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भारतीय ज्योतिष में तिथियों के स्वामी
भारतीय ज्योतिष में तिथि
ज्योतिष में तिथि का बहुत महत्व है. तिथि के अनुसार ही सारी गणनायें की जाती है. भारतीय ज्योतिष में तिथि निर्धारित करने के लिए चंद्रमा को केन्द्र माना गया है. तिथि के अनुसार ही नक्षत्रों की आकाशीय स्थिति की गणना की जाती है. ज्योतिष सीखने के लिए तिथि का जातक पर प्रभाव सबसे पहले आकलित किया जाता है. तिथि का व्यवहार निर्धारित करने के लिए हरेक तिथि का एक देवता निर्धारित किया गया है, उस देवता के स्वभाव के अनुरूप और कुण्डली में स्थिति के अनुसार जातक का भविष्य पढ़ने का प्रयास किया जाता है.
तिथियों के स्वामी
ज्योतिष में दो पक्ष शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष माने गये हैं. तिथियों के बारे में विस्तार से समझने के लिए आपको हमारे आलेख: भारतीय ज्योतिष में तिथियों का महत्व पढ़ना चाहिये. इन दोनों पक्षों में प्रत्येक में 16 तिथियों का निर्धारण किया गया है और प्रत्येक तिथि पर एक देवता का प्रभाव है. यहां कुछ देवता हमारे समाज में प्रचलित है और हम उनके स्वभाव से भलीभांति परिचित है लेकिन कुछ देव सिर्फ ज्योतिष शास्त्र में ही निरूपित किये गये हैं, जैसे विश्वेदेवा और पितृदेवता. इनके बारे जानने के लिए हमारे देवताओं से सम्बन्धित आलेख आपको पढ़ने होंगे.
तिथि और उनके स्वामी पति की सारणी
क्र. | तिथि | स्वामी |
1. | प्रतिपदा | अग्नि |
2. | द्वितीया | ब्रह्मा |
3. | तृतीया | गौरी |
4. | चतुर्थी | गणेश |
5. | पंचमी | शेषनाग |
6. | षष्ठी | कार्तिकेय |
7. | सप्तमी | सूर्य |
8. | अष्ठमी | शिव |
9. | नवमी | दुर्गा |
10. | दशमी | काल |
11. | एकादशी | विश्वेदेवा |
12. | द्वादशी | विष्णु |
13. | त्रयोदशी | कामदेव |
14. | चतुर्दशी | शिव |
15. | पूर्णिमा | चंद्रमा |
16. | अमावस्या | पितृदेव |
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