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परंपरागत कृषि विकास योजना के बारे में जानकारी
Pramparagat Krishi Vikas Yojana (PKVY)-परंपरागत कृषि विकास योजना ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई केन्द्र सरकार की योजना है. इस योजना में क्लस्टर मोड पर ऑर्गेनिक कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए 50 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से अनुसार राशि किसानों को दी जाती है, जो तीन वर्षों के लिए देय होती है.
वर्तमान में देश में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 22.50 लाख हेक्टेयर जमीन पर जैविक खेती की जा रही है. छोटे और सीमांत किसानों के लिए जैविक खेती अपनाना फायदेमंद हैं क्योंकि इसमें खर्च कम आता है और लाभ अच्छा होता है.
What is organic farming in Hindi- जैविक खेती क्या है
भारत में जैविक खेती की बहुत पुरानी परम्परा रही है. जैविक खादों पर आधारित फसलों का उत्पादन करना ही जैविक खेती कहलाता है. जैविक खेती कृषि की वह पद्धति है जिसमें पर्यावरण को स्वच्छ एवं प्राकृतिक संतुलन कायम रखते हुए भूमि, जल एवं वायु को प्रदूषित किए बिना दीर्घकालीन एवं स्थिर उत्पादन प्राप्त किया जाता है. इस पद्धति में रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता है. यह पद्धति रसायनिक कृषि की अपेक्षा सस्ती, स्वावलम्बी एवं स्थायी है.
एक अनुमान के मुताबिक विश्व में करीब दो लाख किसान जैविक खेती कर रहे हैं, इनमें से 80 प्रतिशत भारत में हैं. हाल के वर्षों में जैविक खाद्य पदार्थों की मांग में काफी वृद्धि हुई है. जैविक खेती को बढ़ावा देकर भारत जैविक खाद्य पदार्थों के निर्यात में अग्रणी देश बन सकता है. इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2015-16 में परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) शुरू की.
परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती को सहभागिता प्रतिभूति प्रणाली यानी पीजीएस और क्लस्टर पद्धति से जोड़ा गया है. पीजीएस में लघु जोत किसान या उत्पादक एक-दूसरे की जैविक उत्पादन प्रक्रिया का मूल्यांकन, निरीक्षण व जांच कर सम्मिलित रूप में पूरे समूह की कुल जोत को जैविक प्रमाणीकृत करते हैं.
Objectives of PKVY – परम्परागत कृषि विकास योजना के उद्देश्य
- पर्यावरण संतुलन को कायम रखते हुए कम लागत वाली कृषि तकनीक अपनाकर खेती करना.
- रसायन एवं पेस्टीसाइड मुक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन.
- कृषि को लाभकारी बनाना एवं कृषकों के आर्थिक स्तर में सुधार कर कृषि को सम्मानजनक बनाना.
- जैविक खेती अपनाकर कृषि उत्पादन को स्थायित्व प्रदान करना.
- कृषि निवेश के मामले में किसान को आत्मनिर्भर बनाना.
Paramparagat Krishi Vikas Yojana Guidelines
परम्परागत कृषि विकास योजना का मकसद जैविक उत्पादों के सर्टिफिकेशन (प्रमाणीकरण) और मार्केटिंग (विपणन) को प्रोत्साहित करना है. इस योजना के अंतर्गत एनजीओ के माध्यम से प्रत्येक क्लस्टर में किसानों को जैविक खेती के बारे में बताने के लिए बैठक, एक्सपोजर विजिट, प्रशिक्षण, मिट्टी परीक्षण, ऑर्गेनिक खेती व नर्सरी की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी.
इसके साथ ही, लिक्विड बायोफर्टिलाइजर, लिक्विड जैव कीटनाशक, नीम तेल, वर्मी कम्पोस्ट एवं कृषि यंत्र आदि उपलब्ध कराने के बारे में जानकारी दी जाएगी. इसके साथ ही वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन एवं उपयोग, बायोफर्टीलाइजर और बायोपेस्टीसाइड के बारे में प्रशिक्षण, पंच गव्य के उपयोग और उत्पादन का प्रशिक्षण भी दिया जाता है. जैविक खेती से पैदा होने वाले उत्पाद की पैकिंग व ट्रांसपोर्टेशन के लिए भी अनुदान दिया जाता है.
Functions of Parmpargat Krishi Vikas Yojana – परम्परागत कृषि विकास योजना में ऐसे होता है कार्य
- परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत जैविक खेती का काम शुरू करने के लिए 50 या उससे अधिक किसानों के क्लस्टर बनाए जाते हैं. एक क्लस्टर में 50 एकड़ भूमि होती है. इस तरह तीन वर्षों में जैविक खेती के 10 हजार क्लस्टर बनाए जा रहे हैं. इस योजना में 5 लाख एकड़ क्षेत्र को कवर किया जा रहा है.
- जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण के खर्च के लिए किसानों पर कोई भार नहीं डाला जाता है.
- फसलों की पैदावार के लिए बीज खरीदने और उपज को बाजार में पहुंचाने के लिए हर किसान को तीन वर्षों में प्रति एकड़ 20 हजार रुपए दिए जाएंगे.
- परम्परागत संसाधनों का उपयोग करके जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा और जैविक उत्पादों को बाजार के साथ जोड़ा जाएगा.
- परम्परागत कृषि विकास योजना में किसानों का ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य है.
- किसानों को समस्त भुगतान डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत उनके बैंक खाते में दिया जाता है.