Table of Contents
सबरीमाला मंदिर इतिहास से विवाद तक
सबरीमाला मंदिर को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका के बाद यह मंदिर एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है. इस मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है और यह पूरे हिंदू जगत के लिये आस्था का महान केन्द्र है.
सबरीमाला मंदिर केरल के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है. एक अनुमान के अनुसार केरल के इस मंदिर को धर्मावलम्बियों के दर्शन के मामले में मक्का-मदीना के बाद दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ स्थानों माना जाता है. सबरीमाला में भगवान अयप्पा विराजते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान अयप्पा को भगवान शिव और मोहिनी (भगवान विष्णु का रूप) का पुत्र माना जाता है. जिनका नाम हरिहरपुत्र (अयप्पा) भी है. इस मंदिर में इन्ही की पूजा की जाती है. ये मंदिर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है.
पंपा से पैदल जंगल के रास्ते पांच किलोमीटर पैदल चलकर 1535 फीट ऊंची पहाड़ियों पर चढ़ते हुए इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 पवित्र सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है. इसके बाद सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन प्राप्त होते हैं.
शबरी के नाम से पड़ा मंदिर का नाम सबरीमाला
साल में सिर्फ 3 महीने ही खुलता है मंदिर
इस मंदिर का एक और अनूठा पहलू यह है कि यह पूरे साल नहीं खुलता है. यह केवल मंडलपूजा, मकरविलाक्कु और विशु के दौरान (नवंबर से जनवरी) तक पूजा के लिए खोला जाता है. लोगों का ऐसा मानना है की मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में यहां एक ज्योति दिखती है.
इस ज्योति के दर्शन के लिए दुनियाभर से हजारो श्रद्धालु हर साल मकर संक्रांति पर यहाँ इकट्ठे होते है. ऐसा कहा जाता है कि तीर्थयात्रियों को सबरीमाला जाने से 41 दिन पहले ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना पड़ता है.
कौन थे भगवन अयप्पा?
भगवान अयप्पा के पिता शिव और माता मोहिनी हैं और इसी के प्रभाव से सस्तव नामक पुत्र का जन्म हुआ, जिन्हें दक्षिण भारत में अयप्पा कहा गया था.
शिव और विष्णु से उत्पन होने के कारण अयप्पा को हरिहरपुत्र भी कहा जाता है. साथ ही भगवान अयप्पा को मणिकांता, अयप्पन और शास्ता नाम से भी जाना जाता है.दक्षिण भारत में कई प्रमुख मंदिर है. जिसमे से सबरीमाला एक है.
किवदंती के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान भोलेनाथ भगवान विष्णु के मोहिनी रूप पर मोहित हो गए. मोहिनी और भगवान शिव से जिस बच्चे का जन्म हुअस, उसे उन्होंने पंपा नदी के तट पर छोड़ दिया और राजा राजशेखरा ने उस बालक को 12 सालों तक पाला. राजशेखरा ने उन्हें अयप्पा नाम दिया.
अयप्पा को एक समय अपनी माता के लिए शेरनी का दूध की आवश्यकता पड़ी, जिसे लेने वे जंगल गए. यहीं पर अयप्पा ने राक्षसी महिषि का वध किया था. एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार ‘महर्षि परशुराम’ ने अपनी कुल्हाड़ी के वार से केरल को समुद्र से ऊपर उठाया और सबरीमाला में अयप्पा की मूर्ति स्थापित की थी.
कैसे पहुंचा जाये सबरीमाला मंदिर
रेल मार्ग से ऐसे पहुंचे सबरीमाला मंदिर
हवाई मार्ग से ऐसे पहुंचे सबरीमाला मंदिर
सड़क मार्ग से ऐसे पहुंचे सबरीमाला मंदिर
सबरी माला मंदिर विवाद
भगवान राम की भक्त सबरी के नाम से मशहूर सबरीमाला मंदिर इस बार भक्ति के लिए नहीं बल्कि विवाद के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हो रहा है. आइये जानते है क्या के पूरा मामला.
