाते हैं तो कई बच्चों में अंधेपन और दिमाग के विकार से जुड़ी समस्यायें दिखाई दे सकती है. दरअसल इस बुखार की वजह से मस्तिष्क की कोशिकाओं और तंत्रिकाओं सूजन या कोई अन्य दिक्कत आ जाती है. ऐसी अवस्था को मेडिकल भाषा में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम कहा जाता हैं. चमकी बुखार संक्रामक होता है.

चमकी बुखार के वायरस शरीर में पहुंचकर रक्त को संक्रमित करते हैं और समय के साथ संक्रमण बढ़ता चला जाता है. खून के साथ ये वायरस दिमाग तक पहुंच जाते हैं. मस्तिष्क में पहुंचने पर इस इंफेक्शन की वजह से कोशिकाओं में सूजन आ जाती हैं और शरीर का ‘सेंट्रल नर्वस सिस्टम’ बेकार हो जाता हैं.

क्या हैं चमकी बुखार के लक्षण?

चमकी बुखार में शुरुआत में तेज बुखार आता है. तेज बुखार के कारण बच्चों के शरीर में ऐंठन होने लगती है और तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है.

बुखार के दौरान ब्लड शुगर बहुत लो हो जाती है. बच्चे बेहोशी की अवस्था में चला जाता है, कुछ बच्चों को दौरे पड़ने भी शुरू हो जाते हैं.

तनाव की वजह से बच्चे जबड़े और दांत कस के बंद कर लेते हैं, जिसे दांत चबाना या भींचना भी कहा जाता है. ज्यादा हालत खराब होने पर बच्चा कोमा में भी जा सकता है.

कैसे करें चमकी ​​फीवर का सामना?

इस बुखार में मृत्यु की सबसे बड़ी वजह शरीर में पानी और नमक की कमी होना है. ऐसे में इस प्रभाव को कम करने के लिए बच्चे को पानी पिलाते रहें.

बुखार तेज होने की स्थिति में ठंडे पानी की पट्टी दें और बुखार उतारने का प्रयास करें.

यह एकदम शु्रूआती काम है, हॉस्पिटल पहुंचने तक बच्चे को ओआरएस का घोल देते रहें.

इस बुखार का इलाज घर पर संभव नहीं है इसलिए जितनी जल्दी हो सके किसी अस्पताल में डॉक्टर की सेवा लेना शुरू कर दें. बिना डॉक्टर के परामर्श के कोई भी दवाई अपने बच्चे को नहीं दे.

चमकी बुखार का कोई भी लक्षण दिखाई देते ही तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें और अपने बच्चे को ज्यादा से ज्यादा ठंडे वातावरण में रखें ताकि उसके शरीर में पानी की कमी न हो.

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