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पचमढ़ी हिल स्टेशनः सतपुड़ा की रानी
– प्रियंका अग्रवाल
पचमढ़ी मध्य भारत का प्रसिद्ध और एक मात्र हिल स्टेशन है, जिसे सतपुड़ा की रानी भी कहा जाता है। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में सतपुड़ा की पहाड़ियों में 1100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पचमढ़ी की सुंदरता ही कुछ ऐसी है कि जो एक बार यहां आता है, वह बार-बार यहां आना चाहता है। कल-कल बहते झरने, प्राकृतिक गुफाएं, दूर तक फैले सतपुड़ा के घने जंगल के खूबसूरत नजारे और प्राचीन मंदिर, पचमढ़ी में देखने के लिए इतना कुछ है कि आपका दिल नहीं भरेगा। आइए, अपनी तरह के अनूठे हिल स्टेशन पचमढ़ी के इतिहास और यहां के प्रमुख आकर्षणों के बारे में जानते हैं।
Pachmarhi story in Hindi
पचमढ़ी का इतिहास
ऐसा कहा जाता है कि पांडव अपने वनवास के दौरान पचमढ़ी आए थे और यहां गुफाओं में निवास किया था, इस कारण इस स्थान को पचमढ़ी नाम मिला है। अंग्रेजों के जमाने में पचमढ़ी का इलाका गौंड आदिवासियों के राजा भावुत सिंह के राज्य में आता था। सन 1857 में ब्रिटिश सेना के कैप्टन जेम्स फोरसिथ झांसी के लिए अपनी सेना लेकर जा रहे थे, तब उन्होंने अब तक अनछुई इस बेहद खूबसूरत जगह का विहंगम नजारा देखा।
यह भी कहा जा सकता है कि आधुनिक काल में पचमढ़ी हिल स्टेशन की खोज कैप्टन फोरसिथ ने की। इसके बाद ही इस स्थान यानी पचमढ़ी को एक हिल स्टेशन के रूप में पहचान मिली। अंग्रेजों के समय में यह स्थान सेंट्रल प्रोविंस की ग्रीष्मकालीन राजधानी भी रहता था। अंग्रेजों ने इस स्थान को छावनी क्षेत्र के रूप में विकसित किया, आज भी पचमढ़ी का बड़ा इलाका छावनी क्षेत्र में आता है। पचमढ़ी को वर्ष 2009 में यूनेस्को ने जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र Biosphere Reserve Area घोषित किया।
Points of interest in Pachmarhi
पचमढ़ी दर्शनीय स्थल
पचमढ़ी अपने खूबसूरत प्राकृतिक नजारों, झरनों और व्यू पॉइन्ट्स के लिए पर्यटकों में लोकप्रिय है। पचमढ़ी के प्रमुख पर्यटक स्थलों के बारे में जानते हैं।
Priyadarshini Point
प्रियदर्शिनी प्वाइंट (फोर्सिथ प्वाइंट)
ब्रिटिश कैप्टन फोर्सिथ ने 1857 में इसी स्थान से पचमढ़ी की खूबसूरती का नजारा देखा। उन्हीं कैप्टन फोर्सिथ के नाम पर इस प्वाइंट को फोर्सिथ प्वाइंट Forsyth Point नाम मिला। इंदिरा गांधी एक बार इस स्थान पर भ्रमण के लिए आईं, जिसके बाद इस स्थान का नाम प्रियदर्शिनी प्वाइंट कर दिया गया। इस जगह से पूरा पचमढ़ी बहुत खूबसूरत नजर आता है। यहां से हांडी खोह का मनोरम दृश्य भी दिखाई देता है। सनसेट पर यहां पर्यटकों की अच्छी-खासी भीड़ रहती है।
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Handi Khoh
हांडी खोह
पचमढ़ी वन क्षेत्र में स्थित हांडी खोह करीब 300 फुट गहरी और खड़ी खाई है। इसका आकार हांडी नुमा होने के कारण इसका नाम हांडी खोह पड़ा है। पचमढ़ी के अन्य आकर्षणों की तरह यह स्थान भी अप्रतिम नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर है और फोटोग्राफी के लिए विशेष महत्वपूर्ण है।
Fairy Pool
अप्सरा विहार
पचमढ़ी अपने खूबसूरत झरनों के लिए मशहूर है। अप्सरा विहार एक छोटा मगर सुंदर झरना है। इसके नीचे एक प्राकृतिक स्विमिंग पूल Natural Swimming Pool बना हुआ है। इस कुंड को परी कुंड यानी