भारत के सबसे अधिक साक्षर राज्य का दर्जा प्राप्त केरल के इस सबरीमाला मंदिर में केवल पुरुष ही जा सकते है. इस मंदिर में 10 वर्ष से अधिक और 50 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं का जाना वर्जित है.
मंदिर की पौराणिक परंपरा के अनुसार सबरीमाला मंदिर के विराज हुए भगवान श्री अयप्पा ब्रह्माचारी थे, हिंदू धर्म में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान ‘अपवित्र’ माना जाता है. इस कारण यहां 10 से 50 वर्ष की लड़कियों और महिलाओं का आना वर्जित है.
कन्नड़ अभिनेत्री के कारण शुरू हुआ था सबरीमाला मंदिर विवाद
साल 2006 में सबरीमाला के प्रमुख ज्योतिषी परप्पनगडी उन्नीकृष्णन ने चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि भगवान अयप्पा अपनी ताकत खो रहे हैं. क्योंकि मंदिर में किसी युवा महिला ने प्रवेश किया है. जिसके कारण भगवान अय्यपा नाराज हैं.
इसी दौरान अभिनेत्री जयमाला ने एक बयान देते हुए मामले को तूल दे दी की, मैंने अपने पति के साथ भगवान अयप्पा के दर्शन किए. जिसके बाद भारी विवाद खड़ा हुआ था.
कन्नड़ अभिनेत्री जयमाला ने अपने दावे में कहा कि वो अपने पति के साथ मंदिर गई थीं. भारी भीड़ होने के कारण धक्कों की वजह से वह मंदिर के गर्भगृह में पहुंच गई. जहां पुजारी ने उन्हें फूल भी दिए थे. उनके इस दावे के बाद बवाल मच गया था.
तब पठानीमिट्ठा जिले के रन्नी में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में केरल पुलिस ने अभिनेत्री के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. पुलिस चार्टशीट के अनुसार जयमाला ने जानबूझकर तीर्थस्थल के नियमों का उल्लंघन करते हुए लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाया. बाद में केरल हाईकोर्ट में जयमाला की और से रखे गए मजबूत तथ्यों और दलीलों के आधार पर चार्जशीट को खारिज कर दिया.
यूं चला कोटे में सबरीमाला मंदिर विवाद
मंदिर में महिलाओं के प्रवेश वर्जित को लेकर कुछ महिला वकीलों ने 2006 लिंग आधारित समानता को मुद्दा बनाते हुए कोर्ट में याचिका डाली थी. उनका कहना था कि मंदिर में हर उम्र की महिलाओ को प्रवेश दिया जाए.
इस याचिका पर साल 2016 में राज्य सरकार ने भी मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का विरोध किया था हालांकि बाद में अपने रूख में परिवर्तन करते हुए केरल सरकार ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को अपनी सहमति दे दी थी.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसार अपने हिसाब से धर्म का अनुसरण करने की स्वतंत्रता देता है. इस मामले को सुलझाने के लिए साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक पीठ का गठन किया था.
ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि संविधान के अनुसार महिला के निषेध की परंपरा उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन तो नहीं कर रही. साथ ही इस प्रश्न पर भी विचार किया गया की क्या इस विषय को संविधान के तहत आवश्यक धार्मिक प्रथा माना जा सकता है या नहीं.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित करना भारत के संविधान में दी गई समानता की गारंटी का उल्लंघन करता है. साथ ही उन्होंने कहा कि यह महिलाओं और उनके उपासना के अधिकार के प्रति एक पूर्वाग्रह है.
सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर विवाद पर ये दिया था फैसला
साल 2018 में लंबी सुनवाई और बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोकने की सालो पुरानी परंपरा को गलत बताते हुए उसे खत्म कर दिया.
