विश्व जनसंख्या दिवस – World Population Day essay Hindi

विश्व जनसंख्या दिवस विशेष- बढ़ती जनसंख्या एक समस्या
World Population Day: Population Problems in Hindi

विश्व जनसंख्या दिवस हरेक वर्ष 11 जुलाई को मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने आधिकारिक तौर पर इस दिन को विश्व जनसंख्या दिवस के तौर पर नामित किया है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में मानव की जनसंख्या से होने वाले फायदे और नुकसान का आंकलन करना है.

मानव जनसंख्या ने पूरी दुनिया के तंत्र को गहरे से प्रभावित किया और संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पैदा किया है. इस सम्बन्ध में यह कहा जा सकता है कि-

 अति रूपेण वै सीता चातिगर्वेण रावणः।
अतिदानाद् बर्लिबद्धो ह्मति सर्वत्र वर्जयेत्।।

अर्थात् अति हर चीज की बुरी होती है। जिस तरीके से विश्व की जनसंख्या बढ़ रही है तो वो दिन दूर नहीं जब गणित के आंकड़े कम पड़ जाएंगे क्योंकि धरती पर तो इतनी भूमि बचेगी नहीं कि इंसान रह सके.

आज बेहिसाब बढ़ती जनसंख्या ना केवल चिंता का कारण है बल्कि सभी समस्याओं का एक मूल कारण भी है फिर चाहे पृथ्वी का संतुलन बिगड़ना हो, ग्लोबल वार्मिंग हो, बढ़ती बेरोजगारी हो या संसाधनों का अभाव हो.

कुछ दिन पूर्व Tesla CEO Elan Musk टेस्ला के सीईओ एलान मस्क ने ट्वीट करके सबको चौंका दिया कि दुनिया की आबादी पतन की तरफ बढ़ रही है और कोई परवाह नहीं कर रहा है.

आपको बता दें कि आमतौर पर दुनियादारी के बारे में लिखने वाले एलान मस्क को Twitter ट्वीटर पर लगभग 10 लाख से अधिक लोग Follow फॉलो करते हैं.

बढ़ती जनसंख्या चिंता का कारण

बढ़ती आबादी, न्यूक्लियर और हाइड्रोजन बम से भी ज्यादा खतरनाक है. संयुक्त राष्ट्र के ताजा सर्वे के अनुसार दुनिया की आबादी लगभग 7.6 अरब गिनी गई है और जिस तरीके से भारत की आबादी बढ़ रही है तो वो समय दूर नहीं जब आबादी के आंकड़ों में चीन को पछाड़ देंगे.

एक अनुमान के मुताबिक धरती पर मानव का अस्तित्व आने के बाद पहले 19वीं सदी की शुरुआत तक एक अरब लोग जुड़ पाए थे. डेढ़ अरब और लोग जुड़ने में भी एक  शताब्दी लगी. पर चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि पिछले मात्र 60 साल में दुनिया की आबादी में अभी तक 4.5 अरब का इजाफा हुआ है.

 वर्ष 2021 की जनगणना

सन् 1872 से ही जनगणना, नागरिकों से संबंधित विभिन्न विशेषताओं की सूचना का स्रोत रहा है. तब से लगभग हर 10 साल में जनगणना की जाती है. 2011 की जनगणना 1872 के बाद से देश की 15वीं राष्ट्रीय जनगणना थी.

2011 में भारत की कुल जनसंख्या 1,21,01,93,422 थी और अगली जनगणना होने में अभी करीब 3 वर्ष से भी अधिक का समय बाकी है और गूगल पर हम यदि जनगणना के बारे में जानकारी ढूंढ़ते हैं तो अभी से इन आकड़ों से अनुमान लगाया जा सकता है कि वर्ष 2021 में जो जनगणना के आंकड़े आएंगे वे न केवल जनता बल्कि सरकारों को भी चिंता में डाल सकते हैं.

जनसंख्या विस्फोट और बेरोजगारी

आज भारत में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है. एक अनुमान के हिसाब से सरकारों के पास जितने विभागों में वैकेंसी है, उससे कई 100 गुना लोग बेरोजगार हैं.

इसलिए आये दिन लोग रोजगार के लिए सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने लगते हैं. यह समस्या अकेले भारत की ही नहीं, ऐसे प्रदर्शन विश्व के कई देशों में हो रहे हैं. भारत में तो बेरोजगारों ने बेरोजगार संघ के नाम से संस्थाएं तक  बना ली हैं.

विश्व जनसंख्या दिवस – जनसंख्या नियंत्रण के उपाय जरूरी

यह प्रश्न सरकार पर जितना है, उतना ही जनता पर भी है क्योंकि सरकार में बैठे लोग भी जनता के बीच के ही हैं. तेजी से बढ़ती महंगाई के इस दौर में एक बच्चे को भी अच्छी शिक्षा दिला पाना मुश्किल है और ऐसे में यदि दो या उससे अधिक बच्चे हों तो शिक्षा तो दूर की बात है ठीक से लालन-पालन कर पाना भी भारी पड़ जाता है.