Fairy Pool कहने की भी एक वजह है, जो हमें पचमढ़ी में गाइड से भी सुनने को मिलती है। अंग्रेज अफसरों की पत्नियाँ इस कुंड में स्नान करने आया करती थीं। स्थानीय लोग इन गोरी महिलाओं को परियो के समान खूबसूरत समझते थे। इस तरह इस कुंड का नाम अप्सरा विहार, परी कुंड यानी फेयरी पूल पड़ गया। कुंड उथला है, इसलिए छोटे बच्चों और परिवार के साथ भी इसमें नहाने का मजा लिया जा सकता है। पांडव गुफाओं से निकलने पर सबसे पहले अप्सरा विहार झरना ही पड़ता है।
Fairy Pool कहने की भी एक वजह है, जो हमें पचमढ़ी में गाइड से भी सुनने को मिलती है। अंग्रेज अफसरों की पत्नियाँ इस कुंड में स्नान करने आया करती थीं। स्थानीय लोग इन गोरी महिलाओं को परियो के समान खूबसूरत समझते थे। इस तरह इस कुंड का नाम अप्सरा विहार, परी कुंड यानी फेयरी पूल पड़ गया। कुंड उथला है, इसलिए छोटे बच्चों और परिवार के साथ भी इसमें नहाने का मजा लिया जा सकता है। पांडव गुफाओं से निकलने पर सबसे पहले अप्सरा विहार झरना ही पड़ता है।
Silver Fall
रजत प्रपात
रजत प्रपात पचमढ़ी का सबसे ऊंचा झरना है। 351 फीट ऊंचे झरने की गिनती देश के सबसे ऊंचे जल प्रपात में होती है, इसलिए इसे Big Fall बिग फॉल भी कहा जाता है। सूरज की किरणें पड़ने के बाद पानी चांदी की तरह दमकने लगता है, इसलिए इस झरने का नाम रजत प्रपात पड़ा है। अप्सरा विहार से कुछ ही दूरी पर यह झरना स्थित है।
Bison Lodge
बाइसन लॉज
1862 में कैप्टन फोर्सिथ ने यहां बाइसन लॉज का निर्माण करवाया था। इस लिहाज से बाइसन लॉज पचमढ़ी का सबसे पुराना घर कहा जाता है। बाइसन लॉज को अब वन विभाग ने संग्रहालय बना दिया है, जहां सतपुड़ा नेशनल पार्क की वन धरोहर और जीव-जंतु, पक्षियों के बारे में जानकारी बहुत सुंदरता से प्रस्तुत की गई है।
Duchess Fall
डचेस फॉल्स
डचेस फॉल्स पचमढ़ी के सबसे सुंदर झरनों मे से एक है। डचेस फॉल्स तीन जलप्रपातों से मिलकर बना है, जो नीचे आकर कई छोटे-छोटे झरनों में तब्दील हो जाते हैं। इसके नीचे कई छोटे-छोटे प्राकृतिक कुंड बने हैं, जहां आप तैरने और नहाने का लुत्फ ले सकते हैं। करीब सौ मीटर ऊंचे इस प्रपात तक पहुंचना मुश्किल है क्योंकि इसके लिए आपको 4 किमी. तक पैदल चल कर जाना होता है।
Bee Falls
जमुना जल प्रपात
बी फॉल्स को जमुना जल प्रपात भी कहा जाता है। यहां से पचमढ़ी के लिए पीने का पानी सप्लाई किया जाता है। बी फॉल्स जल प्रपात के ऊपर और नीचे बने कुंड में आप नहाने का आनंद ले सकते हैं। एडवेंचर पसंद करने वाले युवा बी फॉल्स से होते हुए किनारे-किनारे अप्सरा विहार से प्रताप कुंड तक जा सकते हैं। बुजुर्ग और बच्चों के लिए यहां पहुंचना थोड़ा मुश्किल है। जीप से उतरने के बाद करीब सौ मीटर पैदल चलना होता है, उसके बाद तीन सौ से अधिक खड़ी सीढ़ियां हैं, जिन्हें उतरने के बाद ही आप बी फॉल्स तक पहुंचते हैं। हालांकि, झरने की कल-कल ध्वनि सुनकर और यहां ठंडे साफ पानी में नहाकर सारी थकान दूर हो जाती है।
Jata Shankar Cave
जटा शंकर
पचमढ़ी के समीप ही जटा शंकर गुफा है। गुफा के अंदर एक बड़ा प्राकृतिक रूप से बना हुआ शिवलिंग है। इस गुफा की चट्टानें भगवान शिव की जटाओं की भांति दिखती हैं। जन आस्था है कि शिव भस्मासुर से बचते हुए इसी स्थान पर छिपे थे। हिंदू मान्यता है कि जंबूद्वीप धारा जटा शंकर गुफाओं से प्रारंभ होती है। श्रद्धालुओं के साथ-साथ पिकनिक मनाने वालों के लिए भी यह स्थान आकर्षण का केन्द्र है।
Dhoopgarh
