उड़ीसा में आये चक्रवात तूफान फेनी जिसे फोनी और फानी या फेनी भी कहा जा रहा है, बहुत आर्थिक नुकसान पहुंचाया है. भारत में इस तीव्रता के तूफान कम ही आते हैं. भारत ने जिस प्रबंधन के साथ इस तूफान का सामना किया है, उसकी संयुक्त राष्ट्र सहित पूरी दुनिया में बहुत तारीफ हो रही है. ये तूफान कैसे आते हैं और मौसम चक्र को कैसे प्रभावित करते हैं, इसे जानने के लिए पढ़े यह आलेख.
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क्या होते हैं चक्रवात? effects of cyclone
चक्रवातों को पूरी दुनिया में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है. अमेरिका में इन्हें हरिकेन कहा जाता है तो पैसेफिक सागर में इन्हें टाइफून कहा जाता है. हरिकेन्स उत्तरी अटलांटिक सागर में बनते हैं और अमेरिका महाद्वीप को प्रभावित करते हैं. अमेरिका के मिसीसिमी घाटी मेंआने वाले प्रचंड चक्रवातों को टाॅर्नेडो कहा जाता है. यह दुनिया के सबसे भयानक cyclone माने जाते हैं. दुनिया में हरेक भाग में चक्रवात अलग कारणों से बनते हैं और उनकी तीव्रता भी उनके बनने के कारण पर निर्भर करती है. वैसे तो पूरी दुनिया में समय-समय पर cyclone बनते हैं.
कैसे बनते हैं चक्रवात? causes of cyclone
formation of cyclone वायुमण्डल में मिलने वाले महत्वपूर्ण पवन विक्षोभों को चक्रवात कहा जाता है. ये निम्न वायुदाब के क्षेत्र होते हैं. इनके चारों और समवायु दाब पाया जाता है जो एक केन्द्र की तरफ घूम रहा होता है. इनमें वायुदाब अंदर से बाहर की ओर बढ़ता जाता है. केन्द्र में वायु का वेग सबसे कम होता है और बाहर सबसे ज्यादा होता है. cyclone तीन आकारों में पाया जाता है. गोलाकार, अण्डाकार के साथ ही अंग्रेजी के वी अक्षर के आकार के भी चक्रवात बनते हैं. चक्रवातों की वजह से मौसम और जलवायु प्रभावित होते हैं और अक्सर इनके आने पर तापमान में कमी आ जाती है और भारी वर्षा होती है. cyclone उत्तरी गोलार्द्ध में एंटी क्लाकवाइज और दक्षिणी गोलार्द्ध में क्लाकवाइज घूमते हैं. चक्रवातों का निर्माण आमतौर पर पछुआ पवनों की वजह से ही होता है.
हरिकेन एक उष्ण कटिबंधिय चक्रवात है. इनके बनने की मुख्य वजह सर्पिल गति से घूमने वाली वर्षा की पट्टियां हैं. यह आकार में मध्यम से लेकर अति विषाल तक हो सकते हैं. इनका आकार 160 से 190 किलोमीटर तक हो सकता है.
कितने तरह के होते हैं चक्रवात? types of cyclones
भौगोलिक आधार पर मौसमविज्ञानियों ने चक्रवातों को दो भागों में बांटा है. 1. शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात 2. उष्ण कटिबंधीय चक्रवात
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात
शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में ध्रुवीय क्षेत्रों से आने वाली ठंडी और भारी हवाओं का दूसरी ओर से आने वाली पछूआ पवनों के मिलती हैं. ये दोनों पवन अलग-अलग तापमान और आर्द्रता को बनाये रखने का प्रयास करती हैं जिससे इनके बीच एक सीमा बन जाती है. इस क्षेत्र में इस परिवर्तन की वजह से cyclone का निर्माण होता है. यह चक्रवात 35 डिग्री से 65 डिग्री अक्षांष के बीच ही आया करते हैं. इन चक्रवातों का आकार गोलाकार या अण्डाकार होता है. शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात पष्चिम से पूरब की ओर बढ़ते हैं. इन चक्रवातों से भारी बारिश और हिमपात भी होता है.
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात कर्क और मकर रेखाओं के बीच पैदा होते हैं. भारत में आने वाले चक्रवात इसी श्रेणी के होते हैं. इस क्षेत्र में चक्रवात तापमान के अंतर की वजह से नहीं बल्कि व्यापारिक पवनों के मिलने से बनते हैं. इस तरह के तूफानों की रफ्तार 750 किलोमीटर प्रतिघंटा तक होती है. इन चक्रवातों के मध्य भाग को चक्रवात की आंख कहा जाता है. चक्रवात की आंख में वायु का वेग लगभग शून्य होता है. इनका वेग समुद्रतल पर सर्वाधिक होता है और जमीन से टकराने के बाद धीरे होकर समाप्त हो जाता है. दुनिया के सबसे विनाषकारी चक्रवात उष्ण कटिबंधीय ही होते हैं.
चक्रवातों के नाम
चक्रवातों को पूरी दुनिया में अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है. विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं में इन्हें अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है.
टार्नेडो | संयुक्त राज्य अमेरिका, अफ्रिका का गिनी तट |
हरिकेन | कैरेबियन सागर |
टाइफून | चीन सागर एवं जापान सागर |
विली-विलीज | उत्तरी पश्चिमी आस्ट्रेलिया |
चक्रवात | भारत |
कैसे होता है चक्रवातों का नामकरण?
हम तूफानों को उनके नाम की वजह से याद रखते हैं. चक्रवातों का यह नामकरण इसलिए किया जाता है ताकि पूरी दुनिया में उनके बारे में बताने और कम्यूनिकेषन करने में आसानी हो. इसकी शुरूआत सबसे पहले 1953 में संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई जब वहां आने वाले हरिकेन्स को नाम दिया जाने लगा. 1979 में इस प्रथा को दूसरे देष भी अपनाने लगे. इस काम को एकरूपता देने के लिए नाम देने की जिम्मेदारी वल्र्ड मिटियरोलाॅजिकल आॅर्गेनाइजेषन को दे दी गई. अटलांटिक सागर में आने वाले चक्रवातों के लिए नाम की एक सूची बना ली गई, जिसे छह साल बाद दोहराया जाता है. सिर्फ ऐसे ही नामों को बदला जाता है जिनसे बड़ी त्रासदी जुड़ी होती है. इन तूफानों को नाम ग्रीक वर्णमाला के अनुसार दिया जाता है.
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