Table of Contents
क्या आपमें है माउंट एवरेस्ट फतह का हौसला
Where is Mount Everest – माउंट एवरेस्ट कहां स्थित है
How tall is Mt Everest – माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई कितनी है
माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को लेकर कई देशों की अलग-अलग राय है. आम तौर पर माना जाता है कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई समुद्री सतह से 8848 मीटर यानी 29029 फुट है. हालांकि चीन का दावा है कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई चार मीटर कम यानी 8844.43 मीटर है.
चीन एवरेस्ट की ऊंचाई को रॉक हाइट तक मानता है जबकि नेपाल जमी हुई बर्फ को जोड़ते हुए एवरेस्ट की ऊंचाई की गणना करता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि एवरेस्ट पर्वत 4 मिलीमीटर प्रति वर्ष के हिसाब से आज भी बढ़ रहा है.
माउंट एवरेस्ट का नामकरण
माउंट एवरेस्ट का नामकरण भारत का पहला मानचित्र तैयार करने वाले जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर किया गया है. कहा जाता है कि जॉर्ज एवरेस्ट ने ही एवरेस्ट की ऊंचाई को मापा था. लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है. वास्तव में जॉर्ज एवरेस्ट के सहयोगी रहे बंगाली गणितज्ञ राधानाथ सिकदर ने त्रिकोणमिति का उपयोग करके सबसे पहले एवरेस्ट की ऊंचाई की बिल्कुल ठीक गणना की थी.
कोलकाता में भारतीय सर्वेक्षण विभाग में काम करते हुए राधानाथ सिकदर ने ही अपने बॉस कर्नल एंड्रयू स्कॉट वॉ के निर्देश पर बर्फ से ढकी चोटी XV की ऊंचाई मापने का काम किया और पाया कि यह पृथ्वी की सबसे ऊंची चोटी है. सिकदर ने अपनी रिपोर्ट कर्नल वॉ को सौंपी. कर्नल वॉ ने अपने पुराने अधिकारी जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर चोटी का नाम रखा. 1856 में किए गए इस सर्वे में एवरेस्ट की ऊंचाई 8840 मीटर यानी 29,002 फुट मापी गई थी.
माउंट एवरेस्ट को नेपाली भाषा में सागरमाथा और तिब्बती भाषा में चोमोलुंग्मा या चीनी भाषा में क्योमोलांगमा कहा जाता है. संस्कृत में माउंट एवरेस्ट के लिए देवगिरि नाम भी प्रचलित है.
माउंट एवरेस्ट तक जाने का रास्ता
How many people climb Everest- कितने लोग माउंट एवरेस्ट पर जाते हैं
पर्वतारोहियों में एवरेस्ट फतह करने की महत्वाकांक्षा दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है. आम तौर पर हर वर्ष करीब 600 लोग एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचते हैं. जितने लोग एवरेस्ट पर चढ़ाई का परमिट हासिल करते हैं, उनमें से करीब आधे ही वास्तव में शिखर तक जाते हैं.
एवरेस्ट पर जाने वाले लोगों में दो-तिहाई लोग दक्षिण की ओर से यानी नेपाल से होकर चढ़ाई करते हैं. बाकी बचे हुए लोग उत्तर में तिब्बत की ओर से चढ़ाई करते हैं. ज्यादातर लोग मई के क्लाइम्बिंग सीजन में ही एवरेस्ट पर जाते हैं.
How many people have climbed Everest-अब तक कितने लोग माउंट एवरेस्ट पर जा चुके हैं
Bodies on Everest एवरेस्ट पर कितने शव दबे हैं
अब तक करीब 300 लोगों की मौत एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान हुई है. अनुमान है कि इनमें से करीब दो सौ लोगों के शव अब भी एवरेस्ट की बर्फ में ही दबे हुए हैं. इनमें से आधी से अधिक 168 मौतें बिना बाहरी ऑक्सीजन सपोर्ट के एवरेस्ट पर चढ़ने का प्रयास करने के कारण हुई हैं. 73 लोगों की मौत एवरेस्ट शिखर से उतरते हुए हुई है.
वास्तव में आठ हजार मीटर ऊपर जाने के बाद के क्षेत्र को डेथ जोन कहा जाता है, जहां परिस्थितियाँ काफी खतरनाक होती हैं. यदि इस क्षेत्र में किसी पर्वतारोही की मृत्यु हो जाती है तो उसे वहीं छोड़ दिया जाता है. उनका मृत शरीर माउंट एवरेस्ट की बर्फ में हमेशा के लिए दफ्न हो जाता है.
कई ऐसे शव आने वाले सालों में पर्वतारोहियों के लिए लैंडमार्क यानी दिशासूचक बन जाते हैं. एवरेस्ट पर्वत के पूर्वोत्तर रिज रूट पर एक पर्वतारोही सेवांग पालजोर की मौत हो गई थी. उसने हरे रंग के जूते पहन रखे थे. पर्वतारोही इस जगह को अब ग्रीन बूट के नाम से पहचानने लगे हैं.