धूपगढ़
धूपगढ़ सतपुड़ा पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी है। 1350 मीटर की ऊंचाई के साथ धूपगढ़ केवल पचमढ़ी का ही नहीं पूरे मध्य प्रदेश की सबसे ऊंची जगह है। पचमढ़ी सूर्यास्त Sunset को निहारने के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। सूरज ढलने से एक घंटा पहले यहां पहुंच जाएं और धीर-धीरे सूरज को पहाड़ियों के पीछे छुपते हुए देखना पचमढ़ी की ऐसी यादगार होती है, जिसे आप कभी नहीं भुला पाएंगे। यहां सनसेट का दृश्य देखने के लिए अब पर्याप्त सुविधाओं का विकास भी कर दिया गया है। मानसून के मौसम में बादलों से घिरे धूपगढ़ की सैर का तो मजा ही कुछ और होता है।
Pandava Caves
पांडव गुफाएं
पचमढ़ी में पांडव गुफाओं के नाम से मशहूर यह स्थान यहां आने वाले हर सैलानी के लिए देखने योग्य है। जन श्रुति के अनुसार पांडवों ने वनवास के दौरान यहाँ शरण ली थी। सबसे बड़ी गुफा को द्रोपदी गुफा
कहा जाता है। हालांकि, पुरातात्विक साक्ष्यों के अनुसार कि इन गुफाओं का उपयोग बौद्ध भिक्षु किया करते थे। वे लोग इस स्थान का उपयोग शरण लेने के लिए करते थे। बलुआ पत्थर की पहाड़ियों में बनी इन प्राचीन गुफाओं को अब स्मारक बना दिया गया है।
कहा जाता है। हालांकि, पुरातात्विक साक्ष्यों के अनुसार कि इन गुफाओं का उपयोग बौद्ध भिक्षु किया करते थे। वे लोग इस स्थान का उपयोग शरण लेने के लिए करते थे। बलुआ पत्थर की पहाड़ियों में बनी इन प्राचीन गुफाओं को अब स्मारक बना दिया गया है।
Bada Mahadev
बड़ा महादेव
पचमढ़ी से करीब 10 किमी. की दूरी पर 60 मीटर लम्बी बड़ा महादेव गुफा है। यहां भगवान शिव का मंदिर है। भगवान ब्रह्मा, विष्णु और गणेश के मंदिर भी यहां हैं। जन आस्था है कि पचमढ़ी के महादेव गुफा नामक इस स्थान पर ही भगवान विष्णु ने मोहिनी अप्सरा के रूप में भस्मासुर राक्षस का संहार किया था। इस गुफा में लगातार पानी टपकता रहता है, जो कुंड में एकत्रित होता रहता है।
Gupt Mahadev
गुप्त महादेव
बड़ा महादेव गुफा के पास स्थित इस मंदिर में पहुंचने के लिए उभरी हुई चट्टानों के बीच से संकरे रास्ते में से होकर जाना होता है। यहां सड़क के किनारे तेंदूफल और अन्य जंगली फल बेचने वाले बैठे रहते हैं, उनका स्वाद भी लेना चाहिए। बंदर बहुत अधिक संख्या में हैं, इसलिए सावधानी बरतनी चाहिए।
Chauragarh
चौरागढ़
चौरागढ़ पचमढ़ी की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। 1326 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस चोटी से पचमढ़ी वन संरक्षित क्षेत्र, झरनों और घाटियों का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। चौरागढ़ चोटी पर शिव जी का प्रसिद्ध मंदिर है, 1250 सीढ़ियां चढ़कर यहां तक पहुंचना होता है। महाशिवरात्रि के दौरान यहां बड़ी संख्या में भक्त पूजा करने के लिए आते हैं। धूपगढ़ से चौरागढ़ का नजारा दूरबीन के माध्यम से देखा जा सकता है।
Nagdwar Yatra
नागद्वारी मेला
पचमढ़ी में हर साल सावन के महीने में नागपंचमी पर नागद्वारी मेला भरता है। नागपंचमी के पर्व से करीब दस दिन पहले से ही महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से लाखों श्रद्धालु साल में सिर्फ एक बार होने वाली नागद्वारी यात्रा के लिए पहुंचने लगते हैं।
