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भारत की प्रमुख मिसाइलें
भारत उन देशों में शामिल है जिनके पास अपनी मिसाइल टेक्नोलॉजी है. भारत ने कम दूरी से लेकर उपमहाद्विपीय स्तर तक की मिसाइल रेंज तैयार कर ली है और उसके तरकश में ब्रहमोस जैसी सूपरसोनिक मिसाइल भी है. आइए भारत की प्रमुख मिसाइलों की जानकारी लेते हैं.
पृथ्वी-1
पृथ्वी-1 युद्ध भूमि में काम आने वाली 150 किलोमीटर तक वार करने में सक्षम मिसाइल है. यह 1000 किलोमीटर तक का विस्फोटक ले जा सकती है. अपनी श्रेणी में यह दुनिया की किसी भी मिसाइल से यह अधिक खतरनाक है. यह भारतीय थल सेना में शामिल की जा चुकी है.
पृथ्वी—2
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने स्वदेशी निर्मित पृथ्वी-2 मिसाइल परणामु हथियार ले जाने में सक्षम है. पृथ्वी-2 में अपनी तरफ आने वाली किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल को नष्ट करने की क्षमता भी रखती है। पृथ्वी 2 मिसाइल को साल 2003 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था. यह पहली मिसाइल है जिसे डीआरडीओ ने ‘इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलेपमेंट प्रोग्राम’ के तहत तैयार किया था. पृथ्वी 2 देश में निर्मित मिसाइल है. यह मिसाइल 500 किलोग्राम से 1000 किलोग्राम तक का भार उठाने में सक्षम है.
सतह से सतह पर 350 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली पृथ्वी मिसाइल दो लिक्विड प्रपल्शन इंजन से चलती है. यह बैलिस्टिक मिसाइल 500 से 1000 किलो वजनी न्यूक्लियर हथियार से दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सकती है. पृथ्वी-2 जमीन से जमीन पर 350 किलोमीटर तक मार कर सकती है. डीआरडीओ ने ओडिशा के अब्दुल कलाम आइलैंड पर एंटी बैलिस्टिक इंटरसेप्टर मिसाइल का कामयाब टेस्ट किया था, जो 2000 किलोमीटर तक हमला कर सकती थी.
एडवांस टेक्नोलॉजी वाली पृथ्वी-2 मिसाइल में 2 इंजन लगाए गए हैं.
Prithvi Missiles of India in hindi |
पृथ्वी-3
पृथ्वी-3 भारतीय नौ सेना की मिसाइल है, जो 350 किलोमीटर तक वार करने में सक्षम है और 500 किलोग्राम तक विस्फोट ले जा सकती है. पृथ्वी रेंज की मिसाइलें भारत ने स्वदेशी तकनीक से विकसित की है और भारतीय सेना में इसे शामिल किया जा चुका है. भारत के एकीकृत मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत पृथ्वी पूर्ण रुप से स्वदेश में निर्मित पहली बैलेस्टिक मिसाइल है. यह द्रव इंजन से संचालित होती है.
अग्नि-1
अग्नि-1 पर काम 1999 में शुरु हुआ था लेकिन परीक्षण 2002 में किया गया. इसे कम मारक क्षमता वाली मिसाइल के तौर पर विकसित किया गया था. यह 700 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है. भारत ने परमाणु क्षमता संपन्न अग्नि-1 प्रक्षेपास्त्र के कई सफल परीक्षण कर चुकी है. अग्नि-1 को पहले ही भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया है लेकिन सेना से जुड़े लोगों के प्रशिक्षण और उनकी कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए इसका समय-समय पर प्रायोगिक परीक्षण किया जाता है.
अग्नि-2
जमीन से जमीन तक मार करने वाली अग्नि-2 मिसाइल का व्हीलर आईलैंड से मई 2010 में सफल परीक्षण किया. इससे पहले 2009 में इसका परीक्षण दो बार असफल हो गया था. अग्नि-2 मिसाइल की मारक क्षमता दो हजार किलोमीटर है और ये एक टन तक का पेलोड ले जा सकती है. यह अति आधुनिक नेवीगेशन सिस्टम और तकनीक से लेस है. अग्नि-2 भारतीय सेना में शामिल की जा चुकी है.
