भारतीय ज्योतिष में वार
भारतीय ज्योतिष के अनुसार आकाश मण्डल में मुख्य ग्रहों की संख्या 7 है. वे ग्रह है 1.शनि 2.बृहस्पति 3.मंगल 4.रवि 5.शुक्र 6.बुध और 7. चंद्रमा. इन ग्रहों की अवस्थिति क्रमशः एक दूसरे से नीचे है अर्थात शनि की कक्षा सबसे ऊपर तथा चन्द्रमा की कक्षा सबसे नीचे है.
एक दिन-रात मिलाकर 24 घंटे का होता है. ज्योतिष में एक घंटे के समय के लिए होरा शब्द प्रचलित है. यह होरा शब्द अहोरात्र शब्द का संक्षिप्त रूप है. भारतीय ज्योतिष में होरा शब्द को घंटे का पर्यायवाची शब्द भी माना जा सकता है.
सृष्टि के आंरभ में सर्वप्रथम सूर्य दिखाई दिया, अतः पहले होरा का स्वामी सूर्य को माना गया है तथा सृष्टि के पहले दिन का नामकरण किया गया ‘रविवार’. इसके बाद अगले होरा पर अन्य एक-एक ग्रह का अधिकार माना गया. एक दूसरे के समीपी क्रम में दूसरे होरा का स्वामी शुक्र, तीसरे होरा का स्वामी बुध, चैथे होरा का स्वामी चन्द्रमा, पांचवे का शनि, छठे का बृहस्पति और सातवें होरा का स्वामी मंगल को माना गया है.
इसी क्रम में पुनरावर्तन के फलस्वरूप पहले दिन की चौबीसवें मतलब अंतिम होरा बुध के स्वामित्व में समाप्त हुई, तब दूसरे होरा का स्वामी चन्द्रमा हुआ इसीलिए दूसरे दिन का नाम रखा गया सोमवार. इसी क्रम में तीसरे दिन की पहली होरा का स्वामी ‘मंगल’, चौथे दिन का बुध, पांचवे दिन का बृहस्पति, छठे दिन का शुक्र तथा सातवें दिन की पहली होरा का स्वामी शनि हुआ. फलतः सृष्टि के पहले वारों का क्रम हुआ- 1. रविवार 2. सोमवार 3. मंगलवार 4. बुधवार 5. बृहस्पतिवार 6. शुक्रवार 7. शनिवार. इस तरह सात दिनों का समूह या सप्ताह बना.
प्रत्येक वार का स्वामी उसी का अधिपति ग्रह होता है. गुरू, सोम, बुध तथा शुक्र इन चार वारों को सौम्य तथा मंगल, रवि एवं शनि इन तीन वारों को उग्र की संज्ञा दी जाती है. जिस वार का स्वामी का जैसा स्वभाव है, वही स्वभाव उस वार का तथा उस वार को जन्म लेने वाले जातक का माना जाता है.
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