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स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा पर विचार
- वास्तव में, मेरी शिक्षाओं को कुछ ही शब्दों में समेटा जा सकता है। यह है मानव जाति को उनकी दिव्यता का एहसास कराना ताकि इसका प्रगटीकरण उनके जीवन के हर क्षेत्र में हो सके।
- शिक्षा मनुष्य में पहले से ही विद्यमान पूर्णता की अभिव्यक्ति है
- हम ऐसी शिक्षा चाहते हैं कि शिक्षा जिससे चरित्र का निर्माण हो, मन की शक्ति बढ़े और जिससे विद्यार्थी अपने पैरों पर खड़ा सके।
- जब तक लाखों लोग भूख और अज्ञान के अंधकार में जी रहे हैं, तब तक मैं उस प्रत्येक व्यक्ति को विश्वासघाती मानता हूं जिसने उनके बल पर शिक्षा पाई और अब वह उसकी और ध्यान भी नहीं देता।
स्वामी विवेकानन्द के जीवन पर विचार
- जैसा आप सोचते हैं, आप वैसे ही बन जाएंगे। यदि आप खुद को कमजोर मानते हैं, तो आप कमजोर होंगे। अगर आप अपने को मजबूत मानते हैं, तो आप मजबूत हो जाएंगे।
- यदि आप सभी 33 करोड़ देवी देवताओं में आस्था रखते हैं , लेकिन स्वयं पर ही आपका कोई विश्वास नहीं है, तो आपकी मुक्ति संभव नहीं है। अपने आप पर विश्वास रखो और विश्वास पर टिके रहकर मजबूत बनो, इसकी ही जरूरत है।
- शक्तिशाली बनने के लिए हम जीवन में बहुत कुछ पाने की चेष्टा रखते हैं। यह चेष्टा ही हमारी कमजोरी है जो सभी पाप और दुखों का कारण है। कमजोरी अज्ञान की ओर ले जाती है और अज्ञान दुर्भाग्य की जड़ है।
- पवित्रता, धैर्य और दृढ़ता, सफलता के लिए ये तीनों आवश्यक हैं और इन सबसे ज्यादा जरूरी कुछ है तो वह है प्रेम।
- वे ही जीवित हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं, बाकी लोग जितने जीवित है, उससे कहीं अधिक मृत हैं।
- धर्म अनुभूति है; यह न तो कोई बात है, न सिद्धांत, न ही शिक्षा, चाहे ये कितनी ही अच्छी क्यों न हों। धर्म सिर्फ सुनने और मानने के लिए नहीं होता। ये तो कुछ होना और कुछ हो जाना है। सम्पूर्ण आत्मा का अपने विश्वास के अनुरूप बदल जाने का नाम ही धर्म है।
- अपने आप को और हर किसी को उसकी मूल प्रकृति सिखाओ, सोई हुई आत्मा का आह्वान करो और इसे जगाओ। जब सोई हुई आत्मा को जगाया जाता है, तो शक्ति आती है, खुशी आती है, अच्छाई आती है, पवित्रता आती है और जो कुछ भी उत्कृष्ट है, वह आपको मिल जाता है।
स्वामी विवेकानन्द के धर्म पर विचार
- सभी पूजा- आराधनाओं का यही सार है – शुद्ध होना और दूसरों की भलाई करना।
- मैं सिर्फ प्रेम और प्रेम के उपदेश देता हूं और मेरी शिक्षाएं आत्मा की समरूपता और सर्वव्यापकता के महान वैदिक सत्य पर आधारित हैं।
- सफलता पाने के लिए अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जो हिम्मत और धीरज के साथ प्रयास करता रहेगा, देर से ही सही लेकिन वह अवश्य सफल होगा।
- अपने शरीर का ध्यान रखें और इसे स्वस्थ एवं बलिष्ठ बनाएं क्योंकि आपका शरीर ही सबसे उन्नत उपकरण है। इस शरीर के सहारे ही आप जीवन रूपी सागर को पार कर पाएंगे।
- हमें अपने अस्थिर मन पर नियंत्रण करना होगा और इसे भटकाव से खींचकर एक विचार पर केन्द्रित करना होगा। बार-बार हमें यह कार्य करना होगा। संकल्प शक्ति के द्वारा हमें मन को वश में करना चाहिए और इसे स्थिर कर ईश्वर की महिमा का विचार करना चाहिए।
- हमें दूसरों से सीखना चाहिए, जो कुछ नया नहीं सीख सकता वह चलती-फिरती लाश के समान है।
राष्ट्रीय युवा दिवस : 12 जनवरी
National Youth Day : 12 January
राष्ट्रीय युवा दिवस National Youth Day 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस के अवसर पर मनाया जाता है। भारत सरकार ने वर्ष 1984 में स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन को अधिकारिक रूप से राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया था। तब से हर वर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है।स्वामी विवेकानंद का संक्षिप्त जीवन परिचय
Brief Biography of Vivekanand in Hindi
जन्म : 12 जनवरी 1863
निधन : 4 जुलाई 1902
जन्म स्थान : कलकत्ता, कोलकाता
बचपन का नाम : नरेन्द्र नाथ दत्त, नरेन
पिता : विश्वनाथ दत्त
पिता का व्यवसाय : कलकत्ता हाई कोर्ट में एटॉर्नी—एट—लॉ
माता : भुवनेश्वरी देवीगुरु : स्वामी रामकृष्ण परमहंसशिक्षा : बीए (1984)
स्थापना : 1 मई 1897
अज्ञातवास एवं एकांतवास : 1887—1892
विश्व धर्म महासभा में प्रतिनिधित्व : 1893, शिकागो