Agni Missiles of India in hindi |
अग्नि -3
भारत ने परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता वाली मिसाइल अग्नि-3 का विकास किया. इसका पहला परीक्षण 2006 में किया गया। इसकी मारक क्षमता 3500 किलोमीटर है. यह जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल है. 3500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली ये मिसाइल 17 मीटर लंबी है जिसका व्यास दो मीटर है. यह 1.5 टन का पेलोड ले जा सकता है. यह अति आधुनिक कम्प्यूटर और नेवीगेशन सिस्टम से लेस है.
अग्नि-4
ओडिशा के व्हीलर द्वीप से करीब तीन हजार किलोमीटर से अधिक दूरी तक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल अग्नि-4 का सफल प्रक्षेपण नवंबर 2011 को किया गया. इसमें कई नई तकनीकों का इस्तेमाल पहली बार किया गया है. यह अपनी पूर्ववर्तियों की तुलना में कहीं ज्यादा आधुनिक, सटीक और हल्की है. परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम लगभग एक हजार किलोग्राम के पेलोड क्षमता वाली अग्नि-4 बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-2 मिसाइल का ही उन्नत रूप है. पहली बार इसका प्रक्षेपण 2010 में दिसंबर में हुआ था लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से ये सफल नहीं हो पाया था.
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अग्नि-5
अग्नि-5 एक अन्तरमहाद्वीपीय श्रेणी की मिसाइल है जो रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित की गई है. सतह से सतह तक मार करने वाली अग्नि पांच को सबसे पहले ओड़िशा तट पर व्हीलर द्वीप से मोबाइल प्लेटफार्म के जरिए प्रक्षेपित किया गया था. परीक्षण के दौरान 17.5 मीटर लम्बी अग्नि-5 मिसाइल को 600 किलोमीटर की ऊंचाई पर ले जाया गया और उसे 7,000 मीटर प्रति सेकंड के वेग के साथ इस्तेमाल किया गया ताकि वह अपने लक्ष्य को निशाना बना सके. इसके साथ ही भारत उन चार देशों के विशिष्ट समूह में शामिल हो गया था जिनके पास अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें हैं. अमेरिका, रूस व चीन के बाद भारत ऐसा चौथा देश है जिसके पास इस तरह की मिसाइल है. भारत को अग्नि-5 मिसाइल को बनाने में चार साल का समय लगा. अग्नि-5 की क्षमता अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) की मारक क्षमता से 500 किलोमीटर कम है. दुनियाभर में आईसीबीएम के लिए 5,500 किलोमीटर से ज्यादा की मारक क्षमता मान्य है. अग्नि-5 को 2014 के अंत तक सशस्त्र बलों में शामिल किए जाने से पहले उसे परीक्षणों की एक श्रृंखला से गुजारा जाएगा.
अग्नि— 6
अग्नि -6 एक चार चरण वाली इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है, जो अभी विकास चरण में है, इसके डिजाइन चरण के पूरा होने के बाद इसके टेस्ट किए जाएंगे. अग्नि -6 एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है और अपनी पूर्ववर्ती अग्नि—5 की तुलना में बड़ी और लंबी रेंज के होने की संभावना है. भारत सरकार ने इसको विकसित किए जाने वाले प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी है. विशेषज्ञों के अनुसार इस मिसाइल की रेंज 8 हजार से 12 हजार किलोमीटर के बीच हो सकती है. हालांकि इसे विकसित कर रहे डीआरडीओ ने इस तथ्य की पुष्टि नहीं की है. यह मिसाइल एक साथ दस वारहेड तक ले जाने में सक्षम होगी और इसे समन्दर तथा जमीन दोनो ही जगहों से दागा जा सकेगा.
