X

Biography of Dipa Karmakar in Hindi- दीपा करमाकर की जीवनी

Biography of Dipa Karmakar in Hindi- दीपा करमाकर का जीवन परिचय

गोल्डन गर्ल ऑफ त्रिपुरा: दीपा कर्माकर की कहानी  

दीपा कर्माकर ने तुर्की के मर्सिन में एफआइजी कलात्मक जिम्नास्टिक्स विश्व चैलेंज कप की वाल्ट स्पर्धा में स्वर्ण पदक और जीत कर इतिहास रचा है. वे ओलम्पिक खेलों में भाग लेने वाली पहली भारतीय जिम्नास्ट हैं. आइए जानते हैं गोल्डन गर्ल ऑफ त्रिपुरा के नाम से मशहूर दीपा कर्माकर के जीवन के बारे में. 

दीपा के जीवन के बारे में जानकारी

नाम दीपा कर्माकर
उपनाम गुड्डू
जन्म की तारीख 9 अगस्त, 1993 (dipa karmakar date of birth)
खेल कलात्मक जिम्नास्टिक्स
लम्बाई 150 सेमी
वजन 47 किग्रा
आदर्श खिलाड़ी सिमोन बाइल्स
कोच बिस्वेश्वर नंदी coach of dipa karmakar

Early Life of Dipa Karmakar- दीपा करमाकर का बचपन

दीपा कर्माकर का जन्म 9 अगस्त 1993 को अगरतला में हुआ. dipa karmakar in hindi दीपा के पिता का नाम दुलाल कर्माकर और माता का नाम गौरी कर्माकर है. उनकी बड़ी बहन का नाम पूजा साहा है. दीपा ने स्कूली शिक्षा अगरतला में अभॉयनगर नजरूल स्मृति समिति विद्यालय से पाई. दीपा ने महिला कॉलेज, अगरतला से बीए की पढ़ाई की है. 

पिता भी स्पोर्ट्स कोच

दीपा कर्माकर के पिता दुलाल कर्माकर राष्ट्रीय वेटलिफ्टिंग चैम्पियन रहे हैं. dipa karmakar background दीपा के बचपन के दिनों में उनके पिता स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) में वेटलिफ्टिंग कोच थे. वे पिता के साथ स्कूटर पर बैठकर रोज जिम्नेजियम जाया करती थीं.    

यह भी पढ़ें:

उनके माता-पिता चाहते थे कि दीपा जिम्नास्टिक में करिअर बनाएं. अपने माता- पिता की इच्छा का सम्मान करने के लिए ही दीपा ने 6 वर्ष की उम्र से जिम्नास्टिक्स की ट्रेनिंग शुरू की. शुरुआती दिनों में दीपा की कोच सोमा नंदी थीं.  

वर्ष 2002 में दीपा उत्तर-पूर्व क्षेत्रीय खेलों में बैलेंसिंग बीम इवेंट में शामिल हुईं और 9 साल की उम्र में ही उन्होंने यहां स्वर्ण पदक हासिल किया. इसके बाद उन्होंने जिम्नास्टिक पर गंभीरता से ध्यान देना शुरू किया.

फ्लैट फुट होने के बाद भी दीपा ने नहीं मानी हार

दीपा कर्माकर का पैर चपटा था यानी उनके पैर के तलवे में कुदरती गोलाई नहीं थी. जिम्नास्ट के लिए फ्लैट फुट अच्छा नहीं माना जाता है. लेकिन दीपा ने ठान लिया था कि उन्हें जिम्नास्टिक्स में ही करिअर बनाना है. फ्लैट फुट की समस्या को दूर करने के लिए coach of dipa karmakar कोच सोमा नंदी ने दीपा को अपने पति  बिश्वेश्वर नंदी से मिलवाया, जो खुद भी एक कोच हैं. 

तब से आज तक दीपा बिश्वेश्वर नंदी से ही कोचिंग ले रही हैं. बिश्वेश्वर नंदी के साथ मिलकर दीपा ने अपने पैर को कर्व देने के लिए कड़ी मेहनत की. फ्लैट फुट की समस्या दूर होने के बाद दीपा ने अपने प्रदर्शन में निखार लाने के लिए कड़ी मेहनत की. 

