देवनारायण जयंती Bhagwan Devnarayan Story in Hindi

देवनारायण जी राजस्थान के एक लोक देवता, शासक, और महान योद्धा थे. परंपरा के मुताबिक, उनका जन्म विक्रम संवत 968 (911) में हिंदू कैलेंडर के माघ महीने के शुक्ल पक्ष (शुक्ल सप्तमी) के सातवें दिन श्री सवाई भोज और साडू माता के यहां हुआ था. देवनारायण, विष्णु के अवतार थे और उनकी पूजा मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में होती है. इनका भव्य मंदिर आसीन्द में है.

राजस्थान में, 27 जनवरी 2023 को अशोक गहलोत ने देव नारायण जयंती को राजकीय अवकाश घोषित किया था. आमजन की आस्था और जनप्रतिनिधियों की मांग को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया था. देवनारायण जयंती 2024 में 16 फरवरी को मनाय जाएगा।

देवनारायण जी का परिचय

देवनारायण जी राजस्थान के प्रमुख लोक देवता हैं। उनका जन्म 1243 ई. के आसपास हुआ था। वे बगड़ावत प्रमुख भोजा और सेंदु गूजरी के पुत्र थे। इनका जन्म का नाम उदयसिंह था। इनके पिता इनके जन्म के पूर्व ही भिनाय के शासक से संघर्ष में अपने तेइस भाइयों सहित मारे गए थे। तब भिनाय शासक से इनकी रक्षा हेतु इनकी माँ सेढू इन्हें लेकर अपने पीहर मालवा चली गई।

बड़े होने पर देवनारायण जी ने भिनाय के शासक से बदला लिया और अपने पिता के राज्य को पुनः प्राप्त किया। उन्होंने अपने राज्य में अनेक सामाजिक सुधार किए और जातिवाद और अस्पृश्यता जैसी कुरीतियों को दूर किया। वे 1299 ई. तक शासन करते रहे।

देवनारायण जी को राजस्थान के सबसे लोकप्रिय लोक देवताओं में से एक माना जाता है। उनकी पूजा मुख्यतः राजस्थान, हरियाणा तथा मध्यप्रदेश में होती है। इनका भव्य मंदिर आसीन्द में है। राजस्थान, में 27 जनवरी 2023 को अशोक गहलोत ने देव नारायण जयंती को राजकीय अवकाश घोषित किया।

देवनारायण जी की कहानियां इस प्रकार हैं:

  • देवनारायण जी का जन्म नीम के पेड़ के नीचे हुआ था।
  • देवनारायण जी ने अपनी माँ सेढू के कहने पर भिनाय के शासक से बदला लिया।
  • देवनारायण जी ने अनेक चमत्कार किए।
  • देवनारायण जी ने अपने राज्य में अनेक सामाजिक सुधार किए।
  • देव नारायण जी को राजस्थान के गौरवशाली इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। वे आज भी राजस्थान के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

यहाँ कुछ अन्य बातें हैं जो आपको देवनारायण जी के बारे में जाननी चाहिए:

  1. देव नारायण जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
  2. देवनारायण जी को गुर्जर समाज का मुख्य देवता माना जाता है।
  3. देव नारायण जी के जन्मदिन को “देव नारायण जयंती” के रूप में मनाया जाता है।
  4. देवनारायण जी के नाम पर राजस्थान में अनेक स्थानों का नाम रखा गया है।

देवनारायण जी की कथा, जीवनी और महिमा

देवनारायण जी गुर्जर जाति के अराध्य और सबके लिए पूज्य है. ऐसी मान्यता है कि वे विष्णु के अवतार थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन जलकल्याण को समर्पित कर दिया. उनके जीवन से प्रेरणा लेकर उनके अनुयायी जन सेवा का काम तत्परता के साथ कर रहे है.

देवनारायण जी का इतिहास

देव नारायण जी का जन्म स्थान

Devnarayan ji का जन्म माघ शुक्ला सप्तमी मालासेरी में हुआ. इनके पिता श्री सवाई भोजन एवं माता का नाम साडू देवी था. देवनारायण जी बगड़ावत वंश के नागवंशीय गुर्जर थे, जिनका मूल स्थान अजमेर के निकट नाग पहाड था.

देव नारायण जी का वंश

अजमेर के चौहान राजाओं द्वारा बगड़ावतों को गोठा की जागीर दी गई. जो वर्तमान में भीलवाड़ा जिले के आसीन्द से अजमेर जिले के मसूदा तक खारी नदी के आसपास का क्षेत्र था. गोठा में बगड़ावतों के साभी भाइयों ने अपने किले बनाए एचं मिल-जुलकर रहने लगे. बगड़ावतों का यश व वीरता की चर्चा मारवाड व मेवाड में होने लगी. बगडावत कुल के पहले प्रतापी राजपुरूष हरिराव थ. हरिराव के पुत्र बाघराव थे. बाघराव के बारह रानियां एवं चौबीस पुत्र थे. इनके पुत्र बाघ रावत कहलाए, कालानान्तर में ये बाघ रावत ही बगडावत कहलाने लगे.