धनुष
धनुष मिसाइल को नौसेना के इस्तेमाल के लिए विकसित किया गया है और यह 350 किलोमीटर तक की दूरी पर स्थित लक्ष्य को भेद सकती है. यह पृथ्वी मिसाइल का नौसैनिक संस्करण है. इसकी लंबाई दस मीटर और चौड़ाई एक मीटर है और यह भी 500 किलोग्राम तक के हथियार ढो सकती है. इसे डीआरडीओ ने विकसित किया है और इसका निर्माण भारत डाइनेमिक्स लिमिटेड ने किया है.
Brahmos Missiles of India in hindi |
ब्रह्मोस
28 अप्रैल, 2002 को भारत ने ध्वनि की गति से भी तेज चलने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परिक्षण किया था और इसे ब्रहमोस का नाम दिया. भारत ने इसका निर्माण रूस के सहयोग से किया है. दोनों देशों के बीच 1998 में इस मिसाइल को विकसित करने के लिए करार हुआ था. ब्रह्मोस 290 किलोमीटर तक की मार करने की क्षमता रखता है और इसका वजन तीन टन है. ये जहाज, पनडुब्बी और हवा समेत किसी भी प्लेटफॉर्म से दागी जा सकती है. यह मिसाइल ध्वनि की गति से 2.8 गुना ज्यादा गति से उड़ान भर सकती है. ब्रहमोस मिसाइल प्रणाली सेना की दो रेजीमेंट में पूरी तरह काम करने लग गई है.
सागरिका
सागरिका समुद्र से दागी जा सकती है और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. सबमरीन लाँच्ड बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) सागरिका को 2008 में विशाखापत्तनम के तटीय क्षेत्र से छोड़ा गया था. यह 700 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है.
आकाश
आकाश जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है. 700 किलोग्राम वजनी यह मिसाइल 55 किलोग्राम का पेलोड साथ ले जा सकती है. इसकी गति 2.5 माक है और यह मिसाइल प्रणाली कई निशानों को एक साथ भेद सकती है. साथ ही यह मानवरहित वाहन, युद्धक विमान और हेलीकॉप्टरों से दागी गई मिसाइलो को भी नष्ट कर सकती है. इस प्रणाली को भारतीय पेट्रीयट प्रणाली भी कहा जाता है. आकाश मिसाइल प्रणाली 2030 और उसके बाद तक भारतीय वायु सेना का अहम हिस्सा रहेगी.
प्रहार
प्रहार जमीन से जमीन तक मार करने वाली मिसाइल है. इसकी मारक क्षमता 150 किलोमीटर है. ये कई तरह के वॉरहेड ले जाने की क्षमता रखती है. इसकी लंबाई 7.3 मीटर, वजन 1280 किलोग्राम और डायामीटर 420 मिलीमीटर है. 200 किलोग्राम का पेलोड ले जाने में सक्षम इस मिसाइल का रिएक्शन टाइम काफी कम है. ये मल्टी बैरल रॉकेट और मध्यम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल के बीच की श्रेणी को भरने का अहम काम करती है और भारतीय जरूरतों के अनुसार मध्यम श्रेणी तक मार करने के लिए बेहतरीन विकल्प है.
आश्विन
कम ऊँचाई पर उड़ने वाला यह प्रक्षेपास्त्र का भार 1.2 टन है, लम्बाई लगभग 7.5 मीटर है तथा इसका व्यास आधा मीटर से थोड़ा कम है. इसमें नैवीगेटर को एकीकृत किया गया है तथा एक उन्नत कम्प्यूटर व इलेक्ट्रो-मैकेनिकल एक्टिवेटर से लैस किया गया है. यह प्रक्षेपास्त्र दूसरे बैलास्टिक प्रक्षेपास्त्र का काफी पहले पता लगाकर इसे हवा में नष्ट कर देने में पूरी तरह से सक्षम है. आश्विन प्रक्षेपास्त्र के सफल परीक्षण के साथ भारत बहु-सतही बैलास्टिक प्रतिरक्षा मिसाइल प्रणाली वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है. यह उपलब्धि अभी तक सिर्फ तीन देशों – अमेरिका, रूस और इज़राइल को हासिल थी.
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