स्कूटर पार्ट्स से तैयार किया स्प्रिंगबोर्ड

भारत में जिम्नास्टिक्स की बहुत लोकप्रियता नहीं है, इसलिए उन्हें ट्रेनिंग के लिए अच्छे इक्विपमेंट भी उपलब्ध नहीं हो पाते थे. गुरुजी बिश्वेश्वर नंदी ने दीपा के लिए स्कूटर के पार्ट्स से स्प्रिंगबोर्ड तैयार किए. कारों की पुरानी सीट से गद्दे तैयार किए गए. दीपा ने सुबह 9 बजे से 12.30 बजे तक और शाम को 5 बजे से 8.30 बजे तक ट्रेनिंग शुरू की, जो वे आज भी करती हैं. 

Gymnatstics career of Dipa Karmakar- दीपा का जिम्नास्टिक्स करिअर

वर्ष 2007 में दीपा ने जलपाईगुड़ी में जूनियर नेशनल्स में जीत हासिल की, जिससे उनका मनोबल बढ़ा. वर्ष 2010 में दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल में आशीष कुमार ने जिम्नास्टिक में पदक जीता. राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का जिम्नास्टिक का यह पहला पदक था, इससे दीपा को बहुत प्रेरणा मिली. उन्होंने संकल्प लिया कि चार साल बाद ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में वह भी पदक जीतेंगी. 

कॉमनवेल्थ खेलों में दीपा कर्माकर का प्रदर्शन

dipa karmakar commonwealth

दीपा अपने संकल्प पर खरी उतरीं और उन्होंने 2014 ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक जीता. दीपा प्रोडुनोवा वॉल्ट को सफलतापूर्वक करने वाली पांच महिला जिम्नास्ट में से एक हैं. प्रोडुनोवा वॉल्ट महिला जिम्नास्टिक्स में सबसे मुश्किल वॉल्ट माना जाता है.

दीपा ने 2014 में हिरोशिमा में आयोजित एशियन जिम्नास्टिक्स चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता और 2015 की विश्व कलात्मक जिम्नास्टिक्स चैम्पियनशिप में पांचवां स्थान हासिल किया. ऐसा करने वाली दीपा पहली भारतीय जिम्नास्ट हैं. 

dipa karmakar 2016 olympics- dipa karmakar at rio

अप्रेल 2016 में दीपा कर्माकर ओलम्पिक के लिए क्वालिफाइ करने वाली पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट बनीं. इसके साथ ही वे 1964 के टोक्यो ओलम्पिक खेलों के बाद ओलम्पिक में पहुंचने वाली पहली भारतीय जिम्नास्ट भी बनीं. दीपा 2016 रियो ओलंपिक में 15.066 अंकों के साथ वॉल्ट स्पर्धा में चौथे स्थान पर रहीं. 

चोट की चुनौती से पाई पार

रियो ओलंपिक के बाद 2017 में एशियन कलात्मक जिम्नास्टिक्स चैम्पियनशिप के तैयारी के दौरान दीपा के घुटने में चोट आ गई. इसके बाद उन्हें एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (एसीएल) की सर्जरी करवानी पड़ी. dipa karmakar cwg 2018 वापसी में उम्मीद से ज्यादा समय के कारण वह गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेल में भाग नहीं ले सकीं. 

रियो के दो साल बाद दीपा ने तुर्की के मर्सिन में एफआइजी कलात्मक जिम्नास्टिक्स विश्व चैलेंज कप की वाल्ट स्पर्धा में 14.150 के स्कोर के साथ स्वर्ण पदक जीत कर धमाकेदार वापसी की.

दीपा कर्माकर को 2018 के एशियाई खेलों के लिए भारतीय जिम्नास्टिक्स टीम में भी शामिल किया गया लेकिन चोट के कारण वे कोई मेडल नहीं जीत सकीं.

दीपा ने चोट से उबरने के बाद नवम्बर 2018 में जर्मनी के कोटबस में आयोजित कलात्मक जिम्नास्टिक्स के विश्व कप में अपनी वॉल्ट स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया. दीपा से भारत को वर्ष 2020 के टोक्यो ओलंपिक खेलों में बड़ी उम्मीदें हैं. 

Award won by Dipa Karmakar- दीपा कर्माकर  को मिले पुरस्कार

➤ दीपा कर्माकर को 2015 में अर्जुन अवार्ड प्रदान किया गया. 
➤ रियो ओलम्पिक में उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए दीपा को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार दिया गया. 
➤ दीपा को खेल के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है.

यह भी पढ़ें:
hindihaat: