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First Commander-in-Chief of India: Field Marshal K M Cariappa

के एम करिअप्पा Field-Marshal-K-M-Cariappa

भारत के पहले कमाण्डर इन चीफ : के एम करिअप्पा

फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा Field Marshal K M Cariappa को भारत के पहले कमांडर इन चीफ बनने का श्रेय मिला. 28 जनवरी 1899 को कर्नाटक राज्य के कुर्ग (Coorg) में किसान परिवार में जन्मे करिअप्पा का पूरा नाम कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा (Kodandera Madappa Cariappa) है.
भारतीय सेना Indian Army की 1/7 राजपूत रेजीमेंट के करिअप्पा ने 15 जनवरी 1949 को भारतीय सेना के सर्वोच्च पद जनरल का पद सम्भाला और 15 जनवरी को ही भारतीय सेना का सेना दिवस मनाया जाने लगा.

करिअप्पा की शिक्षा Education of Cariappa

फील्ड मार्शल करिअप्पा की औपचारिक शिक्षा कर्नाटक के कोडगु जिले में स्थित हिल स्टेशन मैडीकेरी Madikeri की सेंट्रल हाई स्कूल से हुई. इसके बाद उन्होंने अपनी कॉलेज एजुकेशन मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से पूरी की. उनकी कई खेलों में खासी रूचि थी और वे टेनिस तथा हॉकी के अच्छे खिलाड़ी थे. करिअप्पा अपने प्रियजनों के बीच चिम्मा के नाम से जाने जाते थे.

करिअप्पा का सैन्य जीवन Army Life of Cariappa

के एम करिअप्पा सेना में कमीशन पाने वाले पहले भारतीयों में शामिल थे और आजाद भारत के पहले कमाण्डर—इन—चीफ (Commander-in-Chief) बने. पहले विश्व युद्ध के लिए भी क​रिअप्पा का चयन हुआ था.
पहले विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद करिअप्पा ने ब्रिटिश इंडियन आर्मी जॉइन की और उन्हें टैम्परेरी सैकंड लेफ्टिनेंट के लिए 2/88 कर्नाटक इंफेंट्री में कमीशन कर दिया गया.  इसके बाद करिअप्पा राजपूत रेजीमेंट का स्थायी हिस्सा बनें.
आजादी से पहले ही ब्रितानिया सरकार ने उन्हें डिप्टी चीफ आॅफ जनरल स्टाफ (Deputy-Chief-of-General-Staff) के पद पर नियुक्ति दी थी. वहीं आजादी के बाद 1949 में करिअप्पा को कमाण्डर—इन—चीफ (Commander-in-Chief) बनाया गया.
करिअप्पा 1953 तक कमाण्डर—इन—चीफ के पद पर रहे. करिअप्पा ने 1947 में भारत—पाकिस्तान के युद्ध में पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना की कमान सम्भाली थी.
के एम करिअप्पा स्टाफ कॉलेज, क्वेटा Staff College, Quetta जाने वाले पहले भारतीय मिलिट्री अफसर थे. वे किसी भी बटालियन के पहले भारतीय कमांडर भी थे.
वहीं करिअप्पा यूनाइटेड किंगडम की इम्पीरियल डिफेंस कॉलेज Imperial Defence College में ट्रेनिंग के लिए चयनित पहले दो भारतीयों में से एक थे.

सेना के लिए नहीं हुआ योगदान कम  Continuous Contribution to Indian Army

फील्ड मार्शल करिअप्पा सेना से 1953 में ही सेवानिवृत्त हो गए थे मगर सेवानिवृत्ति के बाद भी उनका देश और सेना के लिए योगदान कम नहीं हुआ. जहां भी और जब भी देश तथा सेना को उनकी जरूरत पड़ी, उन्होंने अपना सक्रिय और पूर्ण योगदान दिया.
उन्होंने सेवानिवृत्त होने के बाद न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया में भारत के हाई कमिश्नर जैसे महत्वपूर्ण पदों को सम्भाला. खेलों और शिक्षा के साथ—साथ राष्ट्रहित से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रहने वाले करिअप्पा सार्वजनिक जीवन में एवं सैनिक कल्याण के कार्यों में भी सदैव सक्रिय रहते थे.

भारत सरकार ने दी फील्ड मार्शल की उपाधि  GoI Honoured with Field Marshal Title

जनरल करिअप्पा को देश और सेना के लिए उनकी समर्पित सेवा और सक्रिय योगदान के लिए भारत सरकार ने 1979 में उन्हें फाइव स्टार रैंक फील्ड मार्शल (Field Marshal) की मानद उपाधि दी.
जीवनभर राष्ट्रसेवा और सैनिक कल्याण में जुटे रहने वाले देश के पहले कमांडर—इन—चीफ फील्ड मार्शल जनरल के एम करिअप्पा का 15 मई 1993 को 94 साल की उम्र में कर्नाटक के बैंगलोर में निधन हो गया. जनरल करिअप्पा के अलावा सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw) ही ऐसे इकलौते सैन्य अधिकारी थे जिन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई.

डाक विभाग ने जारी किया डाक टिकट India Post Issued Postage Stamp

भारत सरकार के डाक विभाग ने फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा की याद में Commemorative Postage Stamp कैटेग्री में 15 जनवरी 1995 को 2 रुपए की कीमत का एक डाक टिकट जारी किया.

भारत रत्न के लिए चर्चा में करिअप्पा का नाम  Army Chief calls Bharat Ratna for Cariappa

भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत General Bipin Rawat द्वारा भारत के पहले कमाण्डर—इन—चीफ फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा को भारत रत्न दिए जाने की मांग पर एक बार फिर करिअप्पा का नाम चर्चा में है.

कनार्टक में 4 नवम्बर 2017 को फील्ड मार्शल करिअप्पा की एक स्टेच्यू का अनावरण करते हुए जनरल रावत ने कहा कि अब करिअप्पा के नाम की सिफारिश देश के सर्वोच्च सम्मान के लिए करने का समय आ गया है.

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