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Information about Candida auris कैंडिडा ऑरिस के बारे में जानकारी

कैंडिडा ऑरिस Candida-auris_image

कैंडिडा ऑरिस नाम का नया बैक्टेरिया अभी पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. कई देशों में इससे प्रभावित लोगों की रिपोर्ट की जाने लगी है. यह लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है और इससे संक्रमित होने वाले ज्यादातर लोग मौत के मूंह में जा रहे हैं.

क्या है कैंडिडा ऑरिस?

कैंडिडा ऑरिस एक तरह का फंगस है जो मानव की रक्त प्रणाली या ब्लडस्ट्रीम में शामिल होकर पूरे शरीर में फैल जाता है, इससे होने वाला इंफेक्शन पूरे शरीर में फैलता है. मुश्किल बात यह है कि अभी तक मेडिकल साइंस के पास इस फंगस से लड़ने की कोई कारगर दवा नहीं है. ज्यादातर एंटीफंगल दवाइयां इस पर कोई असर नहीं करती हैं.

कैसे लोग हो रहे हैं सी.ऑरिस के शिकार?

कैंडिडा ऑरिस के साथ एक समस्या और है कि यह बीमार मरीजों को जल्दी अपनी चपेट में लेता है. हाॅस्पिटल में भर्ती मरीजों की इसकी चपेट में आने की संभावना कहीं ज्यादा है. यह इतना रेयर फंगस है कि इसकी पहचान सिर्फ कुछ विशेष प्रयोगशालाओं में ही हो सकती है. सामान्य प्रयोगशाला तो इसकी उपस्थिति का अंदाजा तक नहीं लगा सकते हैं.?

ऐसे मरीज जिनकी सर्जरी हुई है या फिर वे डायबिटिज या किसी जख्म की समस्या से जूझ रहे हैं, उनके इस फंगस के चपेट में आने की संभावना कहीं ज्यादा है. चपेट में आने के 90 दिनों के भीतर मरीज की मृत्यु हो जाती है. समस्या यह है कि मरीज के मृत्यु के बाद भी यह फंगस उसके शरीर में आसानी से जिंदा रहता है और उसके माध्यम से दूसरे लोगों को अपनी चपेट में लेता है.

कैंडिडा ऑरिस के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

कैंडिडा ऑरिस को सी. ऑरिस भी कहा जाता है. हाॅस्पिटल और क्लिनिक में इसके संक्रमण का सबसे अधिक खतरा है.

फंगस का इलाज तीन श्रेणी की दवाओं से किया जाता है. कैंडिडा आॅरिस पर इन तीनों श्रेणियों की दवाओं का कोई असर नहीं होता है.

सी. ऑरिस को सबसे पहले 2009 में जापान में खोजा गया था. इससे पहले साउथ कोरिया में 1996 में इस फंगस का स्ट्रेन मिला था. फिलहाल पूरी दुनिया में 20 से ज्यादा देशों में इसके संक्रमण के मामले सामने आये हैं.

29 मार्च 2019 तक सिर्फ संयुक्त राज्य अमेरिका में कैंडिडा ऑरिस से 617 लोग संक्रमित हो चुके हैं.

कैसे पता चलता है कि आप कैंडिडा ऑरिस से संक्रमित हैं?

कैंडिडा ऑरिस ज्यादातर उन लोगों को अपनी चपेट में लेता है जो पहले से ही किसी न किसी बीमारी का सामना कर रहे हैं और अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं. ऐसे में इसकी पहचान करना लगभग नामुमकीन है. सी. ऑरिस को सिर्फ बेहतरीन लेबोरेट्रीज में ही पहचाना जा सकता है. अगर आप अस्पताल में भर्ती है और आपकी सेहत सही उपचार के बाद भी नहीं सुधर रही है तो कैंडिडा वायरस की इसमें भूमिका हो सकती है.

इसका नाम क्यों पड़ा कैंडिडा ऑरिस?

कैंडिडा ऑरिस दरअसल कैंडिडा समूह का फंगस है इसलिए पहला नाम उसे अपने समूह की वजह से पड़ा. ऑरिस शब्द लैटिन भाषा का है जिसका अर्थ कान होता है. यह फंगस सबसे पहले कान को प्रभावित करता है इसलिये इसे कैंडिडा ऑरिस कहा जाने लगा.

किन देशों में फैला है कैंडिडा एरीस फंगस?

फिलहाल अब तक इस फंगस के मामले पूर्वी एशिया, दक्षिण एशिया, दक्षिण अफ्रिका और दक्षिण अमेरिका के साथ उत्तरी अमेरिका में सामने आये हैं. अलग-अलग जगहों पर पैदा हुए फंगस में कुछ असमानताएं है लेकिन ढेरों समानताएं भी हैं. ऐसा माना जा रहा है कि यह कई स्थानों पर अलग-अलग समय पर विकसित हुआ है.

क्या कैंडिडा एरीस का इलाज संभव है?

कैंडिडा ऑरिस पर वैसे तो ज्यादातर एंटी फंगल दवाये बेअसर है लेकिन संतोष की बात यह है कि अकाइनीकेंडिस समूह की दवाओं से इस फंगस का इलाज हो जाता है. कुछ स्ट्रेन इन दवाओं की हाई डोज की मदद से समाप्त किये जा सकते हैं.

वैसे इस फंगस से संक्रमित 30 से 60 प्रतिशत तक मरीज मौत के मूंह में चले गये है लेकिन मेडिकल साइंस यकीन से नहीं कह सकता है कि इसकी वजह यह फंगस ही है क्योंकि इससे संक्रमित ज्यादातर मरीज और दूसरी गंभीर बीमारियों का सामना भी कर रहे थे.

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