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rupee depreciation meaning hindi – क्यों कमजोर होता है रूपया?

rupee depreciation meaning hindi - क्यों कमजोर होता है रूपया?

क्यों कमजोर होता है रूपया?

रूपया डॉलर के मुकाबले कमज़ोर होता जा रहा है और इस पर बहुत जोक बन रहे है. पूरा देश कमजोर होते रूपये की वजह से चिंतित है. आम आदमी यह समझ नहीं पा रहा है कि आखिर एकदम से ऐसा क्या हो गया कि रुपया कमज़ोर rupee depreciation meaning  होता चला जा रहा है. इस आलेख में हम आपको यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि कोई भी करेंसी कमज़ोर या ताकतवर कैसे बनती है इस को जान लेते हैं.

रूपया कमजोर होने की तकनीकी वजह – technical reasons for rupee depreciation

सबसे पहले यह जानना ज़रूरी है की कोई भी चीज़ कब कमज़ोर यानी सस्ती हो जाती है या ताकतवर यानी मज़बूत, महंगी हो जाती है. इसको समझने का आसान तरीका है डिमांड और सप्लाई से सिद्धांत को समझना.
उदाहरण के लिए पेट्रोल को लेते हैं. तेल महंगा क्यों और पानी सस्ता क्यों. तेल का उत्पादन करने वाले कम और खरीदने वाली ज़्यादा. जैसे जैसे मांग बढ़ती गई कीमत बढ़ती गयी.

डॉलर के मुकाबले कैसे कमजोर होता है रूपया- rupee depreciation against dollar

करेंसी में भी कुछ ऐसा ही होता है. एक बात और, कोई भी व्यक्ति, किसी अन्य के रिफरेन्स में ही कमज़ोर या ताकतवर होता है.  हम रुपए की ताकत को डॉलर से कम्पेयर करते हैं, क्योंकि डॉलर विश्व की सबसे ज्यादा प्रचलित  मुद्रा है. हम डॉलर बना नहीं सकते इसलिये जब इसकी डिमांड हम ज़यादा करते हैं, तो इसकी कीमत बढ़ जाती है और रुपए की घट जाती है.

रूपये का मूल्य कम क्यों होता है – Rupee depreciation

हमें डॉलर की जरुरत विश्व व्यापार में सौदे करने के लिये होती है. यदि हम इम्पोर्ट ज्यादा करते है तो डॉलर देना पड़ता है, यानी हमारे पास इतने डॉलर होने चाहिए कि हम उसकी मांग को पूरा कर सके, ऐसे में हमें बाजार से रूपया निकालकर डॉलर देना पड़ता है और रूपया कमजोर हो जाता है.
हाल ही में अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए सेंक्शन्स के साथ ही भारत और ईरान के तेल व्यापार में दिए जाने वाला दखल भी डॉलर के मुकाबले रूपये की स्थिति कमजोर कर रहा है. वैसे रूपया कमजोर होने का नुकसान भी है और फायदा भी.

रूपया गिरने से नुकसान कैसे ?

मैं विदेश से घड़ी ख़रीदता हूँ, जिसकी कीमत 1 डॉलर है , यदि 1 डॉलर कल 67 का था तो मुझे कल 67 रूपये देने पड़ते लेकिन आज डॉलर 69 रुपये का है तो मुझे इस घड़ी का 69 रूपये देने होंगे यानी 2 रुपए का नुकसान. सीधा सा मतलब अभी आयाताकों को नुकसान है.

तो मतलब निर्यातकों को फायदा है?

अब यदि मै कुर्सियों का निर्यातक हूँ, तो मुझे फायदा है. मेरी एक कुर्सी 1 डॉलर की है अमरीका में , कल तक मुझे उसके 67 रुपए मिलते थी आज 69 रुपए मिलेंगे मतलब 2 रुपए का फायदा.

रुपए को मज़बूत कैसे बनाया जाता है?

कमजोर रूपये को संभालने का काम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और भारत का वित्त मंत्रालय करता है. इसके लिए सबसे पहले  गैर ज़रूरी आयत इम्पोर्ट कम करने का प्रयास किया जाता है. जब  इम्पोर्ट कम होगा तो डॉलर की मांग भी कम होगी और रूपया मजबूत होगा.

साथ ही एक्सपोर्ट बढ़ाने पर जोर दिया जाता है जिससे ज्यादा डॉलर का प्रवाह अर्थव्यवस्था में होता है और डॉलर की मांग से ज्यादा आपूर्ति होने से रूपये को मजबूत होने का अवसर मिलता है. रिजर्व बैंक आफ इंडिया बाजार से डॉलर के बदले रूपया खरीद कर आर्टिफिशयल मांग भी पैदा करती है जिसे रूपये को संभालना कहते हैं.

बाजार की वजह से ही रूपया कमजोर नहीं होता, कई बार सरकार भी निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए रूपये को कमजोर कर देती है. दो बार ऐसा भी हुआ है जब सरकार ने रुपए की कीमत को घटाया है.

पहला मौका 1966 में आया जब सरकार ने रूपये की कीमत को 36.5% घटाया. इसके बाद काफी सालों तक  ज़रूरत नहीं पढ़ी. समय बदला और अर्थव्यवस्था में भारी परिवर्तन हुआ. 1991 में अर्थव्यवस्था कमज़ोर हुई और जुलाई 1991 में रूपये की कीमत को 18-19 % घटाया गया.

rupee depreciation rate

ऐसा कहा जा सकता है की एक्सपोर्टिंग कन्ट्रीज के लिये वीक करेंसी होना ठीक रहता है ताकि एक्सपोर्ट बढ़ सके, चीन ने भी वर्ष 2015 में अपनी करेंसी डॉलर के मुकाबले devalue  किया था ताकि एक्सपोर्ट्स को बढ़ावा मिल सके. यह कहना उचित होगा की यह समय एक्सपोर्ट्स को  बढ़ाने का  सही समय है. रूपया कमजोर होने से एक्सपोर्टर ज़यादा कॉम्पिटेटिव होंगे और अपने ज्यादा एक्सपोर्ट कर सकेंगे.

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