सर्वाइकल कैंसर का कारण,रोकथाम के उपाय
Cervical Cancer in Hindi
सर्वाइकल कैंसर What is Cervical Cancer ह्यूमन पैपिलोमा नामक वायरस के कारण होता है. इस बीमारी के लक्षण महिलाओं में पाए जाते है. इस बीमारी के दौरान महिलाओं के गर्भाशय में कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि हो जाती है तो सर्वाइकल कैंसर तेजी से विकसित होने लगता है. ह्यूमन पेपिलोमा नामक एक विशेष प्रकार का वायरस महिलाओं में होने वाले सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण होता है. इस प्रकार के कैंसर के इलाज के लिए सही डॉक्टरी सलाह महत्वपूर्ण होती है.
ऐसे फैलता है सर्वाइकल कैंसर शरीर में
सर्वाइकल कैंसर में गर्भाशय में कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि से सर्वाइकल कैंसर धीरे धीरे बढ़ता है. यह लगभग 2 से 10 वर्षों तक ग्रीवा के आवरण तक सीमित रहते हुए आरंभिक अवस्था में रहता है. कैंसर जब इस स्टेज से आगे बढ़ता है तो यह पास के टिश्यूज जिनमें गर्भाशय का मुख्य भाग, योनि, मूत्राशय और मलाशय पर हमला करता है.
सर्विक्स ग्रीवा एक छोटी डोनट आकार की संरचना है जो योनि के शीर्ष पर स्थित होती है. यह गर्भाशय का प्रवेश द्वार होता है. सर्वाइकल कैंसर ग्रीवा की एपिथीलियम नामक बाहरी स्तर की कोशिकाओं में असामान्य सूक्ष्मदर्शी परिवर्तनों के साथ शुरू होता है. इस अवस्था को डिसप्लेशिया कहा जाता है. अगर परिवर्तन जारी रहते हैं तो कोशिकाओं में कैंसर हो सकता है और उनकी वृद्धि नियंत्रण से बाहर हो सकती है.
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण क्या हैं ?
Symptoms of Cervical Cancer सरवाइकल कैंसर में लक्षण का सामान्यतया पता नहीं चलता है, इसका पता तब ही चल पाता है जब कैंसर ज्यादा फैल जाता है. शरीर में होने वाली समस्या जैसे मासिक धर्म चक्र या पेशाब में संक्रमण अगर सामान्य से ज्यादा है तो समय समय पर डॉक्टर की सलाह पर टेस्ट करवा लेना बेहतर विकल्प है. इससे समय रहते बीमारी को पहचान कर उसका इलाज संभव है.
– मासिक धर्म के दौरान या सेक्स के बाद असमान्य रूप के रक्त का बहना भी इस बीमारी का लक्षण हो सकता है.
– पेट के निचले हिस्से में बार – बार जरुरत से ज्यादा दर्द होना भी इस बीमारी का लक्षण हो सकता है.
– बार-बार पेशाब आना, पेशाब करते वक्त दर्द या जलन होना भी इस कैंसर का लक्षण सकता है.
गर्भाशय में होने वाले सरवाइकल कैंसर के कारण
– एक से अधिक पुरुषों के साथ असुरक्षित यौन सम्बंध बनाना सरवाइकल कैंसर का मुख्य कारण है.
एचपीवी क्या है?
Cervical Cancer HPV ह्यूमन पेपिलोमा नामक वायरस (एचपीवी) के ज्यादातर मामलों में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के साथ-साथ जननांग से जुड़ा हुआ होता है. एचपीवी यौन संचारित रोग है. ओरल, एनल और वेजाइनल सेक्स के कारण यह कैंसर होता हैं. राष्ट्रीय सर्वाइकल कैंसर संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं में होने वाला सबसे सामान्य कैंसर सर्वाइकल कैंसर है. शोध के अनुसार HPV वायरस 200 प्रकार के होते है और इनमे से अधिकतर सर्वाइकल कैंसर के कारक होते है.
सर्वाइकल कैंसर का कैसे पता करें?
असामान्य और संभावित कैंसर कोशिकाओं की उपस्थिति का डॉक्टर पैप टेस्ट से पता कर सकते हैं. इस टेस्ट में डॉक्टर शरीर से सैंपल लेकर प्रयोगशाला में भेजता है. जहां जांच के बाद इस कैंसर का सही स्थिति का पता लगाया जा सकता है .
अमेरिकन कैंसर सोसायटी शोध के बाद इस निर्णय पर पहुंची कि महिलाओ की उम्र जब 21 से अधिक हो जाये तो उन्हें पेप टेस्ट करवा लेना चाहिए. इसके बाद 21 से 30 की उम्र के बीच प्रत्येक 3 वर्षों के अंतराल और 30 के बाद 5 वर्ष के अंतराल से पेप टेस्ट करवाते रहना चाहिए ताकि इस कैंसर का समय पर ही पता चल जाये.
ग्रीवा के कैंसर का इलाज उपलब्ध है. इसके ज्यादातर मरीज स्वस्थ हो जाते हैं. अमेरिकन कैंसर सोसायटी के मुताबिक पिछले 30 वर्षों में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत की कमी आई है. कैंसर कोशिकाओं की जांच करने के लिए नियमित पेप परीक्षण प्रभावी उपायों में से एक माना जाता है. इसके अलावा एचपीवी का टीका भी लगाया जाता है.
एचपीवी और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को कैसे रोक सकते हैं?
एचपीवी के मध्य से फैलने वाले सर्विकल कैंसर की संभावना को कम करने के लिए 21 और 26 की उम्र के बीच की महिलाओं को एचपीवी वैक्सीन लगवानी चाहिए.
गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को इन तरीकों से रोका जा सकता है
– नियमित रूप से पैप टेस्ट करवाते रहे, समय – समय पर चिकित्सा परामर्श लेते रहे.
– जब भी आप यौन संबंध बनाये तो वो सुरक्षित होना चाहिए. यौन संबंध के समय आपकाे ये सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि आप के साथी निरोध साधनों का उपयोग कर रहे हैं, साथ ही एक से अधिक पुरूषों से यौन सम्बन्ध बनाने से बचें.
– जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं उनमें कैंसर का खतरा अधिक होता है इसलिए धूम्रपान से बचना चाहिए.
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