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क्या होता है स्माॅग और क्या होता है, पीएम 10 पीएम 2.5
Smog स्माॅग या धुंआसा या धुंध आधुनिक शहरों की सबसे बड़ी समस्या है. बड़े शहर जैसे चीन की राजधानी बीजिंग, यूके की राजधानी लंदन और भारत की राजधानी दिल्ली smog in delhi स्माग या धुंआसे की समस्या का सामना करती रही है.
स्माॅग या धुंआसा दरअसल शहरों में फैले हुए वायु प्रदूषण का दुष्परिणाम है और इससे मानव स्वास्थ्य को सांस संबधी समस्याएं होती है. खासकर बच्चों और दमा के रोगियों के लिए तो यह समस्या प्राणघातक तक साबित होती है.
क्या होता है स्माॅग(smog meaning in hindi)?
smog definition धुआंसा या स्माग वायु प्रदूषण के कारण शहरों में पैदा होता है. यह अंग्रेजी के दो शब्दों स्मोक और फाॅग (smog is a combination of Smoke and fog) की संधि से बनाया गया है. इसमें smog and fog difference हवा में धूल, धुंआ और कुहासे की मात्रा बढ़ जाती है और कोहरे जैसा माहौल पैदा हो जाता है.
स्माॅग शब्द का प्रयोग सबसे पहले 1905 में डाॅ हेनरी अंतोइन दे वू ने किया था. उन्होंने लोक स्वास्थ्य कांग्रेस में अपना शोध पत्र फाॅग एंड स्मोक के वाचन के दौरान इस शब्द स्माॅग से दुनिया को रूबरू करवाया था. लंदन के मशहूर अखबार डेली ग्राफिक ने इस अपने 26 जुलाई 1905 के संस्करण में छापा था. हिंदी के कथाकार संजीव नें इस शब्द का अनुवाद धुंआसा किया जिसे बाद में सभी जगह प्रयोग में लाया जाने लगा.
क्यों होता है स्माॅग smog and its ill effects?
smog and its types स्माॅग का मुख्य कारण मानव द्वारा किया जाने वाला दहन है. यह कोयले को जलाने, गाड़ियों से होने वाले धुंए का उत्सर्जन, किसानो द्वारा जलाई जाने वाली पराली या मूठ, विभिन्न उद्योगों से निकलने वाला रासायनिक धुंआ, भवन निर्माण कार्य के दौरान उड़ने वाली धूल और कई प्राकृतिक कारणों से विकराल रूप ले लेता है.
भारत में मुख्य रूप से वाहनो से निकलने वाला धुंआ, किसानो द्वारा जलाई जाने वाली पराली, smog due to crackers दिवाली पर होने वाली आतिशबाजी smog after diwali और भवन निर्माण के कारण स्माॅग बनता है. भारत में दिल्ली स्माॅग की समस्या से सबसे ज्यादा पीड़ित है.
क्यों नुकसान दायक है स्माॅग Why Smog is harmful?
स्माॅग मानव स्वास्थ्य के नुकसान दायक है क्योंकि स्माॅग के दौरान वातावरण में धूल कण और अन्य प्रदूषित कारको के आकार में बढ़ोतरी हो जाती है और वातावरण में पीएम 2.5 से पीएम 10 तक कण बनने लगते हैं जो वातावरण में काफी नीचे तक पाए जाते हैं.
ये भारी कण सांस के रास्ते मानव के फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं और उनकी क्षमता प्रभावित करते हैं. इस तरह की हवा में ज्यादा दिन तक सांस लेने पर लोगों मे दमा और टीबी जैसे लक्षण smog allergy सामने आते हैं और सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है. स्मॉग की वजह से कभी—कभी तेजाबी बारिश smog and acid rain तक होती है.
क्या होता है पीएम 10 और पीएम 2.5
पीएम 10 और पीएम 2.5 जैसे शब्द उस वक्त ज्यादा सुनाई देते हैं जब किसी शहर में स्माॅग की समस्या बढ़ जाती है. दअरसल पीएम का पूरा शब्द विस्तार पार्टिकुलेट मैटर होता है. किसी भी वातावरण में हवा की गुणवत्ता इसी के आधार पर नापी जाती है.
अगर हवा का पीएम ज्यादा है तो हवा की गुणवत्ता खराब मानी जाती है और पीएम का स्तर कम है तो हवा की गुणवत्ता अच्छी मानी जाती है. किसी भी हवा में अगर पीएम 2.5 का स्तर 60 से कम और पीएम 10 का स्तर 100 से कम है तो उस हवा में सांस लेना सुरक्षित माना जाता है.
क्यों खतरनाक है पीएम 10 और पीएम 2.5?
पीएम 10 और पीएम 2.5 के कणों के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह हवा मे विजबिलिटी या दृश्यता को कम करती है और कोहरे का निर्माण करती है. इस कोहरे के कारण सड़कों पर दुर्घटना smog accident होने की संभावना बढ़ जाती है.
यह कण सांस के साथ अंदर जाते हैं और फेफड़ों के डायफ्राम के लचीलेपन को कम कर देते हैं इससे व्यक्ति को संास लेने में दिक्कत होने लगती है.
कैसे बचे स्माॅग और पीएम 10 और पीएम 2.5 से?
आम आदमी को अगर स्माॅग और पीएम 10 और पीएम 2.5 के दुष्प्रभावों से बचना है तो इसका एक मात्र रास्ता अपने वातावरण में प्रदूषण को कम करके ही किया जा सकता है. थोड़ी देर तक इनसे बचने के लिए आप स्माॅग के दौरान मास्क का प्रयोग करें. घर के अंदर एअर प्यूरीफायर का उपयोग करें. साथ ही प्रयास करें कि आपको ऐसे वातावरण के संपर्क में कम से कम रहना पड़े.
कैसें कम कर सकते हैं वायू प्रदूषण smog air pollution?
वायु प्रदूषण हम मानवों का ही फैलाया हुआ है. ऐसे में इससे निजात हम मानव ही दिला सकते हैं. हम से हरेक को अपने स्तर पर कुछ प्रयास करने होंगे-
➤ एअरकंडीशन का प्रयोग कम करना होगा.
➤ धुंआमुक्त चुल्हें का उपयोग करना होगा.
➤ पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करना होगा.
➤ वायु की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पेड़ लगाना होगा.
➤ ऐसा कोई भी काम जो धुंआ पैदा करना होगा उससे बचना होगा या कम करना होगा.
वायू प्रदूषण कम करने के लिए क्या कर सकती है सरकार?
➤ पब्लिक ट्रांसपोर्ट को ज्यादा आरामदायक और सुलभ बनाना होगा.
➤ वन क्षेत्र बढ़ाना होगा.
➤ प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर रोक लगानी होगी.
➤ आड-ईवन जैसे प्रयोग करने होंगे.
➤ स्माॅग के दौरान भवन निर्माण जैसे कार्यों पर रोक लगानी होगी.
➤ साफ ईंधन के प्रयोग को बढ़ावा देना होगा.
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