कोर्ट ने अपनी टिप्पणियों में कहा कि पुरुषों की तरह महिलाओं को भी मंदिर में जाने का अधिकार है और सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत दी थी.
फैसले के खिलाफ मंदिर प्रशासन ने ये दावा किया
लेकिन सबरीमाला मंदिर के अधिकारियों ने दावा किया था ‘क्योंकि भगवान अयप्पा, जिनका यह मंदिर है, वो “अविवाहित” थे. महिलाओ के प्रवेश निषेद की ये परंपरा करीब 800 साल पुरानी है.
इस मंदिर में ये मान्यता सदियों से चली आ रही है कि 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश ना करने दिया जाए क्योंकि 10 से 50 साल की महिलाओं को मासिक धर्म होता है. कोर्ट के फैसले के बाद पहली बार 17 अक्टूबर को मासिक पूजा के लिए मंदिर के कपाट खुले.
तभी कुछ महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन वहां मौजूद श्रद्धालुओं और मंदिर प्रशासन ने मंदिर की पुरानी मान्यता के अनुसार महिलाओ को मंदिर में प्रवेश करने से रोका और इस दौरान काफी हिंसा हुई जिसमे महिलाओ के साथ ही स्थानीय लोग और कई पत्रकार भी घायल हुए.
इस घटना के बाद केरल, कोर्ट और देश के सामने धार्मिक मामले का ये विवाद एक बार फिर खड़ा हो गया है क्योकि महिलाओं के मंदिर प्रवेश को लेकर कुछ इस तरह का ही विवाद सनी सिगनापुर और हाजी अली दरगाह में भी हुआ था और इन दोनों ही मामलों में महिला अधिकारों की रक्षा करते हुए अदालत ने महिलाओं को दोनों धार्मिक स्थलों में प्रवेश की अनुमति दी थी.
क्या सबरीमाला की वजह से आई केरल में बाढ़ आई?.
सबरीमाला मंदिर विवाद के दौरान ही केरल के 100 साल के इतिहास में सबसे बड़ी बाढ़ आई. इस बाढ़ से पूरा केरल जूझ रहा है. इस बाढ़ को लेकर कुछ लोगो ने कहा की सबरीमाला मंदिर के भगवान अयप्पन की नाराज़गी के चलते ही केरल तबाह हुआ है.
इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी विवाद हुआ. कुछ लोगो ने इस बात के पक्ष में अपने विचार रखे तो कुछ ने इस बात को कोरी बकवास बताया था.
सबरीमाला विवाद पर कन्नड़ अभिनेत्री जयमाला का बयान
21वीं सदी में महिलाएं अपने मासिक धर्म को दवा लेकर आगे बढ़ा सकती है और मंदिरों को नियम बनाने का हक नहीं है। मंदिर में प्रवेश के लिए मन शुद्ध होना चाहिए- कन्नड़ अभिनेत्री जयमाला
सबरीमाला विवाद पर संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान
शीर्ष अदालत ने समाज द्वारा स्वीकृत परंपरा की प्रकृति पर विचार नहीं किया और इसने समाज में ‘विभाजन’ को जन्म दिया.
सबरीमाला विवाद पर स्मृति इरानी का बयान
मैं मौजूदा केंद्रीय मंत्री हूं इसलिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी नहीं कर सकती हूं लेकिन क्या आप माहवारी के खून से सने सैनिटरी नैपकिन को लेकर अपने दोस्त के घर जाएंगी? तो आप भगवान के घर पर उसे लेकर क्यों जाना चाहती हैं.
Tags: religious places, sabarimala temple, sabarimala temple and floods, sabarimala temple ayyappa, sabarimala temple history, sabarimala temple issue, sabarimala temple news, sabarimala temple story in hindi
यह भी पढ़े:
पाबूजी की कथा एवं मंदिर का इतिहास
पुरी की जगन्नाथ यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी
नाथद्वारा के श्रीनाथ जी मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी