मुक्काबाज फिल्म रिव्यू
टोरंटों फिल्म फेस्टिवल 2017 Toronto Film Festival में स्पेशल प्रजेंटेशन कैटेगरी में स्क्रीनिंग और के बाद अनुराग कश्यप की एक और दमदार फिल्म मुक्काबाज रिलीज हो गई है। फिल्म का मुख्य किरदार यूपी का एक बॉक्सर है जो यूपी का माइक टायसन Mike Tyson of UP बनना चाहता है।
मुक्काबाज फिल्म का प्रमुख किरदार यह बॉक्सर अपना सपना पूरा करने के प्रति पूर्ण आश्वस्त तो है लेकिन इसकी राह में कुछ सामाजिक मुद्दे और राजनीति रोड़ा बनकर आ जाते हैं। इसके बावजूद यह श्रवण कुमार नाम का मुक्केबाज बाहुबलियों के सामने झुकने के लिए तैयार नहीं होता। श्रवण कुमार की भूमिका निभाने में विनीत सिंह ने पूरा जोर लगा दिया है। वहीं जिमी शेरगिल ने भी एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वो फिल्म इंडस्ट्री के सबसे हुनरमंद अभिनेताओं में शामिल हैं।
Table of Contents
मुक्काबाज फिल्म की कहानी
Story of Mukkabaaz Film
मुक्काबाज फिल्म की कहानी में समाज के कई संवेदनशील मुद्दों का समावेश है। कहानी बरेली (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले श्रवण कुमार (विनीत सिंह) Vineet Singh की है। श्रवण कुमार का पढ़ाई में मन नहीं लगता और वह एक मुक्केबाज बनना चाहता हैं। श्रवण कुमार सपना देखता है कि वह उत्तर प्रदेश का माइक टायसन बनेगा।
यह भी पढ़ें:
बॉक्सिंग की प्रैक्टिस के लिए श्रवण कुमार भगवान दास मिश्रा (जिमी शेरगिल) Jimmy Shergill के पास जाता है। भगवान दास मिश्रा बॉक्सिंग कोच होने के साथ—साथ लोकल लीडर भी है। भगवान दास की भतीजी सुनैना (ज़ोया हुसैन) Joya Hussain से श्रवण कुमार दिल लगा बैठता है और भगवान दास के व्यवहार के कारण उससे विद्रोह कर बैठता है। इसके बाद श्रवण कुमार नेशनल लेवल पर बॉक्सिंग खेलने के लिए एक दूसरे बॉक्सिंग कोच संजय कुमार (रवि किशन)से प्रशिक्षण लेता है। इसके लिए वह बनारस जाता है मगर उसने भगवान दास से जो पंगा मोल लिया वह उसका पीछा नहीं छोड़ता। इसके बाद अपने प्रेम को पाने के लिए श्रवण कुमार जो लड़ाई लड़ता है, जो संघर्ष करता है, उसी पर पूरी फिल्म आधारित है।
सोशल सटायर भी है फिल्म
Mukkabaaz; A Social Satire
अनुराग कश्यप Anurag Kashyap ने अपनी इस मुक्काबाज फिल्म को प्रो—स्पोर्ट्स फिल्म Pro-Sports Film कहा है। हालांकि समीक्षकों की नजर में मुक्काबाज फिल्म एक प्रकार का सोशल सटायर है। तमाम सरकारी सुविधाओं के प्रावधान के बावजूद किस तरह एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी को हर जगह धक्के खाने पड़ते हैं, फिल्म में बखूबी दिखया गया है।
यह भी पढ़ें:
अनुराग कश्यप निर्देशीत इस फिल्म में जाति के नाम पर होने वाली राजनीति पर भी काफी सटीकता से धावा बोला गया है। फिल्म की कहानी मूलत: श्रवण और सुनैना की लव स्टोरी पर ही बुनी गयी है फिर भी फिल्म का ट्रीटमेंट पूरी तरह समाज की बुराइयों को सामने लाने के लिए किया गया है। अनुराग की फिल्म एक प्रकार से मुख्य धारा के सिनेमा की फिल्म भी है क्योंकि इसमें कॉमेडी और इमोशन से लेकर थॉट भी है।
यूपी पुट के लिए डाले खास डायलॉग
Special Dialogues for UP touch
फिल्म में रवि किशन दमदार भूमिका में हैं। वहीं जिमी शेरगिल की अपीयरेंस भी यूपी के एक दबंग नेता के रूप में कम नहीं है। फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दिकी भी हैं लेकिन सिर्फ गेस्ट अपीयरेंस में। उत्तर प्रदेश के बैकग्राउंड पर बनी इस फिल्म में यूपी टच के लिए डायलॉग का खासा सहारा लिया गया है। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर प्रशांत पिल्लै ने तैयार किया है। वहीं गानों की धुन न्यूक्लिया (Nucleya) और रचिता अरोड़ा (Rachita Arora) ने दी हैं। 2 घंटे 25 मिनट की इस फिल्म को डायलॉग के साथ—साथ संगीत से भी बांधने का प्रयास किया गया है।