फिल्म समीक्षा- शादी में जरूर आना Film Review
एक बार फिर एक छोटे से शहर की बड़ी कहानी. एक लड़का जिसे शादी करनी है और एक लड़की जिसे नहीं करनी है. शहर—कस्बों में खुलती भारतीय संस्कृति जहां फिलहाल लड़का और लड़की अपने सगाई के बाद अपने कोर्टशिप पीरियड का आनंद उठाते हैं.
एक दूसरे को जानते हैं और लगता है कि यह मैच परफेक्ट है. तभी कहानी आपको चौंकाती है और लड़का बारात के साथ बैरंग लौट आता है. बिना अपनी दुल्हन के.
लड़के के प्यार को दरकिनार कर लड़की गायब. फिर कहानी शुरू होती है जब लड़का बड़े सरकारी ओहदे पर है और लड़की उससे एक बार फिर टकराती है. फिर शुरू होती है प्यार के बाद नफरत की कहानी और ढेरों गलियों से होते हुए कहां पहुंचती है इसके लिए आपको देखनी पड़ेगी ‘शादी में जरूर आना’
एक बार फिर राजकुमार राव ने इस फिल्म के टीजर से उम्मीद जगाई है और कस्बाई लड़के के तौर पर जंचे हैं. कीर्ति खरबंदा सुंदर है और उनकी यह सुंदरता ही उन्हें कस्बाई हो जाने से रोक रहा है.
टीजर में शामिल किए गए संवाद बेहतरीन है और फिल्म देखने के लिए आपकी उत्सुकता जगाते हैं. एक गीत जो सुनाई देता है, उसमें दिल टूटने का दर्द साफ सुनाई देता है और आप टीजर के साथ जुड़ते भी हैं.
10 नवम्बर को रिलिज होने जा रही शादी में जरूर आना जादू जगाती है. टीजर को देखकर फिल्म निर्देशन पर कुछ कहना जल्दी होगी लेकिन रत्ना सिन्हा के पास अच्छी कहानी की दृष्टि है यह तो मानना ही होगा.
ड्रामा और रोमांस से भरी इस फिल्म को पूरी फैमिली के साथ देखा जा सकता है. राजकुमार राव अपने मिडिल क्लास की भूमिकाओं के साथ हमेशा न्याय करते आए हैं और पूरी उम्मीद है कि इस फिल्म में भी वे अपने इस खास दर्शक वर्ग को निराश नहीं करेंगे.