चिंतामणि गुफा से कुछ दूर पर स्वर्गद्वार गुफा है। श्रद्धालु इन दोनों गुफाओं की यात्रा करने के लिए वर्ष भर इंतजार करते हैं। नागद्वारी यात्रा ट्रेक कठिन और दुर्गम है, इस क्षेत्र में सांपों की बहुतायत है, लेकिन कहा जाता है कि ये सांप श्रद्धालुओं को नुकसान नहीं पहुंचाते। पचमढ़ी से नागद्वारी तक पहुंचने के लिए 18 किमी की यात्रा करनी होती है, जिसमें 12 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा शामिल है।
नागद्वारी यात्रा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र होने के कारण यहां सावन मास के निर्धारित यात्रा समय को छोड़कर प्रवेश वर्जित होता है।
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Other places to visit in Pachmarhi अन्य दर्शनीय स्थल
पचमढ़ी में इसके अलावा त्रिधरा (पिकाडेली सर्कस), राजेन्द्रगिरी (पैनोरमा हिल), रीछगढ़, महादेव पहाड़ी और भारत नीर (डोरोथी दीप) के केव शेल्टर्स सहित और भी कई प्राकृतिक और पुरातात्विक महत्व के स्थान हैं, जहां आप अपनी रुचि के अनुसार जा सकते हैं। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व भी पचमढ़ी के समीप एक प्रमुख आकर्षण है। स्पॉटेड हिरण, साही, पैंथर और मगरमच्छ सहित कई वन्य जीवों की प्रजातियां देखी जा सकती हैं। अगर किस्मत अच्छी रही तो टाइगर की साइटिंग भी हो सकती है।
How to reach Pachmarhi पचमढ़ी जाने का रास्ता
रेल मार्ग से
पचमढ़ी जाने के लिए पिपरिया निकटतम रेलवे स्टेशन है। यहां से पचमढ़ी 47 किलोमीटर है। यह रेलवे स्टेशन मुम्बई – हावड़ा वाया इलाहाबाद रेल लाइन पर स्थित है। पचमढ़ी से पिपरिया के लिए बसें, शेयरिंग टैक्सी और बुकिंग टैक्सी खूब मिल जाती हैं।
सड़क मार्ग से
यदि आप सड़क मार्ग से पचमढ़ी जाना चाहते हैं, तो आपकों बता दें कि पचमढ़ी सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।पचमढ़ी की दूरी भोपाल से 210 किलोमीटर, इलाहाबाद से 683 किमी, इंदौर से 368 किमी, नागपुर से 262 किमी और उज्जैन से 421 किलोमीटर है।
हवाई मार्ग से
पचमढ़ी पहुंचने के लिए भोपाल का राजा भोज एयरपोर्ट निकटतम हवाई अड्डा है, जो यहां से 210 किलोमीटर दूर है। भोपाल के लिए दिल्ली, मुम्बई, लखनऊ और रायपुर से सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं।
Temperature in Pachmarhi
पचमढ़ी का मौसम
पचमढ़ी का मौसम आमतौर पर खुशनुमा रहता है। दिसम्बर, जनवरी के महीने में औसत अधिकतम तापमान 22-23 डिग्री सेल्सियस और औसत न्यूनतम तापमान 7-8 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। हालांकि, कभी-कभी तापमान शून्य से नीचे भी जा सकता है।
Best time to visit Pachmarhi
पचमढ़ी जाने का सही समय
पचमढ़ी का मौसम खुशनुमा रहने के कारण यहां आप वर्ष में कभी भी आ सकते हैं। अगर आप भीड़-भाड़ से बचना चाहते हैं तो दीपावली के बाद दिसम्बर तक का मौसम पचमढ़ी आने के लिए अच्छा है। गर्मियों में तो हिल स्टेशन का आनंद उठाने बड़ी संख्या में लोग पचमढ़ी आते ही हैं।
Hotels in Pachmarhi
पचमढ़ी में कहां रुकें
यहां बड़ी संख्या में होटल और रिसॉर्ट हैं। मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के रिसॉर्ट और रेस्ट हाउस भी बड़ी संख्या में हैं, जो लम्बी-चौड़ी जगह में फैले हैं और ज्यादातर अच्छी लोकेशन पर स्थित हैं। असुविधा
से बचने के लिए ठहरने की एडवांस बुकिंग ऑनलाइन करवाने की सलाह दी जाती है।
से बचने के लिए ठहरने की एडवांस बुकिंग ऑनलाइन करवाने की सलाह दी जाती है।
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nice article