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वायु प्रदूषण पर निबंध
Air Pollution harmful effects in Hindiवायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव
इस शोध अध्ययन के अनुसार, सौ साल में पहली बार भारत के पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर चीन से आगे चला गया है. ग्रीनपीस की रिपोर्ट के अनुसार, चीन में ऐसे उपाय किए गए हैं, जिनसे प्रदूषण में थोड़ी कमी आई है लेकिन भारत का प्रदूषण स्तर तमाम शोध अध्ययनों, सेमिनारों और चेतावनियों के बावजूद बीते एक दशक में खतरनाक दिशा में निरंतर बढ़ता ही जा रहा है.
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Causes of air pollution in Hindi वायु प्रदूषण के कारण
पटाखे वायु प्रदूषण का बड़ा कारण
दिल्ली में वाहनों से वायु प्रदूषण अधिक
Air pollution diseases in Hindiवायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
वैज्ञानिकों के अनुसार, वाहनों से निकलने वाले धुएं का लगभग 99.4 प्रतिशत हिस्सा वातावरण में घुलकर अदृश्य रहता है. इनमें से हाइड्रोकार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड सूर्य के प्रकाश और उच्च तापक्रम से क्रिया करके ग्राउंड लेवल ओजोन का निर्माण करते हैं. यह ग्राउंड लेवल ओजोन सांस की बीमारियां पैदा करता है और फेफड़ों को भी हानि पहुंचाता है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दिल्ली में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 का औसत स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंड 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से दिल्ली में 14 गुना ज्यादा पाया गया है. पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम-2.5 पृथ्वी के वायुमंउल में उपस्थित ठोस या तरल पदार्थ के छोटे ऐसे कण हैं, जिनका आकार महज 2.5 माइक्रोग्राम से भी कम होता है. ये कण बड़ी आसानी से हमारे नाक व मुंह के जरिए शरीर के अंदर तक पहुँचकर हमें बीमार बना सकते हैं. ये मनुष्य के बाल से भी 30 गुना ज्यादा महीन होते हैं. इनसे दिल का दौरा पड़ने, लकवा मारने, फेफड़ो का कैंसर होने और सांस की बीमारी पनपने का खतरा बढ़ता है. यह हमारे स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा खतरा उत्पन्न करने वाले कारणों में से एक है.
Solutions of air pollution वायु प्रदूषण की रोकथाम के उपाय
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य जोखिम के स्तर को मापने के लिए पीएम- 2.5 सबसे सटीक पैमाना है. डब्ल्यूएचओ ने कई बार लोगों को यह चेताया है कि पार्टिकुलेट मैटर, ओजोन, नाइट्रोजन मोनो ऑक्साइड और सल्फर डाइ ऑक्साइड लोगों की सेहत के लिए बहुत खतरनाक हैं. अतः इन हानिकारक पदार्थो के लिए एक सीमा तय होनी चाहिए, अन्यथा बड़े शहरों में रहने वाले लोगों को इससे बहुत नुकसान पहुँच सकता है.
अतः यह जरूरी है कि समाज में ऐसे साधनों की खोज की जाए, जिनसे पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण की रोक-थाम हो और हमारा पर्यावरण लगातार स्वच्छ बना रहे. जैसे-फसल के अवशेषों को खेतों में जलाने के बजाय उसके अन्य उपयोग के लिए बाजार तैयार हो, जिससे किसानों को फायदा हो. ध्वनि व वायु प्रदषण में इजाफा करने वाले पटाखों के निर्माण व बिक्री पर पाबंदी लगे और समाज के लोग भी पटाखों से होने वाले नुकसान को समझते हुए इनके उपयोग पर रोक लगाएं. पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों के स्थान पर इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग भी वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने में अहम भूमिका निभा सकता है. अतः इलेक्ट्रिक वाहनों के अधिक-से-अधिक इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जाए. इसके साथ ही वातावरण के प्रदूषण को सोखने में सबसे अधिक मददगार पेड़-पौधों की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि वे हमें स्वच्छ पर्यावरण दे सकें.