इसलिए हमें जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिए परिवार नियोजन जैसे कार्यक्रमों को सफल बनाकर पृथ्वी पर मानव समाज के विकास में अपनी सहभागिता निभानी होगी.

जनसंख्या नियंत्रण के उपाय करने से न केवल मनुष्य के सर्वांगीण विकास के बेहतर अवसर उपलब्ध होंगे बल्कि यह पृथ्वी इंसान के रहने योग्य बच पाएगी.

1968 में जब स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के दो शोधकर्ताओं ने ‘द पॉपुलर बम नामक एक पुस्तक प्रकाशित की, जिसमें 1970 और 1980 के दशक में जनसंख्या में भारी वृद्धि की भविष्यवाणी की गई थी.

वहीं, विश्व के जाने-माने वैज्ञानिक  Stephen Hawking स्टीफन हॉकिंग ने भी कहा है कि अगले 100 साल में यह दुनिया खत्म हो जाएगी, यह बात तय है.

इसके लिए उन्होंने भी दुनिया की बढ़ती बेहिसाबी जनसंख्या को ही कारण माना है और अब भी हमने ध्यान नहीं दिया तो वह समय दूर नहीं जब ये बात सत्य होती दिखाई देगी.

विश्व आबादी की अनुमानित वृद्धि

जहां एक ओर दुनिया की आबादी पहले तेजी से बढ़ती जा रही थी वहीं हाल ही के कुछ दिनों की तुलना में यह आंकड़ा कुछ धीरे-धीरे बढ़ रहा है. दस साल पहले विश्व की आबादी प्रति वर्ष 1.24 प्रतिशत बढ़ रही थी, वहीं अब यह 1.10 प्रतिशत की दर से प्रतिवर्ष बढ़ रही है.

यही रफ्तार रही तो अगले 13 वर्ष में यानी 2030 के आस-पास दुनिया की आबादी में एक अरब लोग और जुड़ जाएंगे. वर्ष 2050 तक दुनिया की आबादी 10 अरब तक पहुंच जाने की संभावना है.

दुनिया के साठ प्रतिशत यानी 4.5 अरब लोग एशिया में रहते हैं, अफ्रीका में 17 प्रतिशत यानी 1.3 बिलियन, यूरोप में 10 प्रतिशत यानी 74.2 करोड़,  लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई में 9 प्रतिशत और शेष 6 प्रतिशत आबादी में 36.1 करोड़ उत्तरी अमेरिका  और 4 करोड़ 10 लाख ओशिनिया में रहती है.

वहीं, चीन 1.4 अरब और भारत 1.3 अरब के आंकड़े के साथ दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले दो देश हैं.

 कैसे बिगड़ रहा है जनसंख्या संतुलन

उदाहरण के तौर पर 1727 में जब तात्कालिक महाराजा ने जयपुर को बसाया था तब यह शहर 5 लाख की आबादी के हिसाब से प्लान किया गया था और उस समय के ही बुनियादी ढांचे में अब 31 लाख लोग रह रहे हैं. चूंकि जगह उतनी ही है और लोग बढ़ रहे हैं तो फिर चाहे पानी हो या सड़क, हर समस्या बढ़ती ही जा रही है.

विश्व जनसंख्या दिवस – बढ़ती जनसंख्या का प्रभाव

  • बढ़ती जनसंख्या की समस्या के कारण उत्पादन में वृद्धि के बावजूद भी भोजन की उपलब्धता में कमी आ रही है.
  • भोजन की गुणवत्ता और असमान वितरण के कारण भूख और मृत्यु.
  • बढ़ती जनसंख्या के प्रति व्यक्ति चिकित्सा व शिक्षा की सुविधाएं और सेवाएं घट रही हैं.
  • लगातार बिजली और पीने योग्य पानी की कमी बढ़ती जा रही है.
  • जहां एक ओर सरकार के कर्ज में वृद्धि हो रही है, वहीं महंगाई  भी बढ़ती जा रही है.
  • रोजगार के अवसर घट रहे हैं और विकास का लाभ लोगों को नहीं मिल पाता है.
  • औद्योगिक और शहरी कचरा  बढ़ रहा है, साथ ही वायु प्रदूषण बढ़ रहा है.
  • जनसंख्या विस्फोट से प्राकृतिक संसाधनों की कमी हो रही है, वहीं ग्लोबल वार्मिंग का असर बढ़ने प्रकृति का ऋतु चक्र बिगड़ गया है. उत्तराखण्ड जैसी प्राकृतिक आपदाएं इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है.
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