देवनारायण जी के माता—पिता

बाघ रावत के पुत्रों में सवाई भोज बडे प्रतापी थे. सवाई भोज का विवाह उज्जेन के सामन्त दूधा खटाणा की कन्या साढू तथा कोटपूतली के पदम पोसवाल की कन्या पदमा से हुआ था. गोठा इनकी जागीर थी. गढ बुवाल (मारवाड के पास) के सामन्त इडदे सोलंकी की राजकुमारी जयमती सवाई भोज से विवाह करना चाहती थी.

उधर उसके पिता राण के राणा दुर्जनसाल से जयमती का विवाह करना चाहते थे. राणा दुर्जनसाल बारात लेकर जयमती से विवाह करने पहुंच चुके थे, पर सवाई भोज युक्ति से गोठा पहुंच गया.

इस भयंकर अपमान से तिलमिलाकर दुर्जनसाल ने विशाल सेना के साथ गोठा पर आक्रमण कर दिया तथा सभी बगड़ावतों को मार दिया. राणा दुर्जनसाल को युद्ध के बाद भी जयमती प्राप्त नहीं कर पाया. युद्ध में सवाई भोज का साथ देते हुए वह भी वीरगति को प्राप्त हुई.

देवनारायण जी का जन्म

सवाई भोज की दूसरी पत्नी सोढी खटाणी उस समय गर्भवती थी. गुरु रूपनाथ ने सोढी खटाणी को समझाया कि उनका गर्भस्थ शिशु ही वंश का बदला लेगा तथा अन्याय और अत्याचार मिटाएगा.

इस पर सोढी मालासेरी के जंगलों में चली गई. वहीं माध शुक्ला सप्तमी को देव नारायण जी का जन्म हुआ. देवनारायण जी का जन्म का नाम उदयसिंह रखा गया. उनके जन्म का पता राणा दुर्जन को भी लगा.

वह बदले की आग में जला जा रहा था. इसलिए उसने सवाई भोज के वंश को ही निर्मूल करने का निश्चय किया. शिशु उदयसिंह को मारने के लिए भी उसने कुछ लोगों को तय कर दिया. अब सोढी खटाणी ने भी मालासेरी में खतरा बढता देखकर अपने पीहर देवास जाने का निर्णय किया.

देवनारायण जी का बचपन

Devnarayan ji का लालन पालन अब देवास में होने लगा. कुछ बडे होते ही वह घुड सवारी और शस्त्र संचालन सीखने लगा. इसी के साथ शिप्रा के किनारे सिद्ध वट नामक स्थान पर वह साधना भी करने लगे. सिद्ध वट के योग्य गुरुओ ने उसे तंत्र विद्या भी सिखाई युवावस्था में पहुंचते देव नारायण जी एक कुशल योद्धा हो गए. जैसे ही उनकी शिक्षा पूरी हुई छोछू उन्हें गोठा ले चलने को लिए देवास आ गए.
देवनारायण जी के चमत्कार

छोछू भाट देव नारायण जी सोढी तथा कुछ अंगरक्षकों के साथ देवास से चल पडा. धार में स्थित महाकाली की आराधना के समय राजा जयसिंह की बीमार पुत्री पीपलदे को अपने से Devnarayan ji ने भला चंगा कर दिया. वहीं पीपलदे से उनका विवाह हुआ.

देव नारायण जी को विष्णु अवतार माना जाता है. इनका भव्य मंदिर भीलवाडा के आसीन्द में है. देव नारायण जी एक सिद्ध पुरूष थे. अपनी सिद्धियों का उपयोग उन्होंने जन कल्याण में किया. इसलिए वे लोकदेवता बन गए तथा अवतारी पुरूष माने गए.

उनके द्वारा किए गए आश्चर्यजनक कथाओं को जन मानस ने चमत्कार माना और उनके चमत्कारों की कथाएं कही व सुनी जाने लगी. देव नारायण जी के कुछ चमत्कार इस प्रकार है- छोछूं भाट को जीवित करना, पीपलदे की कुरूपता दूर करना, सूखी नदी में पानी बह निकलना, सारंग सेठ को पुनर्जीवित करना.

देव नारायण जी का वैकुण्ठ लोक गमन

31 वर्ष की आयु में अक्षय तृतीया वेसाख शुकल तृतीय सं. 999 को घेडे पर सवार हो बैकुण्ठ धाम चले गए. देवनारायण जी के चमत्कार, पराक्रम व अदभुत कार्यों का चित्रण देवनारायण जी की फड में किया जाता है. भोपाओं द्वारा लोकवाद्य जंतर की संगत पर बडे रोचक एवं आकर्षक ढंग से नृत्य व गायन के सााि फड काा वाचन किया जाता है.

देवनारायण जी की फड़

देव नारायण जी की फड़ भारत की लोक संस्कृति का महान वाहक है. यह गुर्जर भोपाओं द्वारा अपने अराध्य श्री देव नारायण की जी चित्रमय गाथा है जो जिसमें उनके वंशजों से लेकर उनके प्रयाण तक की पूरी कथा रोचक तरीके से प्रस्तुत की जाती है.

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4 Comments

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v nice devnarayan katha wrnan
me nathu bhopa shree devnarayan ka pujari [village dhaneriya pali rajasthan]
mera ak youtube chenal SHREE DEV ENTERTAINMENT HYDERABAD

देव नारायण को बली की जरी है क्या? अगर हा तो कीसकी?

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