सबसे अधिक 77 मौतें हिमस्खलन से, 67 मौतें नीचे गिरने के कारण और करीब 30-30 मौतें हाई एल्टीट्यूड सिकनेस और अत्यधिक कम तापमान से हुई समस्याओं के कारण हुई हैं. शवों को नीचे लाने में होने वाले भारी खर्च के कारण बहुत कम शवों को एवरेस्ट से नीचे लाया जाता है.
Causes of Death on Everest- एवरेस्ट पर मौतों का कारण
एवरेस्ट पर लोगों की मृत्यु मुख्यतः बेहद कम तापमान, अधिक ऊंचाई के कारण होने वाली दिक्कतों, साथ ले जाई गई ऑक्सीजन खत्म हो जाने या अचानक आये बर्फीले तूफान में फंस जाने के कारण होती है. बहुत सारे पर्वतारोही भूस्खलन या हिमस्खलन या हार्ट फेल होने के कारण भी जान गंवा बैठते हैं.
ऊंचाई बढ़ने के कारण सिरदर्द, जी मिचलाना और शारीरिक कमजोरी जैसी परेशानियां होने लगती हैं. डेथ जोन में हाइ-एल्टीट्यूड सेरेब्रल एडेमा हो सकता है, जिसके कारण मांसपेशियों पर नियंत्रण खोना, आवाज लड़खड़ाना और भ्रम जैसी समस्याएं होने लगती हैं.
डेथ जोन में हाई-एल्टीट्यूड पल्मोनरी एडेमा भी हो सकता है जिसके कारण खांसी और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. हिमदाह (Frostbite), हिम अंधता जिसे Snow Blindness या Photokeratitis भी कहते हैं और हाइपोथर्मिया के कारण भी कई लोगों की मौत हो जाती है.
Weather at Mount Everest in Hindi – माउंट एवरेस्ट का मौसम
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने और स्वयं को इसके अनुकूल बनाने में करीब 40 दिन लग जाते हैं. इस बेहद दुर्गम सफर में प्रकृति ही सबसे बड़ी चुनौती है. यहां हवा की गति 321 किलोमीटर प्रतिघंटा तक हो जाती है और तापमान गिरकर माइनस 80 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच सकता है.
High Altitude Sickness ऊँचाई पर होने वाली कमजोरी, तेज हवाएं और ऑक्सीजन की कमी से ऊपर चढ़ने भारी मुश्किल पैदा होती है. इस क्षेत्र में जैसे-जैसे आप ऊपर चढ़ते हैं, ऑक्सीजन की कमी होती जाती है.
Cost to climb Mount Everest in Hindi – माउंट एवरेस्ट पर जाने का खर्च
क्या अब भी आप एवरेस्ट पर जाना चाहते हैं
एवरेस्ट की चढ़ाई बहुत मुश्किल है फिर भी प्रोफेशनल से लेकर शौकिया पर्वतारोही तक सभी एक बार माउंट एवरेस्ट के सर्वोच्च शिखर पर जाना चाहते हैं. अगर एवरेस्ट फतह का रोमांच आपको आकर्षित करता है, तो पहले आप पर्वतारोहण का जरूरी अनुभव हासिल कीजिए और अपनी बॉडी को एवरेस्ट की कठोर परिस्थितियों को झेलने में सक्षम बनाइए.
जब आप काठमांडू की फ्लाइट में यात्रा कर रहे होते हैं तो आपको अपनी खिड़की से एवरेस्ट का नजारा दिख सकता है. मतलब साफ है, एवरेस्ट पर चढ़ना मतलब विमान उड़ने की ऊंचाई तक चढ़ना, जो नौसिखियों का खेल नहीं है. सबसे जरूरी बात एक बार फिर, एवरेस्ट फतह के लिए एवरेस्ट जैसा हौसला होना चाहिए.
Interesting facts about Mount Everest – माउंट एवरेस्ट से जुड़ी रोचक जानकारी
एडमंड हिलेरी एवं शेरपा तेनजिंग नोर्गे |
- माउंट एवरेस्ट पर 29 मई 1953 को पहली बार न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी और नेपाली मूल के भारतीय नागरिक शेरपा तेनजिंग नोर्गे चढ़े थे. सबसे पहले हिलेरी ने शिखर पर कदम रखा. इसलिए सबसे पहले एवरेस्ट पर जाने वाला व्यक्ति एडमंड हिलेरी को माना जाता है.
- जापान की जुनको तबेई माउंट माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली महिला थीं. वे 22 सितम्बर 1939 को एवरेस्ट पर पहुंचीं.
- बछेंद्री पाल 1984 में एवरेस्ट पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं.
- वर्ष 2018 में नेपाल के कामी रीता ने माउंट एवरेस्ट पर सर्वाधिक 22 बार पहुंचने का रिकार्ड बनाया है.
- 13 साल के जॉर्डन रोमेरो माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के शख्स हैं.
- 80 वर्ष के यूइचिरो मियूरा दुनिया के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति हैं जो एवरेस्ट की चोटी तक पहुंचे हैं.